इजरायल हमास के बीच दो सप्ताह से युद्ध जारी है। पश्चिम एशिया में तनाव का माहौल है लेकिन इसी दौरान भारत ने इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEEC) पर काम शुरू कर दिया है। 3.5 लाख करोड़ रुपए के निवेश वाली इस परियोजना को भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।
IMEEC work begins with 3.5 lakh crore railways plan to link 8 ports on west coast https://t.co/89dtbNKbtU
— The Times Of India (@timesofindia) October 22, 2023
क्या है पूरी परियोजना
TOI की रिपोर्ट के अनुसार, भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEEC) के तहत भारतीय बंदरगाहों से शिप से संयुक्त अरब अमीरात के फुजैरा तक माल ट्रांसपोर्ट किया जाएगा। इसके बाद वहाँ से कंटेनरों को ट्रेन के जरिए इजरायल में हाइफा तक ले जाना है। हाइफा से, कंटेनर इटली, फ्रांस, यूके और अमेरिका के साथ यूरोप तक जाएँगे। भारत की इस रणनीतिक परियोजना में यूरोपीय देश भी शामिल हैं। मिस्र और उत्तरी अफ्रीका के बंदरगाहों तक भी माल पहुँचाने की योजना इस परियोजना का हिस्सा है।
इस कॉरिडोर के बारे में जानकारी देते हुए रेलमंत्री अश्विन वैष्णव ने बताया, “3.5 लाख करोड़ रुपए के निवेश में कई परियोजनाएँ शामिल हैं जो पाइपलाइन में हैं या जिन्हें हाल ही में मंजूरी दी गई है। इसमें 4,500 करोड़ रुपए का सोन नगर-अंडाल लिंक अपग्रेड भी शामिल है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर योजना का एक प्रमुख तत्व होने जा रहे हैं क्योंकि माल तेजी से आगे बढ़ सकता है।”
रेल मंत्री ने वहीं आशंका जताई कि पश्चिम एशिया में तनाव के चलते इस परियोजना के आगे बढ़ने पर कुछ संदेह उठाया गया था, लेकिन मोदी सरकार ने कहा है कि सभी देशों से बेहतर संबंधों के चलते इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हम आठ बंदरगाहों तक कनेक्टिविटी में सुधार के लिए अपना निवेश बढ़ाएँगे ताकि हम देश के किसी भी हिस्से से 36 घंटे के भीतर इन बंदरगाहों तक पहुँच सकें। और IMEEC का उपयोग करके अपना माल पश्चिम एशिया और यूरोप में तेजी से भेज सकें।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी की भारत की तारीफ
चूँकि इस परियोजना का लाभ अमेरिका को भी मिलने वाला है। जिसकी अमेरिकी राष्ट्रपति ने तारीफ की है। पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने IMEEC को मध्य पूर्व के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना के रूप में बताया था।
जो बाइडेन का कहना है, “अमेरिका और पूरे क्षेत्र में हमारे साझेदार मध्य पूर्व के लिए बेहतर भविष्य बनाने के लिए काम कर रहे हैं। एक ओर जहाँ मध्य पूर्व अधिक स्थिर है, अपने पड़ोसियों से बेहतर जुड़ा हुआ है, और भारत, मध्य पूर्व और यूरोप रेल कॉरिडोर जैसी नवीन परियोजनाओं के माध्यम से नए बाजार और अधिक रोजगार के अवसर पैदा होंगे। साथ ही इस कॉरिडोर के जरिए कनेक्ट होने पर शिकायतें और युद्ध कम हो जाएँगे। इससे मध्य पूर्व के लोगों को फायदा होगा और इससे हमें भी फायदा होगा।”
IMEEC का दीर्घकालिक होगा प्रभाव
वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस परियोजना को भारत के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए तारीफ की थी। उन्होंने कहा था कि IMEEC भारत की ऐसी पहल है जिसका प्रभाव लम्बे समय तक रहेगा। इसका महत्व दीर्घकालिक है।
हालाँकि, निर्मला सीतारमण ने भी मध्य पूर्व के मौजूदा हालात पर चिंता व्यक्त की थी। उनका कहना था कि हम इसके बारे में सोच सकते हैं लेकिन हम सभी हितधारकों के साथ जुड़े रहेंगे। यह परियोजना सिर्फ तत्काल के लिए नहीं है, हमने इसे दीर्घकालिक हित के साथ शुरू किया है। इस योजना का एक प्रमुख तत्व माल की आवाजाही को परेशानी मुक्त बनाना होगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत के साथ-साथ परियोजना का हिस्सा बनने वाले अन्य देशों जैसे संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इजरायल में सभी बंदरगाहों और रेलवे यार्डों पर स्टैंडर्ड वाले उपकरण रखने होंगें। भारत में सील किए गए कंटेनर IMEEC के रास्ते किसी भी देश में खोले बिना पश्चिम एशिया और यूरोप तक सीधे ले जाए जा सकते हैं।