Friday, November 15, 2024
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‘सब कुछ वियना संधि के अनुसार’: राजनयिकों की डिप्लोमैटिक छूट खत्म करने के बाद कनाडा ने उठाए सवाल तो भारत ने दिया करारा जवाब

दरअसल, कनाडा में खालिस्तानी आंतकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद चल रहा है। कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने वहाँ की संसद में इसके लिए भारत को जवाबदेह ठहराया था। हालाँकि, भारत द्वारा बार-बार माँग करने के बाद भी उन्होंने कोई सबूत पेश नहीं किया है।

भारत के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार (20 अक्टूबर 2023) को एक बयान जारी कर कनाडा के राजनियकों को वापस भेजने के अपने कदम को सही ठहराते हुए करारा जवाब दिया है। भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों और उनके साथ रह रहे 42 लोगों को मिली ‘डिप्लोमैटिक छूट’ को वापस लिया है।

दरअसल, कनाडा ने भारत की इस कार्रवाई को एकतरफ़ा करार दिया था। उसने भारत पर कूटनीतिक रिश्तों को लेकर वियना संधि के अंतरराष्ट्रीय नियम-कायदों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। कनाडा के इस आरोप का भारतीय विदेश मंत्रालय ने खंडन किया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “हमने भारत में कनाडाई राजनयिकों की मौजूदगी संबंधित 19 अक्टूबर 2023 का कनाडा सरकार का बयान देखा। हमने ये फैसला हमारे द्विपक्षीय रिश्तों के हालात, भारत में कनाडाई राजनयिकों की बहुत अधिक संख्या और हमारे आंतरिक मामलों में उनकी लगातार दखलअंदाजी को लेकर फैसला लिया है।”

बागची ने आगे कहा, “नई दिल्ली और ओटावा में आपस में दोनों देशों में राजनियकों की मौजूदगी में समानता की बात है। कनाडा में भारत के मुकाबले भारत में कनाडा के राजनियकों की संख्या बहुत अधिक है। दोनों देशों में राजनियकों की समान संख्या रखने के तौर-तरीकों और इसे लागू करने के लिए हम बीते महीने से कनाडाई पक्ष के साथ बात कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “इस समानता को लागू करने में हमारे काम पूरी तरह से तर्कसंगत हैं। राजनयिकों की समान संख्या को लेकर की गई हमारी कार्रवाई वियना संधि के अनुच्छेद 11.1 के मुताबिक है।” बागची ने कहा, “हमारे राजनियकों की समानता के नियम को लागू करने के प्रयास को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन बताने की कोशिश को हम सिरे से नकारते हैं।”

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने वियना संधि का हवाला देते हुए कहा, “मिशन (राजनियकों) के आकार के बारे में विशिष्ट समझौते की गैर-मौजूदगी में अपने क्षेत्र में मिशन रखने वाले देश को उसकी जरूरतों, हालात और शर्तों को ध्यान में रखते हुए मिशन का आकार तय की गई सीमा के अंदर रखने की जरूरत हो सकती है। ये सही और सामान्य है।”

वहीं, भारत सरकार के बयान से कुछ समय पहले ही कनाडा की विदेश मंत्री मेलैनी जोली ने कहा, “भारत ने 20 अक्टूबर 2023 तक दिल्ली में 21 कनाडाई राजनयिकों और उनके आश्रितों को छोड़कर सभी के लिए गलत तरीके से राजनयिक छूट हटाने के बारे में औपचारिक रूप से बता दी है।”

जोली ने लिखा, “भारत ने मनमानी तारीख पर 41 राजनयिकों और उन पर आश्रित 42 लोगों की राजनयिक छूट को हटाने की एकतरफ़ा कार्रवाई की जानकारी दी है। इससे उनकी निजी सुरक्षा खतरे में पड़ गई है।” उन्होंने कहा कि कनाडा के लोग ये देखकर हैरान हो सकते हैं कि भारत में काम करने का क्या मतलब है।

उन्होंने आगे लिखा, “इसमें कोई शक नहीं है कि भारत का ये फैसला दोनों देशों में वाणिज्य दूतावासों की सेवाओं के स्तर पर असर डालेगा। बदकिस्मती से हमें चंडीगढ़, मुंबई और बेंगलुरु में अपने वाणिज्य दूतावासों में सभी निजी सेवाओं पर रोक लगानी होगी।”

गौरतलब है कि भारत ने दो हफ्ते पहले ही कनाडा से दिल्ली स्थित अपने उच्चायोग से दर्जनों कर्मचारियों को वापस बुलाने के लिए कहा था। ऐसा न करने पर भारत उनकी डिप्लोमैटिक इम्युनिटी मतलब राजनयिक सुरक्षा वापस लेने की चेतावनी दी थी।

ये विदेशी राजनयिकों को मिलने वाले विशेषाधिकारों की छूट होती है। इसमें वो स्थानीय कानूनों के दायरे से भी छूट पाते हैं। कनाडा ने भारत की इस चेतावनी को ‘अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन’ कहा था।

दरअसल, कनाडा में खालिस्तानी आंतकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद चल रहा है। कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने वहाँ की संसद में इसके लिए भारत को जवाबदेह ठहराया था। हालाँकि, भारत द्वारा बार-बार माँग करने के बाद भी उन्होंने कोई सबूत पेश नहीं किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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