फ्रांस के पेरिस में एक शिक्षक थे सैम्युएल पैटी। इतिहास पढ़ाते थे। पढ़ाते-पढ़ाते उन्होंने पैगम्बर मोहम्मद के उन कार्टूनों को दिखा कर अपने छात्रों से चर्चा की, जिसे लेकर कट्टरपंथी इस्लामियों ने साल 2015 में शार्ली हेब्दो के कर्मचारियों का नरसंहार किया था। लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उनका गला काट दिया जाएगा।
इस घटना के बाद फ्रांस सहित पूरी दुनिया में शिक्षक सैम्युएल पैटी और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए समर्थन शुरू हो गया। यह समर्थन लेखों और संपादकीय से निकल कर सड़कों तक भी पहुँच गया। लोगों ने मुखर होकर कट्टरपंथी इस्लामी सोच के विरुद्ध आवाज उठाई। फ्रांस में यह आवाज और तेज उठी है।
Charlie Hebdo cartoons, including one of Mohammed, projected onto Montpellier government building. pic.twitter.com/pnhU0EXTsc
— Chris Tomlinson (@TomlinsonCJ) October 21, 2020
फ्रांस के ऑसिटैन क्षेत्र (Occitanie region) के दो टाउन हॉल मोंटपेलियर (Montpellier) और टूलूज़ (Toulouse) के बाहर शिक्षक सैम्युएल पैटी को याद करते हुए और अभिव्यक्ति की आजादी का समर्थन करने के लिए पैगम्बर मोहम्मद के उन कार्टूनों का 4 घंटे तक प्रदर्शन किया गया, जिनको लेकर शार्ली हेब्दो के कर्मचारियों का 2015 में नरसंहार किया गया था। सबसे पहले इन कार्टूनों का प्रकाशन शार्ली हेब्दो पत्रिका में ही किया गया था।
स्थानीय सरकारी इमारतों पर शार्ली एब्दो के विवादित कार्टून (पैगंबर मोहम्मद के कार्टून) के प्रदर्शन के कारण दंगे-फसाद से बचने के लिए हथियारों से लैस पुलिस अधिकारियों ने सुरक्षा की। जगह-जगह लोगों ने शिक्षक सैम्युएल पैटी को याद करते हुए उनके बड़े-बड़े पोस्टर भी लगाए थे। जहाँ-जहाँ उनके पोस्टर लगे हुए थे, वहाँ भी फ्रेंच पुलिस को हथियारों के साथ गस्त करते देखा गया।
आपको बता दें कि इस्लामी कट्टरपंथी द्वारा शिक्षक का गला काटने की घटना के बाद फ्रांस ने इस तरह की समस्याओं का सामना करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। फ्रांस 231 विदेशी कट्टरपंथी नागरिकों को बाहर निकालने की तैयारी कर रहा है। फ्रांस सरकार की तरफ से होने वाली यह कार्रवाई कट्टरपंथ और आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में एक अहम कदम माना जा रहा है। फ्रांस के राष्ट्रपति ने इस घटना पर रोष जताते हुए कहा था:
“यह एक इस्लामी आतंकवादी हमला है। देश के हर नागरिक को इस चरमपंथ के विरोध में एक साथ आगे आना होगा। इसे किसी भी हालत में रोकना ही होगा क्योंकि यह हमारे देश के लिए बड़ा ख़तरा साबित हो सकता है।”