एक देश है। देश क्या, देश के नाम पर मजाक है। नाम है पाकिस्तान। वहाँ के पूर्व विदेश मंत्री कोरोना वायरस संक्रमण पर कुछ अनोखा लेकर आए हैं। वो इसके पीछे एक मूर्खतापूर्ण, हास्यास्पद लेकिन षड्यंत्र भरी थ्योरी लेकर सामने आए हैं। अपनी इस षड्यंत्र थ्योरी में वो अमेरिका पर आरोप लगाते हुए कोरोना वायरस को अमेरिकी लैब में बना हुआ घोषित करते हैं और दुनिया भर में इसे फ़ैलाने के दोषी चीन को इस मामले में क्लीन चिट देते हैं।
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्लाह हुसैन हरुन, ऐसा लगता है जैसे किसी लम्बे व्हाट्सअप मैसेज को पढ़ते हुए, अपनी फंतासी थ्योरी साझा करते हुए दावा करते हैं कि कोरोना वायरस संक्रमण प्राकृतिक न होकर अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और इजरायल की एक सोची-समझी चाल है, जिन्होंने उभरते हुए चीन को थामने के लिए इसे लैब में ईजाद किया है।
पागलों की तरह एक ही बात की रट लगाए हुए यह आदमी अपनी षड्यंत्र थ्योरी में आगे कहता है कि अमेरिका ने इस वायरस को सीरिया में रसायनिक हथियारों के रूप में प्रयोग करने के लिए ईजाद किया था। वह कहते हैं कि इस वायरस को पैदा करने का उद्देश्य ऐसी बीमारी पैदा करना था, जो विश्व भर में लोगों के दिलों में खौफ भर दे।
हरुन अपने इस दावे की क्रोनोलॉजी समझाते हुए कहते हैं- इस वायरस का पेटेंट एक अमेरिकी कम्पनी शिरॉन ने अमेरिकी सरकार से 2006 में प्राप्त किया था। 2014 में इसकी वैक्सीन के पेटेंट के लिए उन्होंने यूरोप में अप्लाई किया था। इसका पेटेंट कुछ वर्षों में दे देना चाहिए था जो कि नवंबर 2019 तक नहीं दिया गया।
संयुक्त राष्ट्र संघ में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत रह चुके हरुन अपने अनर्गल प्रलाप को जारी रखते हुए आगे कहते हैं कि इस वायरस की वैक्सीन को इजरायल में बना लिया गया है, जो सिर्फ उन्हीं देशों को यह वैक्सीन देगा जो इजरायल को संप्रभु देश की मान्यता देंगे। हरून इस वायरस के पीछे के कारण पर जोर देते हुआ कहते हैं कि अमेरिका चीन के शक्तिशाली होते जाने से कई वर्षों से बेहद चिंतित था और उसने चीन को रोकने के लिए सारे तरीके आजमा लिए थे, जो अब तक नाकाम ही सिद्ध हुए। अपनी मूर्खतापूर्ण फंतासी को आगे घसीटते हुए वह कहते हैं कि इस वायरस को मेलिंडा और गेट्स फाउंडेशन से फंडेड एक ब्रिटिश लैब में बनाया गया था, जहाँ से इसको अमेरिका के जॉन हॉपकिंस और ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ ने एयर कनाडा के जरिए वुहान पहुँचाया।
हरुन अपनी मनगढ़ंत कहानी में आगे जोड़ते हैं कि इस वायरस को बनाने में मेलिंडा फाउंडेशन, जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के साथ-साथ वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम तक ने वित्तीय मदद की थी, जिसका सबसे बड़ा फायदा इजरायल को हुआ क्योंकि इसकी वैक्सीन उसी ने बनाई थी।
मजेदार बात यह है कि इनकी बातों को कुछ पाकिस्तानी गंभीरता से लेते देखे गए, जो कहते हैं कि अगर हरुन ने कोई बात कही है तो उसे गंभीरता से लेना चाहिए। तो वहीं कुछ का मानना है कि अल्लाह इस ‘कुफ़्र’ पर भारी पड़ेगा।
हालाँकि कुछ पाकिस्तानियों ने इस अजीबोगरीब फंतासी पर सवाल भी उठाए हैं। इसके बाद हरुन ने एक नया वीडियो पोस्ट किया और अपने दावों को दोहराया। हरुन ने कहा कि यह वायरस चूहा और चमगादड़ खाने से आया है, से ज्यादा तार्किक है यह स्वीकारना कि यह वायरस लैब में पैदा किया गया है। वह पूछते हैं कि चूहा और चमगादड़ तो चीनी हजारों साल से खा रहे हैं फिर अचानक से यह वायरस कहाँ से आ गया?
इसके अलावा हरुन अपने दूसरे वीडियो में यह भी स्वीकारते हैं कि उन्होंने जो पेटेंट नंबर पहले वीडियो में साझा किया था, वह अमेरिकी रिकॉर्ड में नहीं मिलता और इस तरह खुद ही अपने दावे को झुठलाते नजर आते हैं। हालाँकि वह अपने झूठे प्रोपेगेंडा से तनिक भी पीछे न हटते हुए दावा करते हैं कि पेटेंट नंबर को नवंबर 2019 में कैंसिल कर दिया गया था।
हरुन को लगता था कि उनके इस दावे (यह वायरस चीन की देन नहीं बल्कि पश्चिमी देशों की घृणात्मक करतूत है) को, पाकिस्तान में गंभीरता से लिया जाएगा, लेकिन कुछ मूर्ख और कट्टरपंथी पाकिस्तानियों के अलावा वहाँ की बाकी जनता ने ही उन पर विश्वास नहीं किया। बेचारे हरुन अब अपने देश पाकिस्तान में एक हास्यास्पद वस्तु बनाकर रह गए हैं।
याद रहे कि अब तक पाकिस्तान में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 1500 से ऊपर पहुँच गई है। जबकि अमेरिका में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या सवा लाख के लगभग है और जो दुनिया में इस वायरस से संक्रमित लोगों में सबसे ज्यादा है। अमेरिका में अब तक कोरोना से मरने वालों की संख्या 2200 का आँकड़ा पार कर चुकी है तो वहीं ब्रिटेन में उसके प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन समेत 17000 पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं, वहाँ अब तक मरने वालों की संख्या 1000 पार कर गई है।