ब्रिटिश इंडिया के आखिरी वायसराय रहे लॉर्ड लुइस माउंटबेटन (Lord Mountbatten) पर 1970 के दशक में उत्तरी आयरलैंड के बेलफास्ट में बॉयज होम में दो बार 11 वर्षीय लड़के का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया था। पीड़ित की पहचान आर्थर स्मिथ के रूप में की गई है। उसने आरोप लगाया था कि यह घटना 1977 में किनकोरा बॉयज होम में हुई थी। स्मिथ के अनुसार, 2 साल बाद 1979 में उसे आरोपित के बारे में पता चला।
लॉर्ड लुइस माउंटबेटन ब्रिटिश शाही परिवार के सदस्य और मौजूदा प्रिंस चार्ल्स III के चाचा थे। स्मिथ अब 56 साल के हैं और ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं। उन्होंने किनकोरा में बच्चों की सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम करने में विफल रहने पर पुलिस सहित स्थानीय निकायों के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। याद हो कि लॉर्ड माउंटबेटन की पत्नी एडविना के साथ अक्सर जवाहरलाल नेहरू का नाम जोड़ा जाता है और एडविना की सिगरेट जलाते हुए उनकी तस्वीर भी वायरल होती है।
केआरडब्ल्यू लॉ-एलएलपी के केविन विंटर्स अदालत में पीड़ित का प्रतिनिधित्व करेंगे। उन्होंने कहा, “मैं इस मामले को सबके सामने लाने के लिए आर्थर की बहादुरी की सराहना करता हूँ। अधिकतर मामलों में यौन उत्पीड़न के शिकार कई लोग खामोश रहना ही पसंद करते हैं। उन्होंने कहा, “पुलिस और स्थानीय निकायों के असंवेदनशील रवैये के कारण उसमें आक्रोश है। यही कारण है कि आर्थर ने इस तरह से अपनी पहचान उजागर की है। उसके निर्णय को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।”
Though allegations have long circulated, this is the first time accusations of paedophile abuse against Lord Mountbatten—King Charles’ great-uncle—will be aired in court.
— Omid Scobie (@scobie) October 16, 2022
Statement from law firm acting on behalf accuser Arthur Smyth, who says there was an institutional cover up: https://t.co/W9ElM8WGyn pic.twitter.com/48SQKUjPoH
विंटर्स ने कहा, “वह अच्छी तरह से समझता है कि इस मामले में कई लोगों की कलई खुलेगी। यह अपराधियों, संस्थानों या अन्य एजेंसियों को उजागर करने सहित कई कारणों से लिया गया निर्णय है, जिन्होंने सच्चाई को दबाने में मदद की। हमारे मुवक्किल ने अपने साथ हुए घृणित कार्य को सबके सामने लाने के लिए काफी कुछ सहा है। उसने पूरे आत्मविश्वास के साथ इसे सार्वजनिक मंच पर लाने का निर्णय लिया है।”
इस साल सितंबर में बेलफास्ट हेल्थ एंड सोशल केयर ट्रस्ट, बिजनेस सर्विसेज ऑर्गनाइजेशन, यूके सेक्रेटरी ऑफ स्टेट, पीएसएनआई के चीफ कांस्टेबल और स्वास्थ्य विभाग सहित कई संस्थानों को इस मामले में पूर्व कार्रवाई को लेकर पत्र जारी किए गए थे।
लॉर्ड माउंटबेटन की कमजोरी थे युवा लड़के: एफबीआई
अगस्त 2019 में ‘द डेली मिरर’ ने डीक्लासिफाइड फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) फाइलों का हवाला देते हुए बताया था कि ब्रिटिश इंडिया के पूर्व वायसराय युवा लड़कों के साथ समलैंगिक रिश्ते बनाने के लिए काफी आतुर रहते थे। कथित फाइलों का पता इतिहासकार एंड्रयू लोनी ने लगाया था, जिन्होंने अपनी पुस्तक ‘द माउंटबेटन्स: देयर लाइव्स एंड लव्स’ के लिए शोध सामग्री एकत्रित करने के लिए सूचना की स्वतंत्रता कानून का इस्तेमाल किया था।
‘द डेली मिरर’ ने लॉर्ड माउंटबेटन को यह कहते हुए कोट किया था, “(हमने) अपना सारा विवाहित जीवन दूसरे के बिस्तर पर बिताया।” लोनी की किताब के अनुसार, लॉर्ड माउंटबेटन की पसंदीदा जगह एक एक ऐसा वेश्यालय था, जहाँ समलैंगिक संबंध बनाए जाते थे। यहाँ नौसेना के अधिकारी अक्सर आते-जाते रहते थे। लॉर्ड माउंटबेटन, जिनकी 1979 में प्रोविजनल आयरिश रिपब्लिकन आर्मी (IRA) द्वारा हत्या कर दी गई थी, की अमेरिका द्वारा 3 दशकों से अधिक समय तक जासूसी की गई थी।
एंथनी डेली का हवाला देते हुए उन्होंने दावा किया, “सेना की वर्दी में सुंदर युवा पुरुष और स्कूल की वर्दी में सुंदर लड़के – माउंटबेटन को ये आकर्षित करते थे।” 1944 में एक साक्षात्कार में अमेरिकी लेखक एलिजाबेथ डे ला पोएर बेरेसफोर्ड ने कहा था, “लॉर्ड लुइस माउंटबेटन और उनकी पत्नी को बेहद निम्न मानसिकता वाला व्यक्ति माना जाता है।” FBI ने उन्हें यह कहते हुए कोट किया, “लॉर्ड लुइस माउंटबेटन को युवा लड़कों के साथ समलैंगिक रिश्ते बनाने के लिए जाना जाता था। इसके चलते वह किसी भी प्रकार के सैन्य अभियानों को निर्देशित करने के लिए एक अयोग्य व्यक्ति थे।”
एक अन्य संघीय दस्तावेज के अनुसार, मई 1968 में लॉर्ड लुई माउंटबेटन की समलैंगिकता को लेकर एक राजनयिक एंथनी न्यूटिंग और पूर्व ब्रिटिश पीएम एंथनी ईडन के साथ चर्चा की गई थी। हाल के दिनों में, इतिहासकार एंड्रयू लोनी ने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और एडविना माउंटबेटन के बीच साझा किए गए व्यक्तिगत पत्रों का पता लगाने की कोशिश की थी, हालाँकि वे असफल रहे।
बेलफास्ट में लड़कों का घर
2017 में, हिस्टोरिकल इंस्टीट्यूशनल एब्यूज इंक्वायरी द्वारा की गई एक जाँच में पाया गया कि किनकोरा बॉयज होम में उसके मालिक विलियम मैकग्राथ द्वारा 39 लड़कों का यौन शोषण किया गया था। यह जाँच सेवानिवृत्त न्यायाधीश एंथनी हार्ट द्वारा की गई थी। उनके अनुसार, पुलिस (रॉयल अल्स्टर कांस्टेबुलरी) इस मामले की जाँच करने में पूरी तरह से नाकाम रही। उन्होंने कहा कि अगर उचित जाँच की गई होती तो कई पीड़ितों को बचाया जा सकता था।
कथित तौर पर, बॉयज होम के तीन पूर्व कर्मचारी, मैकग्राथ, रेमंड सेम्पल और जोसेफ मेन्स को 1981 में कुल 11 लड़कों का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्त में लिया गया था। इस होम को Protestant Paramilitary Organisation के एक सदस्य द्वारा चलाया जा रहा था। हालाँकि, न्यायाधीश ने इन दावों को खारिज कर दिया था कि किनकोरा बॉयज होम में एक समलैंगिक वेश्यालय संचालित किया जा रहा था और ब्रिटिश सुरक्षा एजेंसियाँ रसूखदार नेताओं की जासूसी करने के लिए आरोपित पीडोफाइल को ब्लैकमेल कर रही थीं।
उन्होंने कहा, “हमारी जाँच में यह दिखाने के लिए कोई विश्वसनीय सबूत नहीं मिला है कि किनकोरा में स्थानीय लोगों के यौन शोषण में दूसरों लोगों की संलिप्तता के बारे में वर्षों से लगाए गए आरोपों का कोई आधार है, या फिर सुरक्षा एजेंसियों की इसमें कोई मिलीभगत थी।”