पूरे विश्व में इस समय भारी तबाही मचाने वाले कोरोना वायरस को लेकर पहले ही चीन संदेह के घेरे में है। ऐसे में अब अमेरिका की खुफिया एजेंसी ने दावा कर दिया है कि उसी के कारण WHO ने समय रहते कोरोना के प्रति दुनिया को सचेत नहीं किया।
इस बात का खुलासा न्यूजवीक की रिपोर्ट के जरिए हुआ है। इस रिपोर्ट का नाम ‘UN-China: WHO Mindful But Not Beholden to China’ है। खबर के अनुसार, नाम न बताने कि शर्त पर दो CIA ऑफिशियल ने इस रिपोर्ट को कन्फर्म किया है।
दरअसल, इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिकी (US) खुफिया एजेंसी CIA के पास इस बात के पक्के सबूत हैं कि चीन के दबाव की वजह से ही वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने वक़्त रहते दुनिया के देशों के लिए कोरोना वायरस की चेतावनी जारी नहीं की।
CIA के मुताबिक चीन ने WHO को धमकी दी थी कि अगर उसने जल्दबाजी में कोई अलर्ट जारी किया तो वो उसे कोरोना संक्रमण की जाँच में शामिल नहीं करेगा।
WHO को दी इस धमकी के पीछे का उद्देश्य PPE, मास्क और अन्य मेडिकल सामनों की जमाखोरी करना बताया जा रहा है। डेली मेल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक जब तक WHO ने चेतावनी जारी नहीं की तब तक चीन दुनिया भर के देशों से महामारी के नाम पर PPE, मास्क, दस्ताने और अन्य ज़रूरी सामान मँगाकर इकठ्ठा करता रहा। मगर जैसे ही ये संक्रमण दुनिया में फैला उसने इन उपकरणों को उच्च दामों में बेचना शुरू कर दिया।
जानकारी के अनुसार, चीन द्वारा WHO पर ये दबाव जनवरी में बनाया गया। इस समय तक वहाँ पर करीब 80,000 केस कोरोना के सामने आ चुके थे और इटली व स्पेन में कोरोना की संख्या बढ़नी तेजी से शुरू हो गई थी। लेकिन, ऐसे हालातों को जानते हुए WHO ने कोरोना की जाँच में बने रहने के लिए इससे जुड़े खतरों को दुनिया को बताने में देर की।
बता दें, सिर्फ CIA ही नहीं, बल्कि जर्मन इंटेलीजेंस एजेंसी ने भी अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने खुद WHO चीफ टेडरॉस एडनॉम से बातचीत की और उन्हें कोरोना संबंधी जानकारी न देने के लिए प्रभावित किया। जबकि, WHO ने इस दावे को खारिज किया है और कहा कि ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई।
जर्मन ख़ुफ़िया एजेंसी BND के मुताबिक, जिनपिंग के कहने पर ही कोरोना के इंसानों से इंसानों में फैलने की बात को 15 दिन तक छिपाया गया। रिपोर्ट में दावा किया गया कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने खुद WHO चीफ टेडरॉस एडनॉम से इस बारे में बातचीत की और उन्हें सभी जानकारी देने से रोका।
बताया जा रहा है कि ताइवान की लैब ने 10 जनवरी को ही WHO को बता दिया था कि वायरस इंसानों से इंसानों में फ़ैल रहा है। लेकिन फिर भी टेडरॉस ने 21 जनवरी को जिनपिंग से मुलाकात की और उनके कोरोना रोकने में उनके प्रयासों को सराहा। 28 जनवरी को टेडरॉस और जिनपिंग की मुलाकात के बाद 30 जनवरी को WHO ने कोरोना को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया।
बता दें, रिपोर्ट्स में ये भी बताया गया है कि चीन के दवाब में WHO ने जो जानकारी देने में देरी दिखाई, उसी की वजह से यूरोप और एशिया के देशों को ट्रैवल बैन, लॉकडाउन औप अन्य सुरक्षा के कदम उठाने में करीब 6 हफ्ते की देरी हुई।
गौरतलब है कि इससे पहले अमेरिका ने WHO पर चीन के साथ मिलीभगत का आरोप लगाते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को मिलने वाले फंड पर रोक लगा दी थी और कहा था कि कोरोना वायरस के चीन में उभरने के बाद इसके प्रसार को छिपाने और गंभीर कुप्रबंधन में संगठन की भूमिका की समीक्षा की जा रही है।