Tuesday, November 26, 2024
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जानिए क्या है SCO जिसकी बैठक में शामिल होने गोवा आए हैं बिलावल भुट्टो जरदारी, 12 साल बाद भारत में पाकिस्तान का विदेश मंत्री

SCO की स्थापना 15 जून 2001 में चीन और रूस ने की थी। बाद में भारत को इसका सदस्य बनाया गया। भारत में SCO की बैठक 4 मई और 5 मई को है। SCO का फोकस स्टार्टअप्स, पारंपरिक चिकित्सा, युवा सशक्तीकरण और विज्ञान एवं तकनीक पर है।

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए पाकिस्तान के विदेश बिलावल भुट्टो जरदारी (Bilawal Bhutto Zardari) गुरुवार (4 मई 2023) को भारत पहुँच गए। गोवा पहुँचकर उन्होंने कहा कि वे पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। पाकिस्तान के किसी विदेश मंत्री की 12 साल के बाद यह पहली भारत यात्रा है।

इससे पहले पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार साल 2011 में भारत आई थीं। उस समय भारत में कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए (UPA) की सरकार थी। वहीं, पाकिस्तान में प्रधानमंत्री यूसुफ़ रज़ा गिलानी के नेतृत्व वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) की सरकार थी। हीना ने तत्कालीन विदेश मंत्री एमएम कृष्णा से मुलाकात की थी। गिलानी ने शाह महमूद कुरैशी को विदेश मंत्री पद से हटाकर हिना को विदेश मामलों का राज्यमंत्री बनाया था।

2018 में पहली बार सांसद बने 34 साल के बिलावल भुट्टो पाकिस्तान के युवा मंत्रियों में से एक हैं। उन्होंने अपनी भारत यात्रा को लेकर किए गए ट्वीट में लिखा, “मैं गोवा के रास्ते में हूँ। वहाँ पहुँचकर SCO समिट में अपने देश का प्रतिनिधित्व करूँगा। बैठक में शामिल होने का मेरा फैसला SCO के चार्टर के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। SCO पर केंद्रित अपनी इस यात्रा के दौरान मैं मित्र राष्ट्र के अपने समकक्षों के साथ रचनात्मक चर्चा की उम्मीद करता हूँ।”

बिलावल भुट्टो पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और एक हमले में मारी गईं पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे हैं। बिलावल का जन्म 21 सितंबर 1988 को पाकिस्तान के कराची शहर में हुआ था। उनकी पढ़ाई-लिखाई ब्रिटेन में हुई है। इमरान खान की सरकार गिरने के बाद वहाँ बनी शहबाज शरीफ की सरकार की सरकार में वे 27 अप्रैल 2022 को मुल्क के 37वें विदेश मंत्री बने।

अपनी आत्मकथा में खुद को राजस्थान के भाटी राजपूतों का वंशज बताने वाली बेनजीर भुट्टो ने अपने बाद बिलावट भुट्टो को ‘पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी’ का अध्यक्ष बनाने के लिए कहा था। बिलावल के बालिग होते ही उन्हें इसकी कमान दे दी गई। पाकिस्तान की सरकार में भागीदार हैं। शाहबाज शरीफ की सरकार बनने के बाद वे पाकिस्तान के 37वें विदेश मंत्री बने हैं। यह उनकी पहली आधिकारिक भारत यात्रा है। वे गोवा में आयोजित SCO बैठक में हिस्सा लेंगे।

बता दें कि भारत में आतंकवाद को प्रायोजित करने के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध अनुकूल नहीं हैं। भारत पिछले 7 सालों से पाकिस्तान के साथ किसी तरह का संवाद नहीं कर रहा है। बैठक में आने से पहले बिलावल ने कहा था कि उनका दौरा भारत से संबंधों को सुधारने को लेकर नहीं है।​ उन्होंने कहा था कि यह SCO की बैठक तक ही सीमित है। बता दें कि साल 2020 में जैसलमेर रियासत के पूर्व महाराजा बृजराज सिंह के निधन पर भुट्टो परिवार ने शोक संदेश भेजा था। 

भुट्टो परिवार के चौथे व्यक्ति की भारत यात्रा

भुट्टो परिवार के तीन सदस्य अब तक भारत आ चुके हैं। साल 1972 में पहली बार बिलावल भुट्टो के नाना और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो भारत आए थे। साल 1971 की जंग में मिली हार के बाद वे साल 1972 में शिमला समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए भारत आए थे।

साल 2002 में उनकी माँ बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की महिला प्रधानमंत्री के रूप में भारत आई थीं। बेनजीर ने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मुलाकात की थी। इसके बाद साल 2012 में बिलावल के पिता और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री आसिफ अली जारदारी भारत आए थे। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी।

पीएम मोदी और भारत के प्रति तल्ख रहे हैं बिलावल

बिलावल भुट्टो भारत के प्रति हमेशा तल्ख रूख अपनाए रहे हैं। 5 दिसंबर 2023 को संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में बिलावल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कसाई कहा था। उन्होंने कहा था, “ओसामा बिन लादेन तो मर गया, लेकिन गुजरात का कसाई अभी जिंदा है और वह भारत का प्रधानमंत्री है।” इसके बाद भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि भुट्टो 1971 भूल गए हैं, जब पाकिस्तान के 90,000 से ज्यादा सैनिकों ने भारतीय सेना के आगे सरेंडर किया था।

इसके बाद 18 दिसंबर 2022 को बिलावल ने कहा था, “मैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी पार्टी भाजपा और RSS से नहीं डरता।” PM मोदी को कसाई कहने वाले बयान पर उन्होंने कहा था, “उनका मकसद भारत में मुस्लिमों के खिलाफ हो रहे भेदभाव और नफरत के खिलाफ आवाज उठाना था।” मई 2022 में बिलावल भुट्टो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हाटने और परिसीमन लागू करने का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि भारत में कश्मीरियों का उत्पीड़न हो रहा है।

बिलावल भुट्टो ने साल 2014 में पहली बार कश्मीर को लेकर बयान दिया था। उन्होंने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के कार्यकर्ताओं से कहा था, “मैं पूरा कश्मीर वापस लूँगा। मैं इसका एक इंच जमीन भी भारत के लिए नहीं छोड़ूँगा, क्योंकि कश्मीर सिर्फ पाकिस्तान का है। पाकिस्तान के बाकी राज्यों की तरह कश्मीर भी हमारा है।”

भारत के विदेश मंत्री से मुलाकात नहीं होगी

इस दौरे में बिलावल भुट्टो का भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मुलाकात नहीं होगी। यह बात बिलावल भुट्टो जानते हैं। इसीलिए उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर दिया कि इस यात्रा का मकसद भारत से संबंध सुधारना नहीं, बल्कि SCO की बैठक में हिस्सा लेना है। दरअसल, कुछ दिन पहले ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को लेकर एक कड़ा बयान दिया था।

जयशंकर ने कहा था कि भारत का पड़ोसी देश अभी भी आतंकवाद को प्रश्रय दे रहा है। डोमिनिकन रिपब्लिक के दौरे में विदेश मंत्री ने कहा था कि पिछले कुछ समय से भारत ने पड़ोसी पहले की नीति अपनाई है, लेकिन पाकिस्तान इसका अपवाद है, क्योंकि वह सीमा पार से आतंकवाद को समर्थन देना अभी भी नहीं छोड़ा है।

क्या है SCO?

इस साल SCO की अध्यक्षता भारत कर रहा है और इसकी बैठक गोवा में हो रही है। वर्तमान में SCO के 8 सदस्य देश हैं- भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान। इसके अलावा पूर्ण सदस्यता ग्रहण करने के इच्छुक 4 पर्यवेक्षक देश- अफगानिस्तान, ईरान, मंगोलिया और बेलारूस। इसके साथ ही SCO में 6 डायलॉग पार्टनर भी हैं, जिनमें नेपाल, कंबोडिया, श्रीलंका, आर्मेनिया, अजरबैजान और तुर्की शामिल हैं।

इस संगठन की स्थापना 15 जून 2001 में चीन और रूस ने की थी। बाद में भारत को इसका सदस्य बनाया गया। भारत में SCO की बैठक 4 मई और 5 मई को है। इस बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस और चीन के विदेश मंत्रियों के साथ-साथ अन्य सदस्य देशों के मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। SCO का फोकस स्टार्टअप्स, पारंपरिक चिकित्सा, युवा सशक्तीकरण और विज्ञान एवं तकनीक पर है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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