यूरोपीय देश स्वीडन में कोर्ट से आदेश मिलने के बाद बकरीद के दिन यानी बुधवार (28 जून 2023) को प्रदर्शनकारियों ने मस्जिद के सामने मुस्लिमों के धार्मिक ग्रंथ कुरान को फाड़ा और जलाया। दरअसल, स्वीडिश पुलिस ने इसके लिए अनुमति नहीं दी थी, लेकिन प्रदर्शनकारी नहीं माने। उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और आखिरकार इसकी इजाजत मिली।
ईद उल अजहा के दिन कुरान जलाने का वीडियो भी सामने आया है। इस वीडियो में दिख रहा है कि स्टॉकहोम की एक मस्जिद के सामने दो लोग कुरान को फुटबॉल की तरह पैरों से मार रहे हैं। उसे जमीन पर फेंकते हैं और फिर पैरों के कुचलते हैं। आखिर उसे फाड़कर आग के हवाले कर देते हैं। प्रदर्शनकारी ईराक के बताए जा रहे हैं।
🔴 İsveç Stockhom'de Kurban Bayramının birinci gününde Stockholm Camii önünde Irak asıllı Salwan Momika isimli şahış polis koruması eşliğinde Kur'an-ı Kerim'i ayaklarının altına aldıktan sonra yaktı. pic.twitter.com/vOwawrNKo8
— Conflict (@ConflictTR) June 28, 2023
जिस समय यह प्रदर्शन किया जा रहा था, उस वक्त लगभग 200 लोग वहाँ दर्शक के तौर पर खड़े थे। इसी दौरान कुछ लोगों ने अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगाए और प्रदर्शनकारियों को पत्थर फेंकने की कोशिश की। पत्थर फेंकने वाले को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। वहीं, बाद में पुलिस ने प्रदर्शन करने वालों पर एक जातीय या राष्ट्रीय समूह को भड़काने का मामला दर्ज कर जाँच शुरू की है।
जिस मस्जिद के सामने यह प्रदर्शन किया गया, उसके निदेशक एवं इमाम महमूद खल्फी ने कहा कि ईद अल-अधा के दिन मस्जिद के सामने विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने के कारण वे निराश थे। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस चाहती तो इस प्रदर्शन को कहीं और करने के लिए कह सकती थी।
खल्फी ने कहा, “मस्जिद ने पुलिस को कम-से-कम प्रदर्शन को किसी अन्य स्थान पर लेने का सुझाव दिया था, जो कि कानून द्वारा संभव है, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं करने का फैसला किया।” खल्फी के अनुसार, हर साल ईद समारोह के लिए स्टॉकहोम की मस्जिद में 10,000 से अधिक आगंतुक आते हैं।
तुर्किये के विदेश मंत्री हाकन फ़िदान ने एक ट्वीट में इस घटना की निंदा की और कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर इस्लाम विरोधी प्रदर्शन की अनुमति देना स्वीकार्य नहीं है। वहीं, अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता ने वेदांत पटेल ने कहा कि धार्मिक ग्रंथों को जलाना अपमानजनक और दुखद है। उन्होंने कहा, “जो कानूनी हो सकता है, वह जरूरी नहीं कि निश्चित रूप से उचित हो।”
Mübarek Kurban Bayramı’nın ilk gününde Kutsal Kitabımız Kur’an-ı Kerim’e yönelik #İsveç’te yapılan aşağılık eylemi lanetliyorum!#İslamkarşıtı bu eylemlere ifade özgürlüğü bahanesiyle izin verilmesi kabul edilemez.
— Hakan Fidan (@HakanFidan) June 28, 2023
Bu tarz menfur eylemlere göz yummak suça ortak olmaktır.
इस घटना को लेकर स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टरसन ने कहा कि अब वह इस बारे में अटकलें नहीं लगाएँगे कि कुरान का विरोध स्वीडन को नाटो (NATO) में शामिल होने की प्रक्रिया में कैसे रोड़ा बन सकता है। उन्होंने कहा, “यह कानूनी है, लेकिन उचित नहीं है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि कुरान जलाने पर निर्णय लेना पुलिस का काम है।
दरअसल, स्वीडन NATO का सदस्य बनने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसका इकलौता मुस्लिम सदस्य देश तुर्किये इसमें बाधा डालते रहता है। NATO का नियम है कि इसमें कोई भी नया सदस्य तभी शामिल किया जा सकता है, जब उसमें सभी सदस्य देशों की सहमति हो।
इस साल जनवरी के अंत में तुर्किये ने नाटो आवेदन पर स्वीडन के साथ बातचीत को निलंबित कर दिया था, क्योंकि एक दक्षिणपंथी डेनिश ने स्टॉकहोम में तुर्किये दूतावास के पास कुरान की प्रति जला दी थी। इसके कारण मुस्लिम देशों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। इस्लामी मुल्क स्वीडन के झंडे जलाए गए थे।
बताते चलें कि कुरान जलाने की घटनाएँ सिर्फ स्वीडेन में ही नहीं, बल्कि यूरोपीय देश डेनमार्क और नीदरलैंड में भी कुरान जलाने की कई घटनाएँ सामने आ चुकी हैं। इस साल जनवरी में स्वीडन के बाद नीदरलैंड में कुरान जलाया गया था। इसके बाद डेनमार्क में भी इसे दोहराया गया।
स्वीडन उत्तरी यूरोप में स्थित एक देश है, जो स्कैन्डिनेवियाई प्रायद्वीप में स्थित है। इसकी सीमाएँ नॉर्वे, फ़िनलैंड और डेनमार्क से लगती हैं। 1.1 करोड़ की जनसंख्या वाले इस देश के 52% लोग ‘चर्च ऑफ स्वीडन’ में आस्था रखते हैं। वहीं 8% जनसंख्या मुस्लिम है।
दरअसल, तुर्किये स्वीडन पर कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) से संबंध होने का आरोप लगाता है। इसके साथ ही वह स्वीडन से इस संगठन के नेता मौलवी फतुल्लाह गुलेन के प्रत्यर्पण की माँग कर रहा है। कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी तुर्किये से अलग कुर्दों के लिए मुल्क की माँग करती है।
अलग देश के लिए कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी के सशस्त्र आंदोलन को तुर्किये आतंकवादी गतिविधि कहता है। तुर्किये ने इस संगठन को आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया है। तुर्किये के अलावा, यूरोपीय संघ और अमेरिका ने भी उसे आतंकी संगठन घोषित कर रखा है।
तुर्किये का कहना है कि PKK के खिलाफ स्वीडन संतोषजनक कार्रवाई नहीं कर रहा है। वहीं, स्वीडन में लोग कुर्द और PKK के समर्थन में हैं। इसको लेकर दोनों देशों के बीच रिश्ते तल्ख रहते हैं और तुर्किये यूरोपीय देश स्वीडन को NATO का सदस्य बनने से रोकता है। इनमें कुरान जलाने की घटनाएँ और तल्खी पैदा करती हैं।