भारत और अमेरिका लगातार पाकिस्तान के आतंकियों को वैश्विक आतंकी घोषित करने की कोशिशों में लगे हुए हैं। लेकिन चीन है जो पाकिस्तान प्रेम में आतंकियों के बचाव में आकर ऐसा नहीं होने देता। बुधवार (19 अक्टूबर 2022) को भी यही देखने को मिला। भारत और अमेरिका चाहते थे किसी तरह लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी शाहिद महमूद को वैश्विक आतंकी करार दिया जाए मगर चीन ने अपनी टांग अड़ा कर उसमें रोक लगा दी।
इस साल में ऐसा चौथी बार हुआ है। चीन जानता है कि महमूद को यूएस के ट्रेजरी विभाग ने साल 2016 में वैश्विक आतंकी करार दिया था। उसे लेकर जानकारी भी है कि वो गाजा से लेकर बांग्लादेश के रोहिंग्या रिफ्यूजी कैंप, म्यांमार, सऊदी अरब, तुर्की और सीरिया जैसी जगहों पर जा जाकर अपने संगठन में लड़कों को जोड़ता रहा है। इसके अलावा जून 2015 से जून 2016 तक शाहिद महमूद लश्कर-ए-तैयबा को फंड देने वाले संगठन फलाह-ए-इंसानियत (FIF) का उपाध्यक्ष भी था
Pak प्रेम में चीन ने कई बार किया आतंकियों का बचाव
बता दें कि शाहिद महमूद अकेला आतंकी नहीं है जिसे चीन का सहारा मिला हो। इससे पहले जून में अब्दुल रहमान मक्की को वैश्विक आतंकी बनाने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पास गया था। वह खूँखार आतंकी हाफिज सईद का रिश्तेदार था। उस पर आरोप था कि वह जम्मू-कश्मीर के लड़कों को कट्टरपंथी बना रहा था और प्रदेश में हमले करवाने में भी उसका नाम था। हालाँकि चीन ने उसे भी वैश्विक आतंकियों की लिस्ट में शामिल करने पर टांग अड़ा दी।
इसके बाद अगस्त 2022 में चीन ने पाकिस्तान के जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी अब्दुल रउफ का भी बचाव किया था। भारत अमेरिका चाहते थे कि रउफ को बैन किया जाए। लेकिन चीन बीच में आया और अपनी शक्ति का प्रयोग करके ऐसा होने से रोक दिया।
सितंबर में यही हाल साजिद मीर को लेकर उठी माँग पर हुआ था। साजिद मीर भारत में मोस्ट वांटेड आतंकियों में से एक है। उसे 26-11 का मुख्य हैंडलर माना जाता है। भारत और अमेरिका दोनों चाहते थे कि UN सुरक्षा परिषद 1267 समिति (सैंक्शन रिजीम) के तहत उस पर प्रतिबंध लगे। लेकिन चीन आया और एक ऐसे आतंकी के वैश्विक आतंकी घोषित होने पर रोक लग गई जिसके ऊपर 5 मिलियन डॉलर इनाम है।
बता दें कि ये कुछ मामले हैं जो केवल साल 2022 में ही देखने को मिले। इस वर्ष से पहले ऐसे कई मौके आए हैं जब चीन ने आतंक को रोकने की जगह उन्हें बढ़ावा देने का काम किया।