पाकिस्तान में चल रही अस्थिरताओं के बीच चीन ने उससे दूरियाँ बनानी शुरू कर दी है। कोरोना महामारी और चल रहे राजनीतिक संकट के बीच ड्रैगन ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी है। इस रोक ने यह साबित कर दिया कि ऐसा कोई सगा नहीं जिसे चीन ने ठगा नहीं। अब इस कड़ी में चीन ने अपने करीबी कहे जाने वाले दोस्त पाकिस्तान को अपना निशाना बनाया है।
एशिया टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने के लिए काफी महत्व रखता है। जिसका रुक जाना पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। दरअसल, पाकिस्तान ने सीपीईसी के निवेश की कुल धनराशि का एक हिस्सा कर्ज के रूप में चीन से माँगने की योजना बनाई थी। कहा जा रहा कि चीन ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि पाकिस्तान प्रेशर में आकर ऊँची कीमत पर लोन लेने को तैयार हो जाए।
बता दें सीपीईसी की कई परियोजनाओं पर पहले ही रोक लगा दिया गया था। इनमें वे परियोजनाएँ भी शामिल हैं जिन्हें 2018 में इमरान सरकार ने सिर्फ इसलिए रोक दिया था क्योंकि इनमें पिछली सरकार के भ्रष्टाचार का संदेह था। वहीं यह भी एक सच्चाई है कि इमरान खान की अगुवाई में पाकिस्तान सरकार बड़े बुनियादी ढाँचागत कामों में सुस्त पड़ी भी हुई है।
रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि चीन द्वारा यह कदम सीपीईसी अथॉरिटी के चेयरमैन रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल असीम सलीम का नाम भ्रष्टाचार में सामने आने के बाद लिया गया है। असीम सलीम का यह कारनामा चीन के लिए बेहद ही चौकाने वाली बात थी असल में उसने खुद मिलिट्री को साझेदार बनाया था क्योंकि उसे भ्रष्टाचार का डर था। लेकिन वहाँ भी भ्रष्टाचार के मामले आने लगे।
गौरतलब है कि पाकिस्तान में माहौल इस वक्त बेहद ही खराब है। वहीं विपक्षी पार्टियाँ सरकार के खिलाफ पिछले कुछ समय से प्रदर्शन कर रहे हैं। विपक्षी दलों के गठबंधन ने सरकार की पाबंदी के बावजूद 22 नवंबर को पेशावर में मेगा रैली का ऐलान किया है।
बता दें कि पाकिस्तान में मौजूदा सरकार के खिलाफ 11 विपक्षी दलों ने पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के नाम से गठबंधन बनाया है, इसके प्रवक्ता अब्दुल जलील जान ने कहा, हमने इमरान सरकार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई छेड़ दी है।