Saturday, November 16, 2024
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चुनावी जीत पर ट्रंप का ‘फैक्टचेक’ करते हुए ट्विटर ने भी किया गुमराह, जानिए कैसे?

भले ही सोशल मीडिया और मेनस्ट्रीम मीडिया यह बताने की कोशिश कर रहे हो कि ट्रंप द्वारा चुनाव परिणाम स्वीकार नहीं करना अप्रत्याशित है, पर अमेरिका में पहले भी ऐसा हो चुका है। 2000 का चुनाव भी पूरी तरह विवादित था और आखिर में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तस्वीर साफ हुई थी।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब तक अपने सम्बोधन में हार नहीं मानी है। रविवार (नवंबर 15, 2020) को ये भी स्पष्ट हो गया कि वे अपनी हार स्वीकार करते हुए सम्बोधन नहीं देंगे और कम से कम अगले कुछ दिनों में तो ऐसा नहीं होने वाला है। ट्रंप ने जनता से कहा है कि उन्होंने अभी हार नहीं मानी है और अभी लंबा रास्ता तय करना है। ट्विटर उनकी हर ट्वीट पर चेतावनी जारी करता जा रहा है कि ‘ये दावा विवादित है’ या ‘इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है’, जैसे कि जनता को कुछ पता ही न हो।

ट्विटर पिछले कुछ समय से ट्रंप के ट्वीट पर पाबंदी लगाता रहा है, लेकिन मतगणना के बाद यह बात सामने आई कि वह किस हद तक जा सकता है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हर जगह ट्रंप पर सेंसर लगा रहा था।

इस प्रक्रिया में ट्विटर खुद झूठी और गलत जानकारी का स्रोत बन गया। डोनाल्ड ट्रंप ने एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने लिखा था, “मैं चुनाव जीत गया” (I won the election)। इसके बाद सोशल मीडिया मंचों ने दावा किया था कि ‘आधिकारिक सूत्रों’ ने चुनाव के नतीजे अलग बताए हैं। इस पर क्लिक करने के बाद ट्विटर एक मीडिया रिपोर्ट पर ले जाता है जिसमें जो बिडेन को 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों का विजेता बताया गया था। 

ट्विटर का दावा, आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक़ जो बिडेन विजेता

यह कहने की ज़रूरत नहीं है कि मीडिया आधिकारिक स्रोत नहीं है और न ही चुनाव परिणाम में इसकी कोई भूमिका है। ट्विटर का रवैया मुख्यधारा मीडिया के लिए बेहद सकारात्मक था, जबकि मीडिया ने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान डोनाल्ड ट्रंप का प्रतिकार ही किया था। वही मीडिया प्रतिदिन डोनाल्ड ट्रंप से जुड़ी फेक न्यूज़ का भी प्रचार करता था, ‘बतौर आधिकारिक सूत्र’ यह खुद में बेहद चिंता का विषय है। 

जैसा कि वरिष्ठ कानूनी विशेषज्ञ जॉनथन तुर्ले (jonathan turley) ने इस महीने की शुरुआत में कहा था, “हम अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों की चार स्टेज में से दो ही पूरी कर रहे हैं। वोटिंग स्टेज के बाद प्रान्तों ने टैबुलेशन (tabulation) स्टेज शुरू की। बहुत जल्द हम कैनवास (canvass) स्टेज में प्रवेश करेंगे, जिसमें स्थानीय जिले या शहर गिनती की पुष्टि करते हैं और पुनः गिनती शुरू करते हैं। अंत में आती है सर्टिफिकेशन (certification) स्टेज जिसमें अंतिम चुनौतियाँ उठाई जाती हैं। यानी, ट्रंप की उम्मीदें अभी ख़त्म नहीं हुई है।”

यह 8 दिन पहले लिखा गया था, फ़िलहाल कई राज्यों में मतों की दोबारा गिनती जारी है और कई राज्यों में इसे लेकर क़ानूनी प्रक्रिया जारी है। यह बात लगभग तय है कि संवैधानिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद आधिकारिक चुनाव परिणाम सामने आएँगे। चुनाव के परिणाम अभी तक विवादित हैं ऐसे में मीडिया समूहों को ‘आधिकारिक सूत्र’ कहना किसी भी सूरत में वैधानिक नहीं होगा। 

यहाँ साल 2000 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों का उल्लेख करना बेहद ज़रूरी है, जिसमें रिपब्लिक के प्रत्याशी जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने डेमोक्रेटिक प्रत्याशी अल गोर के विरुद्ध चुनाव लड़ा था। यह चुनाव पूरी तरह विवादित था और महीनों तक इसके परिणाम सामने नहीं आए थे और अंत में सर्वोच्च न्यायालय ने जॉर्ज बुश के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसलिए ट्रंप द्वारा चुनाव परिणामों को स्वीकार नहीं किया जाना अप्रत्याशित नहीं है। जबकि मुख्यधारा मीडिया और डेमोक्रेटिक पार्टी सोशल मीडिया की मदद से ऐसा ही दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। हालाँकि इस बात की संभावना बहुत कम है कि डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार भी राष्ट्रपति बने रहेंगे, लेकिन आधिकारिक तौर पर वह  रेस से बाहर नहीं हुए हैं।    

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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