भारत, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका के 250 हिंदू भक्तों का एक समूह पाकिस्तान का दौरा करेगा। यह समूह यहाँ के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में परमहंस जी महाराज के एक शताब्दी पुराने मंदिर में दर्शन करेगा। इस मंदिर को पिछले साल 30 दिसंबर को कट्टरपंथी इस्लामी संगठन जमीयत उलेमा इस्लाम-फजल ने तोड़ दिया था।
यह मंदिर संत श्री परमहंस दयाल जी महाराज को समर्पित है। बता दें कि साल 1919 में परमहंस जी महाराज के निधन के बाद उन्हें इस क्षेत्र के करक जिले में स्थित टेरी गाँव में दफनाया गया था और समाधि बनाई गई थी। इसके बाद साल 1920 में यहाँ मंदिर का निर्माण किया गया था।
पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, पाकिस्तान हिंदू परिषद (PHC) ने बताया कि ये सभी श्रद्धालु पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के निमंत्रण पर यहाँ आ रहे हैं और वो टेरी में स्थित समाधि स्थल पर जाएँगे। पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने वाले पीएचसी के अध्यक्ष डॉ. रमेश कुमार वंकवानी ने कहा कि यह दूसरा मौका है, जब काउंसिल ने दूसरे देशों में बसे हिंदू श्रद्धालुओं को यह दिखाने के लिए बुलाया है कि पाकिस्तान में एक सहिष्णु और बहुलतावादी सोसायटी का भी अस्तित्व है। बता दें कि डॉक्टर रमेश कुमार वंकवानी पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य भी हैं। काउंसिल ने पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस के सहयोग से यह पूरा कार्यक्रम आयोजित किया है।
इससे पहले नवंबर में भारत, कनाडा, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और स्पेन के 54 हिंदुओं ने टेरी मंदिर के दर्शन किए थे। उनका नेतृत्व परमहंस जी महाराज के पाँचवें उत्तराधिकारी श्री सतगुरु जी महाराज जी ने किया था।
हिंदू परिषद ने पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश के साथ दरगाह पर मनाई दिवाली
आठ नवंबर को पीएचसी ने एक शताब्दी पुराने इस मंदिर में दिवाली मनाने के लिए एक समारोह का आयोजन किया था। संगठन ने पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गुलजार अहमद का शुक्रिया अदा करने के लिए दिवाली में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था। इस मंदिर में इस्लामवादियों द्वारा तोड़फोड़ और अदालत के आदेश पर पुनर्निर्मित होने के बाद यह पहला उत्सव था।
कोर्ट ने दिया था मंदिर बनवाने का आदेश
पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश के आदेश पर इस धर्मस्थल का जीर्णोद्धार कराया गया है। शीर्ष अदालत ने अक्टूबर 2021 में खैबर पख्तूनख्वा प्रांतीय सरकार को एक सदी पुराने इस समाधि स्थल में तोड़फोड़ करने में शामिल 123 दोषियों से 3.3 करोड़ रुपए (1,94,161 अमेरिकी डॉलर) की वसूली करने का भी आदेश दिया था।
हालाँकि, इस्लामवादियों ने पाकिस्तान के हिंदुओं को अपना जुर्माना भरने के लिए मजबूर किया था। PHC ने मुल्क के हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच अंतरधार्मिक सद्भाव बढ़ाने के लिए ‘सद्भावना’ के नाम पर 11 मुस्लिम मौलवियों का जुर्माना खुद भरा था। इसके बाद बाकी आरोपितों ने भी उनके जुर्माने को भरने के लिए हिंदुओं पर शुरू कर दिया।
इससे पहले साल 1997 में तीर्थस्थल पर पहली बार हमला किया गया था, जिसमें यह स्थान बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। पीएचसी प्रमुख वंकवानी ने 2015 में शीर्ष अदालत का रुख किया था और धर्मस्थल के जीर्णोद्धार तथा वहाँ वार्षिक तीर्थयात्रा को फिर से शुरू कराए जाने का अनुरोध किया था।