नेपाल की राजनीतिक उठा-पठक से चीन टेंशन में है। काठमांडू में अपने राजदूत होउ यांकी के घटते प्रभाव को देखते हुए उसने डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू कर दी है। इस कड़ी में उसने अपने अंतरराष्ट्रीय विभाग के उप-मंत्री गुओ येझोऊ (Guo Yezhou) को काठमांडू भेजने की योजना बनाई है। गुओ को बीजिंग में सियासी पहलवान के तौर पर देखा जाता है।
असल में नेपाल की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी (NCP) पर टूट का खतरा मॅंडरा रहा है। वर्तमान और पूर्व प्रधानमंत्री के बीच संघर्ष चल रहा है। इससे पहले इसी साल मई में जब इसी तरह की स्थिति पैदा हुई थी तो नेपाल में चीन की राजदूत होउ यांकी ने मामले को सँभाल लिया था।
जुलाई में दोबारा विवाद होने के बाद बी चीनी राजदूत के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हो गया था। लेकिन, अब प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली द्वारा संसद भंग करने की सिफारिश के बाद मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
NCP के नेताओं ने इस बात की पुष्टि की है कि गुओ येझोउ रविवार (दिसंबर 27, 2020) को काठमांडू पहुँचेंगे। उनके साथ 4 सदस्यों का एक चीनी प्रतिनिधिमंडल होगा। वे अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ नेपाल की राजधानी में 4 दिनों तक प्रवास करेंगे और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में चल रहे विवाद को सुलझाने की कोशिश करेंगे। NCP (दहल-नेपाल गुट) के विदेश मामलों के उप प्रमुख विष्णु रिजाइ ने बताया कि चीन पार्टी नेताओं के साथ संपर्क में है।
हालाँकि, उन्होंने पूरे प्रकरण के बारे में अधिक कुछ साझा करने से इनकार कर दिया। चीन ने ही CPN-UML और माओवादियों के विलय के बाद इस पार्टी के गठन की भूमिका तैयार की थी, ऐसे में वो इसे टूटने नहीं देना चाहता। शेर बहादुर देउबा और सुशील कोइराला के प्रधानमंत्रित्व काल में विदेश संबंधों के सलाहकार रहे दिनेश भट्टराई का कहना है कि चीन की सीधी प्रतियोगिता नेपाल में भारत से है और अपने हितों को बचाए रखने के लिए उसने भारी निवेश किया है।
उन्होंने कहा कि काठमांडू में अचानक परिवर्तन होने के कारण चीन चिंतित है। सीमा विवाद पर भारत के खिलाफ बयान दे रहे ओली के तेवर अक्टूबर में नरम पड़ गए थे, जब भारत के कुछ राजनयिकों ने उनसे मुलाकात की थी। RAW के मुखिया सुमंत गोयल, भारतीय सेना प्रमुख MN नरवणे और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला से मुलाकात के बाद ओली के तेवर ढीले पड़े थे। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भी इस क्षेत्र में आकर चीनी प्रभाव को कम करने का प्रयास किया था।
इसके बाद चिंतित चीन ने अपने रक्षा मंत्री वेई फेंघे को नेपाल भेजा। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की एक टीम ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं से संपर्क किया। NCP के एक स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य ने बताया कि भारतीय अधिकारियों के दौरे के बाद चिंतित चीन को तब और धक्का लगा, जब ओली ने संसद को ही भंग करने की सिफारिश कर दी। इसके बाद होउ यांकी ने 3 बड़े नेताओं के साथ बैठक कर ये पूछा कि क्या इन परिवर्तनों से चीनी निवेश पर कोई फर्क पड़ेगा?
Beijing appears particularly concerned over the move of Prime Minister KP Oli to dissolve the House of Representatives and the evolving political situation that saw a vertical split of the NCPhttps://t.co/sZWjlemINo
— myRepública (@RepublicaNepal) December 26, 2020
पोखरा में चीन एक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बना रहा है। साथ ही काठमांडू में रिंग रोड का विस्तारीकरण किया जा रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण चीनी निवेशों को धक्का लगा है। सुरक्षा कारणों से भी चीन NCP में टूट के खिलाफ है। नेपाल की राजनीति में चीन इस तरह से कभी सक्रिय नहीं रहा। अब चीन इसीलिए नाखुश है क्योंकि वो NCP नेताओं के बीच ‘गिव एंड टेक’ पर सहमति नहीं बन पाई। ऊपर से लोग चीन का विरोध भी कर रहे हैं।
हाल ही में ‘शीतल निवास’ में होउ यांकी ने मंगलवार (दिसंबर 22, 2020) को नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से मुलाकात कर ताजा स्थिति पर चर्चा की। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संसद को भंग करने की सिफारिश राष्ट्रपति भंडारी को भेज दी थी, जिस पर उन्होंने हस्ताक्षर भी कर दिया है। केपी शर्मा ओली की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट) और पुष्प कमल दहल प्रचंड के कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट) के विलय के बाद ‘नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (NCP)’ का गठन हुआ था।