Friday, April 26, 2024
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ISI से जुड़ा है आतंकियों का सरगना सैयद सलाहुद्दीन, पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करवाने की तैयारी

निदेशक/कमांडिंग अधिकारी वजाहत अली खान के नाम एक पत्र जारी किया गया है। इसमें कहा गया है, "यह प्रमाणित है कि सैयद मुहम्मद यूसुफ शाह (सैयद सलाहुद्दीन), इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई, इस्लामाबाद) के साथ काम कर रहे हैं। वह इस विभाग के अधिकारी हैं।"

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किया है, जिससे आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का संबंध पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से होने का पता चलता है। यह भी पता चला है कि आतंकी संगठन का मुखिया सैयद सलाहुद्दीन ISI के लिए आधिकारिक तौर पर काम करता है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह दस्तावेज पाकिस्तान के खुफिया निदेशालय, इस्लामाबाद की ओर से जारी किया गया है। दस्तावेज में हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन को आधिकारिक तौर पर ‘पाकिस्तान की एजेंसी आईएसआई’ के साथ काम करने वाला अधिकारी बताया गया है।

निदेशक/कमांडिंग अधिकारी वजाहत अली खान के नाम एक पत्र जारी किया गया है। इसमें कहा गया है, “यह प्रमाणित है कि सैयद मुहम्मद यूसुफ शाह (सैयद सलाहुद्दीन), इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई, इस्लामाबाद) के साथ काम कर रहे हैं। वह इस विभाग के अधिकारी हैं।” सलाहुद्दीन के वाहन का विवरण साझा करते हुए निर्देश दिया गया है कि उन्हें सुरक्षा की मॅंजूरी दे दी गई है और अनावश्यक रूप से रोका नहीं जाना चाहिए। इस पत्र में यूसुफ शाह को हिजबुल मुजाहिदीन का अमीर यानी मुखिया बताया गया है।

पत्र की कॉपी (साभार: Times of India)

यह दस्तावेज़ 20 सितंबर 2019 को इस्लामाबाद से जारी किया गया है और यह 31 दिसंबर 2020 तक मान्य है। सलाउद्दीन को हाल ही में पाकिस्तान के रावलपिंडी में मारे गए हिजबुल आतंकवादी रियाज नाइकू के मारे जाने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए देखा गया था।

भारतीय एजेंसियों का मानना है कि यह दस्तावेज सितंबर में होने वाले फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) में पाकिस्तान के खिलाफ काफी महत्वपूर्ण होगा। भारत में आतंकी हमलों में पाकिस्तान की संलिप्तता को लेकर यह एक मजबूत और प्रमाणिक प्रमाण हाथ लगा है। 14 सितंबर को होने वाली समीक्षा में पाकिस्तान को टेरर फंडिंग के लिए ब्लैकलिस्ट भी किया जा सकता है।

बता दें ब्लैकलिस्टिंग को रोकने के लिए तीन वोटों की आवश्यकता होती है, पाकिस्तान मलेशिया, तुर्की और चीन को लुभाने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान ने हाल ही में वित्तीय प्रतिबंधों से बचने के लिए, आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को दिखाने के लिए कुछ कदम उठाए है। उनमें से एक सांविधिक नियामक आदेश (एसआरओ) शामिल था। इसमें उसने 88 नामित आतंकवादियों के मूवमेंट को ‘प्रतिबंधित’ करने की बात कही है।

गौरतलब है कि सैयद सलाहुद्दीन 2016 में पंजाब में पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के मुख्य मास्टरमाइंड हैं। 1946 में पैदा हुआ सलाउद्दीन श्रीनगर के एसपी कॉलेज से ग्रेजुएट और 1971 में कश्मीर विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट है। उसने 1987 में मुस्लिम संयुक्त मोर्चा के टिकट पर अमीराकदल निर्वाचन क्षेत्र से जम्मू-कश्मीर विधानसभा का चुनाव लड़ा था और हार गया था।

हिजबुल आतंकी सैयद संयुक्त जिहाद परिषद (UJC) भी संचालित करता है जो लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे अन्य कट्टरपंथी इस्लामी समूहों के लिए एक छत्र संगठन के रूप में काम करता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, सलाहुद्दीन भारत में प्रॉक्सी एनजीओ और आईएसआई समर्थित चैरिटी जैसे जम्मू और कश्मीर प्रभावित राहत ट्रस्ट (JKART) के माध्यम से काम करता है।

हिज्बुल आतंकवादी इन संगठनों का उपयोग वित्तीय प्रोत्साहन देकर नई नए-नवेले आतंकवादियों की भर्ती करने के लिए करता है। जेकेएआरटी का मुख्य कार्यालय रावलपिंडी में है, जबकि इसकी शाखाएँ इस्लामाबाद, मुजफ्फराबाद सहित कई जगहों पर हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पहले सलाहुद्दीन और 11 अन्य आरोपियों के खिलाफ आतंक के वित्तपोषण से जुड़े मामले में केस दर्ज किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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