अमेरिकी प्रांत अलबामा करीब 28 साल बाद स्कूलों में योग पर लगा प्रतिबंध हटाने जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अलाबामा हाउस ऑफ रिप्रेजेंटिव्स ने इससे संबंधित एक बिल को मँजूरी दे दी है। गुरुवार (12 मार्च 2021) को सदन में ये बिल 73-25 वोट के साथ पास किया गया। इसमें योग शिक्षा को ऐच्छिक रूप से स्कूलों में शामिल करने की बात की गई है।
हालाँकि, इसी के साथ ये भी कहा गया कि मंत्रों के उच्चारण और ‘नमस्ते’ कहना प्रतिबंधित होगा। लोकल स्कूल बोर्ड्स को इससे जुड़ी क्लास की समय सीमा व फ्रीक्वेंसी तय करनी होगी। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बिल को डेमोक्रेटिक रिप्रजेंटेटिव के जेरेमी ग्रे द्वारा स्पॉन्सर किया गया। उन्होंने कहा, “मैं 7 साल से योग कर रहा हूँ। मुझे इसके फायदे पता हैं। ये मेरे दिल के करीब था और मुझे लगता है अलाबामा के भी होगा।”
ग्रे का कहना है कि कुछ शिक्षक वैसे भी योग करवाते हैं बिना ये समझे कि योग बैन है। बाकी भी इसकी शिक्षा देना चाहते हैं। मालूम हो कि वर्तमान में इस बिल के अनुसार योग आसन के नाम अंग्रेजी में पढ़ाए जाएँगे। ग्रे ने कहा, “कुछ सदस्यों को कई ईमेल आए कि योग हिंदुत्व का हिस्सा है। लेकिन वह (ग्रे) कहते हैं कि कुछ लोगों का दिमाग कभी नहीं बदल सकता।”
बता दें कि अलबामा बोर्ड ऑफ एजुकेशन ने पब्लिक स्कूल क्लासरूम में 1993 में योग बैन करने को कहा था। इस प्रतिबंध के पीछे कन्जर्वेटिव ग्रुप्स का हाथ भी बताया जाता है।
उल्लेखनीय है कि इस सप्ताह पारित बिल का उद्देश्य छात्रों को व्यायाम और स्ट्रेचिंग तकनीक का अभ्यास करने की अनुमति देना है, लेकिन किसी भी धार्मिक भाषा से दूर रखते हुए। खबरों के अनुसार, नया बिल मंत्र, मुद्रा, मंडलों और नमस्ते अभिवादन के उपयोग को प्रतिबंधित करता है।
इस प्रतिबंध को हटवाने के लिए जेरेमी ग्रे 3 साल से कोशिश कर रहे थे। वह खुद उत्तरी कैरोलिना राज्य के पूर्व खिलाड़ी हैं जो कई सालों से योग कर रहे हैं। उनका कहना है कि व्यायाम के जरिए बच्चे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होंगे।
जिन लोगों ने सदन में योग के ख़िलाफ़ वोट दिया, उनके लिए ग्रे कहते हैं कि उन्हें ये देखकर लगता है कि कइयों को योग के बारे में गलत बताया गया है। उनके अनुसार, “मेरे बहुत से साथियों को सिर्फ इसके हिंदू धर्म का हिस्सा होने के बारे में बहुत सारे ईमेल मिले। यदि आप इसे स्थानीय वाईएमसीए में कर सकते हैं, तो आप इसे चर्चों में कर सकते हैं। जब पब्लिक स्कूलों की बात आती है तो यह समस्या क्यों है? कुछ लोग कभी भी अपने विचार नहीं बदल सकते।”