पाकिस्तान के बन्नू शहर से एक चौकाने वाला मामला सामने आया है। यहाँ सरकारी स्नातकोत्तर डिग्री कॉलेज के जीव विज्ञान के एक सहायक प्रोफेसर को स्टाम्प पेपर पर माफ़ीनामा देने के लिए मजबूर किया गया। सहायक प्रोफेसर शेर अली को ये माफीनामा जीव विज्ञान की एक बुनियादी अवधारणा चार्ल्स डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत को पढ़ाने की वजह से देना पड़ा।
यही नहीं उन्हें मिश्रित-लिंग वाली यानी मर्द और औरतों के साथ होने वाली मीटिंग की निंदा करने और यह ऐलान करने के लिए भी मजबूर किया गया कि महिलाएँ पुरुषों से निम्नतर (नीचे) हैं। सहायक प्रोफेसर शेर अली को लेकर ये सब विवाद महज इसलिए खड़ा हुआ, क्योंकि उन्होंने इस महीने की शुरुआत में डोमेल क्षेत्र में संविधान और कानून के मद्देनजर औरतों के हकों पर आयोजित एक सेमिनार को संबोधित किया था।
सेमिनार के दौरान उनकी टिप्पणियाँ स्थानीय मौलवियों को अच्छी नहीं लगीं। इन लोगों ने प्रोफेसर शेर अली पर अय्याशी फैलाने और इस्लाम और स्थानीय संस्कृति के खिलाफ बोलने का आरोप लगाया और अधिकारियों से उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग कर डाली।
हालाँकि, इसके इसके तुरंत बाद, प्रोफेसर अली ने पाठ्यक्रम के हिस्से के तौर पर डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत को पढ़ाने के मुद्दे पर अपनी स्थिति साफ की। पाकिस्तान के अखबार डॉन ने उनके हवाले से कहा, “जीव विज्ञान की पाठ्यपुस्तक का अध्याय 24 डार्विन के जैविक विकास के सिद्धांत पर चर्चा करता है और अगर किसी को इस विषय से परेशानी है, तो उन्हें पाठ्यक्रम से इस अध्याय को हटाने के लिए सरकार से संपर्क करना चाहिए।”
प्रोफेसर ने यह भी कहा कि अगर वह इस विषय को नहीं पढ़ाएँगे तो उनके छात्र उनकी पढ़ाने की काबिलियत पर सवाल उठाएँगे। उन्होंने ये भी कहा कि उन्होंने हमेशा अपने छात्रों की सहमति लेने के बाद डार्विन के जैविक विकास के सिद्धांत को पढ़ाया है।
जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने डॉन को बताया कि शेर अली ने मौलवियों से कहा कि पर्दा या औरतों के हकों पर सोशल मीडिया पोस्ट उनके नहीं थे, उन्हें एडिट किया गया था।
सहायक प्रोफेसर शेर अली ने बन्नू डिप्टी कमिश्नर के कार्यालय को तीन पन्नों का हलफनामा दिया कि डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत सहित सभी वैज्ञानिक और तर्कसंगत विचार, जो इस्लामी शरिया का विरोध करते हैं वो झूठ हैं।
This is why Pakistan will remain a third-world hell hole.
— Harris Sultan (@TheHarrisSultan) October 22, 2023
These radical Muslims with handsome beards force a university professor Sher Ali, to condemn the Theory of Evolution and say on record that women are "intellectually inferior" to men as per the Quran and hadith. https://t.co/spUzyB8lkE
कट्टरपंथी मौलानाओं के दबाव में प्रोफेसर शेर अली को ये भी ऐलान करना पड़ा कि औरतें मर्दों से कमतर हैं और ऐलान किया कि महिलाओं को पुरुषों के साथ गैरजरूरी तौर पर घुलने-मिलने की मंजूरी नहीं है।
ये तब है जब सहायक प्रोफेसर शेर अली के पास पेशावर विश्वविद्यालय से एमएससी की डिग्री है। वो इस्लामाबाद में कायद-ए-आज़म विश्वविद्यालय से ह्यूमन जेनेटिक्स में एमफिल हैं।
‘द कर्स ऑफ गॉड-व्हाई आई लेफ्ट इस्लाम’ किताब के लेखक हैरिस सुल्तान ने इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया एक्स पर डाला था। इसके बाद ये सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस वीडियो के साथ सुल्तान ने कैप्शन लिखा, “यही वजह है कि पाकिस्तान तीसरी दुनिया का नरककुंड बना रहेगा। अच्छी दाढ़ी रखने वाले ये कट्टरपंथी मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शेर अली को विकासवाद के सिद्धांत की निंदा करने और रिकॉर्ड पर यह कहने के लिए मजबूर करते हैं कि कुरान और हदीस के मुताबिक, महिलाएँ पुरुषों के मुकाबले ‘बौद्धिक रूप से कमतर’ हैं।”
The clerics are not wrong though. The Quran and the most feminist man of all time, Prophet Muhammad did say "Women are stupid". Bukhari 2658
— Harris Sultan (@TheHarrisSultan) October 22, 2023
For a woman to support Islam is like a black man support KKK. pic.twitter.com/EJnKMKS2Bm
लेखक हैरिस सुल्तान ने आगे लिखा, “हालाँकि मौलवी ग़लत नहीं हैं। कुरान और पैगंबर मुहम्मद ने कहा था “औरतें मूर्ख हैं”।
गौरतलब है कि जीव विज्ञान के एक प्रोफेसर शेर अली का डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत को पढ़ाने के लिए सार्वजनिक माफी माँगने का मामला पाकिस्तान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और वैज्ञानिक विचारों में इस्लामिक कट्टरपंथियों की दखलअंदाजी का उदाहरण हैं।