आज कुछ वामपंथी सिर्फ़ इसीलिए चिढ़ रहे हैं क्योंकि कोरोना वायरस को वुहान वायरस, चीनी वायरस कहा जा रहा है। जबकि सालों से वायरस या रोग का नामकरण उस जगह के नाम पर किया जाता रहा है, जहाँ से ये शुरू हुआ और चीन तो हमेशा से दुनिया को ऐसी आपदा देने में अभ्यस्त रहा है। इससे पहले भी कई ऐसे रोग और वायरस रहे हैं, जो चीन से निकला और जिन्होंने पूरी दुनिया में कहर बरपाया। आइए, आज हम उन 5 चीनी आपदाओं के बारे में बात करते हैं, जिसने दुनिया भर में तहलका मचाया।
H7N9 फ्लू
इसे आप बर्ड फ्लू के नाम से जनता हैं, जिसका पहला मामला शंघाई में आया था। बात में पता चला कि एक पोल्ट्री मार्किट में ये वायरस चिकेन्स से निकल कर मनुष्य में आ गया। इस इन्फेक्शन का पता तब चला, जब कई लोग इससे बीमार हो गए। हालाँकि, इस वायरस के मामले में ह्यूमन-टू-ह्यूमन ट्रांसमिशन की उतनी ख़बर नहीं आई। इस आपदा के अब तक 5 स्टेज आ चुके हैं, जिसमें से ताज़ा 2017 में आया था। ये एक ऐसा वायरस है, जिसके प्रति प्रतिरोधक क्षमता मानवों में नहीं है, इसीलिए विशेषज्ञ कहते हैं कि इस पर नज़र नहीं रखा गया तो ये बड़ा तहलका मचाने की ताक़त रखता है।
SARS
‘Severe Acute Respiratory Syndrome (SARS)’ भी पहली बार 2002 में चीन में ही देखा गया था। चीन के युनान प्रान्त में दूर एक गुफा में चमगादड़ों को इस वायरस का स्रोत माना गया था। ये बात भी 15 साल बाद पता चली थी। ये दक्षिणी चीन से 37 देशों में फैला और इसने 750 लोगों की जान ले ली। वैज्ञानिक भी कहते हैं कि इसका कोई वैक्सीन मिलना मुश्किल है क्योंकि क्वारंटाइन से ही अब तक काम चलाया जाता रहा है। हालाँकि, अब संभव है कि इसके सम्पूर्ण इलाज की व्यवस्था हो जाए।
H5N1 बर्ड फ्लू
ये भी पहली बार हॉन्गकॉन्ग में दिखा था और उसके बाद से देश-विदेश की कई जंगली पक्षियों में पाया जाता रहा है। ये 1996 में पहली बार पाया गया था लेकिन 2002 में इसने अपना बड़ा असर दिखाया और एशिया, अफ्रीका और यूरोप से लेकर अरब जगत तक फ़ैल गया। इस वायरस के फैलने के बाद लोगों में तरह-तरह की बीमारियाँ होने लगीं और कई लोगों की मौत भी हो गई। ये वायरस भी अगर ह्यूमन टू ह्यूमन फैलने लगा तो बड़ी तबाही आ सकती है।
हॉन्गकॉन्ग फ्लू
ये एक ऐसा खतरनाक फ्लू था, जिसनें क़रीब 10 लाख लोगों की जान ले ली। ये 1968-69 में अपने चरम तक पहुँचा था। वियतनाम और सिंगापुर में ये काफ़ी फैला था। इसके बाद ये भारत, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप तक पहुँचा। 1969 में ये जापान, अफ्रीका और दक्षिण अफ्रीका तक पहुँचा। इससे 1 लाख लोग तो सिर्फ़ अमेरिका में ही मारे गए थे। हॉन्गकॉन्ग की तो इससे लगभग 15% जनसंख्या ही साफ़ हो गई थी।
एशियाई फ्लू
इसका पहला मामला फ़रवरी 1957 में सिंगापुर में आया था लेकिन इसकी उत्पति भी चीन से ही हुई थी। दक्षिण-पश्चिमी एशिया में भारत में भी इसके 10 लाख मामले सामने आए थे। इसने दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं को तबाह कर दिया था।
बता दें कि कोरोना के मामले में भी दिसंबर 10, 2019 को ही चीन में कोरोना का पहला मरीज बीमार पड़ने लगा था। इसके एक दिन बाद वुहान के अधिकारियों को बताया गया कि एक नया कोरोना वायरस आया है, जो लोगों को बीमार कर रहा है। वुहान सेन्ट्रल हॉस्पिटल के डायरेक्टर ने 30 दिसंबर को इस वायरस के बारे में वीचैट पर सूचना दी। उन्हें जम कर फटकार लगाई गई और आदेश दिया गया कि वो इस वायरस के बारे में किसी को कुछ भी सूचना न दें।
इसी तरह डॉक्टर ली वेलिआंग ने भी इस बारे में सोशल मीडिया पर विचार साझा किए। उन्हें भी फटकार लगाई गई और बुला कर पूछताछ की गई। इसी दिन वुहान हेल्थ कमीशन ने एक ‘अजीब प्रकार के न्यूमोनिया’ के होने की जानकारी दी और ऐसे किसी भी मामले को सूचित करने को कहा।
2019 में लिखे एक लेख में ‘चाइनीज एक्सप्रेस’ ने SARS या फिर MERS की तरह कोई खतरनाक वायरस के सामने आने की शंका जताई थी और कहा था कि इसकी वजह चमगादड़ ही होंगे लेकिन बावजूद इसके लगातार लापरवाही बरती गई। उस लेख में ये भी कहा गया था कि ये वायरस चीन से ही आएगा। 2019 तो छोड़िए, 2007 में ही एक जर्नल में प्रकाशित हुए आर्टिकल में बताया गया था कि साउथ चीन में चमगादड़ जैसे जानवरों को खाने का प्रचलन सही नहीं है क्योंकि उनके अंदर खतरनाक किस्म के वायरस होते हैं। उस लेख में इस आदत को ‘टाइम बम’ की संज्ञा दी गई थी। चीन में जनता बड़े स्तर पर इससे प्रभावित हुई है और इसका दोष भी वहाँ की सरकार व प्रशासन का है।