पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी गिरफ़्तार कर लिए गए हैं। ज़रदारी को उन पर चल रहे मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों के तहत गिरफ़्तार किया गया। यह गिरफ़्तारी उनके इस्लामाबाद स्थित आवास से हुई। यह कार्रवाई नेशनल एकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (NAB) की 15 सदस्यीय टीम ने की। ज़रदारी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) के सह-अध्यक्ष भी हैं। पाकिस्तान के 11वें राष्ट्रपति के रूप में ज़रदारी ने सितम्बर 2008 से सितम्बर 2013 तक यह पद सम्भाला था। ज़रदारी की पत्नी बेनज़ीर भुट्टो पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रही थीं। ज़रदारी के परिजनों की मौजूदगी में उन्हें काले रंग की लैंडक्रूजर से ले जाया गया। इस दौरान उनकी पार्टी के कई कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।
फेक बैंक खातों के मामले में इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने जरदारी व उनकी बहन को गिरफ़्तारी से राहत देने से इनकार कर दिया, जिसके कुछ घंटों बाद यह कार्रवाई हुई। पुलिस ने उनके घर को जाने वाली सभी सड़कों को ब्लॉक कर दिया था। ज़रदारी को गिरफ़्तार करने उनके घर के भीतर गए अधिकारियों में महिलाएँ भी शामिल थीं। अदालत में फैसला सुनाए जाने से पहले ही ज़रदारी निकल गए थे। अभी तक उनकी बहन फरयाल तालपुर के ख़िलाफ़ कोई वॉरंट नहीं जारी किया गया है। दोनों भाई-बहनों की जमानत अवधि इससे पहले कई बार बढ़ाई गई थी।
Nab team Reaches Zardari House Islamabad After Rejection Of bail plea of Zardari and Faryal Talpur #PPP pic.twitter.com/QPsYxVVodl
— Samar Abbas (@Samarjournalist) June 10, 2019
शीर्ष अधिकारियों के मुताबिक, उनकी गिरफ़्तारी के लिए दो टीमें गठित की गई थीं। इनमें से एक ज़रदारी के निवास पर गई तो दूसरी पार्लियामेंट हाउस की तरफ़ गई। हालाँकि, अभी ज़रदारी के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प बचा हुआ है। दोनों भाई-बहनों के भविष्य को लेकर कानूनी विकल्पों पर विचार-विमर्श के लिए पीपीपी की बैठक भी बुलाई गई है। पार्टी नेताओं ने कहा कि उन्हें अभी हाईकोर्ट के लिखित आदेश का इन्तजार है, जिसके बाद आगे के विकल्पों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। शीर्ष नेताओं ने समर्थकों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
2015 में फ़ेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (FIA) ने जरदारी से जुड़े कई फेक एकाउंट्स और संदिग्ध लेनदेन को लेकर जाँच शुरू की थी। ये ट्रांजेक्शंस 29 बेनामी खातों द्वारा समिट बैंक, सिंध बैंक और युबीएल में स्थित खातों में किए गए थे। आरोप है कि इन एकाउंट्स में हुए लेनदेन की मदद से किकबैक में मिले रुपयों को ठिकाने लगाया जाता था। पाक सुप्रीम कोर्ट ने एक जॉइंट इन्वेस्टिगेशन टीम (JIT) बनाकर जाँच बैठाई थी। इसके बाद इस मामले में 170 लोगों के जुड़े होने की बात सामने आई और 33 अन्य संदिग्ध बैंक खातों की जानकारियाँ मिली।
Pakistan Peoples Party’s Asif Ali Zardari, Faryal Talpur face arrests after Islamabad High Court rejects plea to extend pre-arrest bailhttps://t.co/KsEi90eEqV
— Newsweek Pakistan (@NewsweekPak) June 10, 2019
इतना ही नहीं, 210 कम्पनियों के भी इस मामले से जुड़े होने की बातें पता चलीं। इनमें से 47 कम्पनियाँ ओमनी समूह से जुड़ी थीं, जिसे ज़रदारी के ख़ास करीबी द्वारा चलाया जाता है। इसमें से एक अकाउंट में 4.4 बिलियन पाकिस्तानी रुपया ट्रान्सफर किया गया और इनमें से 30 मिलियन रुपए ज़रदारी ग्रुप को 2 बार दिए गए। आरोपितों में से दो लोग जरदारी के ख़िलाफ़ अदालत में अप्रूवर बन गए थे। इस मामले में ज़रदारी के कई मित्रों को पहले ही गिरफ़्तार किया जा चुका है। ज़रदारी और उनकी बहन के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार व वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े 7 अन्य मामले भी चल रहे हैं।