पाकिस्तान में महिलाएँ कितनी सुरक्षित हैं इस मामले से जुड़ी ख़बरें अक्सर सामने आती हैं। पिछले कुछ समय में वहाँ महिलाओं के साथ होने वाले अपराध की तमाम घटनाएँ सामने आई। बीते दिन पाकिस्तान के समाचार समूह जियो न्यूज़ ने इस मुद्दे पर एक चर्चा आयोजित की। इस चर्चा में ऐसी कई बातें बताई गई जो पाकिस्तान में महिलाओं की वास्तविक स्थिति बयान करती हैं। कैपिटल टॉक नाम के इस कार्यक्रम में पाकिस्तान के 3 अलग अलग राजनीतिक दल की नेताओं ने पाकिस्तान में महिलाओं की स्थिति पर अपना नज़रिया रखा।
हाल ही में पाकिस्तान के लाहौर (गुज्जरपुरा मोटरवे) में एक सामूहिक बलात्कार की घटना हुई थी। जिस पर लाहौर के सीसीपीओ (कैपिटल सिटी पुलिस ऑफिसर) उमर शेख ने कहा था कि वह महिला रात के वक्त घर से बाहर निकली ही क्यों थी। इस घटना पर पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी तहरीक ए इंसाफ़ की नेता ने चर्चा में कहा एक अधिकारी ऐसा बयान नहीं दे सकता है।
अधिकारी की ज़िम्मेदारी है कि वह हर तरह के हालातों में लड़की की सुरक्षा सुनिश्चित करें। इसके बाद उन्होंने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा पाकिस्तान दुनिया का छठा ऐसा मुल्क है जहाँ महिलाएँ बिलकुल सुरक्षित नहीं हैं। हैरानी की बात यह है कि ऐसा अभी से नहीं बल्कि पिछले 40 साल से हो रहा है।
इसके बाद विपक्ष की पीपुल्स पार्टी की नेता ने कहा कि हम पाकिस्तान में होने वाली हर बलात्कार की घटना के बाद कहते हैं कि यह आखिरी है। लेकिन इस तरह की घटनाएँ कभी रुकती ही नहीं हैं और अपराधियों को सज़ा देने की जगह पीड़ित को ही दोष दिया जाने लगता है। फिर चर्चा का आयोजन करा रहे पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने इस मुद्दे पर कुछ आँकड़े बताए।
हामिद मीर ने बताया कि जनवरी 2020 से लेकर 31 जुलाई 2020 के बीच पाकिस्तान के पंजाब में बलात्कार की 2043 और सामूहिक बलात्कार की 111 घटनाएँ सामने आई हैं। इसके अलावा पिछले साल 2019 में बलात्कार के बलात्कार के 3881 और सामूहिक बलात्कार के 190 मामले सामने आए थे। इतने सारे मामले पाकिस्तान के सबसे बड़े राज्य पंजाब में सामने आए थे।
तीसरे विपक्षी दल मुस्लिम लीग की नेता ने कहा इस मुल्क (पाकिस्तान) के मर्दों की मानसिकता ही ऐसी है। उन्हें लगता है एक महिला चाहती है कि उसके साथ ज़्यादती हो और ऐसी सोच की वजह से मुल्क की 11 करोड़ महिलाओं का अपमान होता है। इसके बाद उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के पंजाब में साल 2018 के दौरान बलात्कार की 1324 घटनाएँ सामने आई। और ऐसे न जाने कितने मामले होंगे जो दर्ज नहीं किए जाते होंगे, जिन पर कोई बात ही नहीं हो पाती है।
इसके अलावा भी चर्चा में कुछ ऐसी बातें हुई जो पाकिस्तान में महिलाओं के असल हालात बताती हैं। जब बच्चियों से पूछा जाता है कि उनके साथ बलात्कार किसने किया तो 82 फ़ीसदी मामलों में आरोपित घर के अहम सदस्य ही होते हैं। ज़्यादातर रेप में आरोपित अब्बू, दादाजान, ताऊ, भाई, मामा और फूफा ही होते हैं इसलिए परिवार के एक सदस्य को खोने के डर से यह मामले जल्दी रिपोर्ट ही नहीं होते। ऐसे में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की मुख्य चिंता यह भी है कि जब पाकिस्तान में मुस्लिम बच्चियाँ ही सुरक्षित नहीं हैं तो हिन्दू तथा अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ क्या-क्या होता होगा।
ऐसी कुछ खबरें छनकर आती रहती हैं लेकिन वास्तविक आँकड़ा भयावह है। पाकिस्तान में बलात्कार की घटनाओं को अंजाम देने वाले अशिक्षित लोग ही नहीं हैं। बल्कि कई मामले ऐसे भी देखे गए हैं जिसमें दिग्गज अधिकारियों और न्यायाधीशों ने महिलाओं के साथ ज़्यादती की है। पाकिस्तान में वुमेन प्रोटेक्शन बिल और जैनब एलर्ट बिल जैसे अहम क़ानून पारित किए गए थे इसके बावजूद वहाँ महिलाओं के साथ होने वाले अपराध लगातार जारी हैं।