Sunday, November 17, 2024
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हिंदू महिला सांसद ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन वाली पार्टी छोड़ी, कहा – कायरों से प्रेरित, नस्लवाद को भड़काने वाले

"यह पार्टी कायरता से प्रेरित है, जो देश के हर मुद्दे को नस्लीय बनाकर हमें बाँटते हैं। वर्तमान में डेमोक्रेटिक पार्टी कुछ एलीट लोगों के कंट्रोल में है। ये जंग की बातें करते हैं और श्वेत-विरोधी नस्लवाद को भड़काते हैं।"

अमेरिका की पहली हिंदू महिला सांसद तुलसी गबार्ड (Tulsi Gabbard) ने डेमोक्रेटिक पार्टी (Democratic Party) पर गंभीर आरोप लगाते हुए इसे छोड़ने की घोषणा की है। उन्होंने मंगलवार (11 अक्टूबर 2022) को अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो में डेमोक्रेटिक पार्टी को छोड़ने की बात कही।

41 वर्षीय गबार्ड ने ट्वीट के साथ लिखा, “मैं अब डेमोक्रेटिक पार्टी में नहीं रह सकती। यह पार्टी कायरता से प्रेरित है, जो देश के हर मुद्दे को नस्लीय बनाकर हमें बाँटते हैं। वर्तमान में डेमोक्रेटिक पार्टी कुछ एलीट लोगों के कंट्रोल में है। ये जंग की बातें करते हैं और श्वेत-विरोधी नस्लवाद को भड़काते हैं। अगर इस पार्टी में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो मेरे विचारों से इत्तेफाक रखते हैं, तो उन्हें भी तत्काल यह पार्टी छोड़ देनी चाहिए।”

अमेरिका में लोगों की बुनियादी स्वतंत्रता को कमतर आँकने वाली डेमोक्रेटिक पार्टी की आलोचना करते हुए गबार्ड ने आगे कहा, “मैं एक ऐसी सरकार में विश्वास करती हूँ, जो लोगों के लिए हो। लेकिन आज की डेमोक्रेटिक पार्टी इन मूल्यों को दरकिनार कर रही है। यह एक शक्तिशाली अभिजात वर्ग की सरकार बन गई है।”

तुलसी गबार्ड (Tulsi Gabbard) ने अभी तक किसी अन्य पार्टी में शामिल होने के बारे में किसी भी तरह की जानकारी नहीं दी है। अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी वो राजनीतिक पार्टी है, जिससे जुड़े हैं अभी के राष्ट्रपति जो बायडेन।

बता दें कि गबार्ड का जन्म 12 अप्रैल 1981 को अमेरिका में हुआ था। पूर्व कॉन्ग्रेस महिला ने 21 साल की उम्र में स्टेटहाउस के लिए चुनाव लड़ा था। वह 2013 में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के लिए हवाई से चुनी जाने वाली पहली हिंदू थीं और हवाई से चार बार सांसद रह चुकी हैं।

अमेरिका में कॉन्ग्रेस के लिए निर्वाचित पहली हिंदू तुलसी गबार्ड ने 2013 में पवित्र भगवद गीता पर हाथ रखकर पद एवं गोपनीयता की शपथ ली थी। तुलसी को प्रतिनिधि सभा के स्पीकर जॉन बोहनर ने शपथ दिलाई थी।

तुलसी गबार्ड के मुताबिक, उन्हें मुश्किल वक्त में भगवद गीता से ताकत और शांति मिलती है। उन्होंने दो साल पहले हिंदू स्टूडेंट्स काउंसिल की ओर से आयोजित वर्चुअल कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा था कि ऐसे माहौल में कोई भी विश्वास के साथ यह नहीं कह सकता है कि कल क्या होगा? इन हालातों में भक्ति, योग और कर्म योग के अभ्यास से ताकत और शांति प्राप्त कर सकते हैं। यह भगवान कृष्ण ने भगवद गीता में सिखाया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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