रूस में ईसाई कट्टरपंथियों द्वारा एक हिन्दू आश्रम ‘श्री प्रकाश धाम’ से जुड़े प्रसून प्रकाश और उनके परिवार को लगातार सताए जाने का गंभीर मामला सामने आया है। श्री प्रकाश धाम जो कि रूस, यूरेशिया, यूरोप और यूके में मौजूद केंद्रों का एक समूह है। इस हिन्दू आश्रम को ईसाई कट्टरपंथियों ने न सिर्फ़ बदनाम करने की कोशिश की बल्कि इसके संरंक्षकों पर शारीरिक हमले भी करवाए। इसकी जानकारी आश्रम के निदेशक प्रसून प्रकाश ने ख़ुद दी।
दरअसल, प्रसून प्रकाश भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए ‘श्री प्रकाश धाम’ में सावर्जनिक मामलों के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। उनका जन्म मॉस्को में ही हुआ था और उन्होंने रूसी प्रशासनिक सेवा में अंतरराष्ट्रीय संबंधों (विशेष) पर मॉस्को स्टेट विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया।
उन्होंने बताया, “लगभग चार साल पहले मेरा परिवार और हमारा आश्रम (श्री प्रकाश धाम) राष्ट्रवादी रूढ़िवादी ईसाई गुंडों (कुछ हद तक ईसाई भारतीय हिन्दू समूहों के ईसाई के समान, अगर ऐसा कहना सही है) का शिकार हो गया।” इस बात की पुष्टि के लिए उन्होंने उन लेखों का ज़िक्र किया जिसमें इस घटना का उल्लेख किया गया था। यह लेख ‘न्यूज़वीक’ और ‘डेली कॉलर’ में छपे थे। इन्हें पढ़ने के लिए कृपया नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें:
- RELIGION IN RUSSIA: ORTHODOX CHRISTIAN ANTI-CULT ACTIVIST ACCUSED OF TARGETING, HARASSING LEADING HINDU GURU
- Russia Is Waging War On Religious Minorities, But Now They’re Fighting Back [VIDEO]
इन लेखों को पढ़ने के बाद यह बात स्पष्ट हो गई कि आश्रम के धर्मगुरू श्री प्रकाश का जीवन लंबे समय से प्रताड़ित रहा जिसमें रूढ़िवादी ईसाईयों ने उन्हें कई बार धमकियाँ भी दीं कि वो रूस से बाहर चले जाएँ। धर्मगुरू ने मीडिया से हुई बातचीत में बताया कि रूस में वो 1990 से शांति से रह रहे थे, जिसमें पहले वो एक मेडिकल स्टूडेंट थे, और फिर एक आध्यात्मिक गुरू के तौर पर थे। लेकिन यह स्थिति उस समय बदल गई जब हिन्दू-विरोधी अलेक्जेंडर ड्वोर्किन की नज़र उनके आश्रम पर पड़ी।
धर्मगुरू श्री प्रकाश के अनुसार, उनके आश्रम और उनके घर को खोजकर उनके पास फ़र्ज़ी पत्रकारों को भेजा गया। उनके आश्रम में विरोधी लोग अनुयायी की शक्ल में आते, फ़र्ज़ी पत्रकार आश्रम और उनकी तस्वीरें लेते, वीडियो रिकॉर्डिंग करते और इस तरह आश्रम और धर्मगुरू के बारे में ग़लत प्रचार करते।
इस बारे में प्रसून प्रकाश ने बताया कि आश्रम और उन्हें बदनाम करने का सिलसिला इंटरनेट, टीवी और रेडियो से शुरू हुआ। यहाँ तक कि उनके ऊपर शारीरिक हमले तक करवाए गए। इन सब गतिविधियों से तंग आकर जब उन्होंने कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया तो उनके वकील जो कि पुतिन समर्थक थे, उन पर FSB द्वारा केस न लड़ने का दबाव बनाया गया। उन्होंने बताया कि हमने इस मामले को संयुक्त राष्ट्र और रूसी संसद में भी उठाया।
प्रसून प्रकाश ने जानकारी दी कि फ़िलहाल, स्थिति क़ाबू में है क्योंकि पिछले साल, 10 दिसंबर को उन्होंने रूस और भारत द्वारा इस मामले पर की गई कवरेज की मदद से उपरोक्त हिन्दू-विरोधी ईसाई संगठन के ख़िलाफ़ मामला जीत लिया था। इस जीत में कई लोगों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इसमें हमारे नए वकील जो कि मुस्लिम थे और कुछ पत्रकार शामिल हैं जिन्होंने इस मुद्दे को गंभीरता से प्रकाशित किया।
इसके अलावा यह मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन तक पहुँच चुका है। प्रसून प्रकाश ने इस बात की भी जानकारी दी कि दो साल पहले उन्होंने रूसी मीडिया की उच्चस्तरीय बैठक में तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री जनरल वी.के. सिंह से भी मुलाक़ात की थी। इस मामले में श्री प्रकाश धाम और उससे जुड़े कार्यकर्ताओं को भारत सरकार से काफ़ी उम्मीदें हैं।