Thursday, November 14, 2024
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‘काफिरों की मदद करना इस्लाम में हराम, नहीं ज्वॉइन करना चाहिए भारतीय वायुसेना’: अरबी मौलाना की मुस्लिमों को भड़काऊ सलाह

अल-हकीम ने अक्टूबर में एक व्यक्ति को अपनी पत्नी को केवल इसलिए तलाक देने का सुझाव दिया था, क्योंकि उसकी बीवी ने हिंदुओं के त्योहार नवरात्रि को मनाया था।

इस्लामिक देश सऊदी अरब के इस्लामिक उपदेशक असीम अल हकीम ने 29 अक्टूबर 2021 को ट्विटर पर एक फॉलोवर्स के सवाल के जवाब में कहा कि मुस्लिमों को भारतीय वायुसेना में पायलट के तौर पर शामिल होने की ‘इजाजत’ नहीं है। इस्लामिक मौलाना ने इसका कारण नहीं बताया, लेकिन उसके फॉलोवर्स ने कुरान का हवाला देते हुए कहा कि अल्लाह ने मुस्लिमों को गैर-मुस्लिमों की मदद करने की अनुमति नहीं दी है।

दरअसल, हलाल मगुइर नाम के एक ट्विटर यूजर ने इस इस्लामिक उपदेशक को टैग कि कर पूछा था, “क्या एक पायलट के रूप में हम भारतीय वायुसेना में शामिल हो सकते हैं?” यूजर के सवाल के जवाब देते हुए उपदेशक ने कहा, “इसकी अनुमति नहीं है।”

साभार: ट्विटर

उपदेशक ने इंडियन एयरफोर्स ज्वाइन करने की इजाजत नहीं होने की बात तो कह दी, लेकिन कुछ ट्विटर यूजर ने सवाल किया कि आखिर मुस्लिम भारतीय वायुसेना क्यों नहीं हो सकते? सोशल मीडिया उपदेशक से ऐसा कहने के पीछे का कारण जानना चाह रहे हैं।

इसी क्रम में असीम के ट्वीट का हवाला देते हुए ट्विटर यूजर H_1_N_D ने बताया कि आखिर क्यों मुस्लिमों को भारतीय वायुसेना में शामिल होने की इजाजत नहीं है। यूजर ने कुरान के चौथे अध्याय अन-निसा के आयत 4:76 को का हवाला दिया। इसका मोटे तौर पर अनुवाद है, “ईमान वाले अल्लाह की राह में लड़ते हैं, जबकि काफिर शैतान की राह में लड़ते हैं। तो फिर शैतान के मानने वालों से लड़ो। निश्चय ही शैतान की रणनीति कमजोर है।”

साभार: ट्विटर

इस्लामिक स्टडीज वेबसाइट के मुताबिक, यह आयत अल्लाह के फैसले के बारे में बताती है कि अल्लाह को मानने वाले मुस्लिम को धरती पर अपना धर्म स्थापित करने के लिए अल्लाह के लिए संघर्ष करना चाहिए। इसमें इस्लाम को नहीं मानने वालों के खिलाफ युद्ध की बात कही गई है। इसके मुताबिक, इस्लाम को नहीं मानने वाले शैतान के साथी हैं।

कौन है असीम अल-हलीम?

असीम अल-हकीम इस्लामी दुनिया के प्रमुख धार्मिक नेताओं में से एक है। सऊदी अरब के रहने वाले असीम टीवी और रेडियो के लिए अरबी और अंग्रेजी में कार्यक्रम संचालित करते हैं। उसे अक्सर हुडा टीवी और जाकिर नाइक के पीस टीवी पर देखा जा सकता है। वह अपने चाहने वालों को कुरान और हदीस की प्रामाणिक बातें सिखाने का दावा करते हैं। उन्होंने किंग अब्दुल अजीज विश्वविद्यालय से भाषा विज्ञान में बीए और उम्म अल-कुरा विश्वविद्यालय से इस्लामिक स्टडीज में डिप्लोमा किया है। वह बीते 20 साल से जेद्दा की एक मस्जिद में इमाम के तौर पर काम कर रहे हैं।

असीम अल-हकीम का विवादों से पुराना नाता है। इसी साल अक्टूबर में उन्होंने एक व्यक्ति को अपनी पत्नी को केवल इसलिए तलाक देने का सुझाव दिया था, क्योंकि उसकी बीवी ने हिंदुओं के त्योहार नवरात्रि को मनाया था। इसी तरह से इस इस्लामिक उपदेशक ने पिछले साल जून में दावा किया था कि विरोध करना ‘इस्लाम में हराम’ है। इसके अलावा उन्होंने साल 2018 में बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी को भी इस्लामिक कानून के तहत हराम करार दिया था, क्योंकि इसका इस्तेमाल ड्रग्स और मनी लॉन्ड्रिंग में किया जाता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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