इंग्लैंड के लीसेस्टर शहर में रविवार (18 सितंबर 2022) को हिंदुओं के समूह पर कट्टरपंथियों द्वारा हमला किया गया। इस दौरान ‘अल्लाहु-अकबर’ नारा लगाते हुए मंदिर पर भी अटैक हुआ और उसके ऊपर लगे भगवा ध्वज को भी तोड़कर नीचे गिरा दिया गया।
घटना के विरोध में हिंदुओं ने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए। कट्टरपंथी भीड़ इतनी बेकाबू थी कि पुलिस ने जब उपद्रवियों को रोकने की कोशिश की, तो उन पर भी काँच की बोतलें फेंकी गई। लाठी- डंडों से लैस भीड़ ने संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुँचाया।
वायरल वीडियो में आप देख सकते हैं कि एक धार्मिक स्थल के बाहर भगवा ध्वज फहराया गया है, जो हिंदुओं का मंदिर शिवालय है। कट्टरपंथी लोगों ने काले रंग का मास्क पहना हुआ था। उनका पूरा चेहरा ढका हुआ था। उन्होंने हुड लगा रखा था। इन सभी को शिवालय में घुसते और मंदिर के बाहर लगे झंडों को तोड़ते हुए देखा गया।
Shocking how Islamist Pakistani goons remove the pious Hindu religious flag from a temple in front of the Police in Leicester, UK. Why is the Govt in UK unable to control religious hatred and arrest Islamist goons responsible for these cowardly attacks?
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) September 18, 2022
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2 झूठ फैलाकर किया हिंदुओं पर हमला
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कट्टरपंथी मुस्लिमों ने हिंदुओं पर हमला करने के लिए दो झूठ का सहारा लिया। पहला ये कि उन्होंने (हिंदुओं) मस्जिद पर हमला किया और दूसरा हिदुओं द्वारा मुस्लिम लड़की का अपहरण किया गया।
स्थानीय लोगों ने टीओआई को बताया कि शनिवार (17 सितंबर 2022) को यह हिंसा तब शुरू हुई, जब बर्मिंघम में मुस्लिमों ने लीसेस्टर में ‘शांतिपूर्ण विरोध’ का आह्वान किया। इसके लिए उन्होंने एक पोस्टर बनाया, जिसमें उन्होंने कुछ मुद्दों का उल्लेख किया। पोस्टर में लिखा था, “हम लेस्टा में विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं। आरएसएस हिंदुत्व चरमपंथियों को हमारी मुस्लिम, सिख महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के साथ खिलवाड़ नहीं करने देंगे।”
दरअसल, इन कट्टरपंथी मुस्लिमों ने एक फर्जी सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर अपना गुस्सा जाहिर किया था, जिसमें दावा किया गया था कि तीन हिंदू युवकों ने एक मुस्लिम लड़की के अपहरण की कोशिश और उन्होंने मस्जिद पर हमला किया। जबकि, लीसेस्टरशायर पुलिस (Leicestershire Police) के एक प्रवक्ता ने मस्जिद पर हमला होने की खबरें को फर्जी बताया है।
मालूम हो कि बेलग्रेव रोड पर हिंदुओं ने भी एक मार्च निकला था। जब दोनों पक्ष आमने सामने आए, तो यह विरोध प्रदर्शन हिंसा में बदल गया। एक तरफ जय श्री राम और वंदे मातरम और दूसरी तरफ ‘अल्लाहु अकबर’ का नारा लगा। मंदिर से भगवा झंडे को तोड़ा गया। एक वीडियो में कार को तोड़ते और उसे पलटाते हुए भी दिखाया गया है।
एक व्यक्ति बेवजह सब्जी वाले को पीटते हुए देखा जा सकता है। पुलिस ने रोड पर बैरिकेडिंग लगा रखी थी। वो भीड़ को पीछे ढकेलने की कोशिश कर रहे थे, जबकि भीड़ काँच की बोतलें और कई अन्य चीजें उन पर फेंक रही थी। स्थानीय सांसद क्लाउडिया वेब्बे ने कहा कि 28 अगस्त को एशिया कप मैच से पहले से ही तनाव बढ़ गया था, जिससे हिंसा की पहली बार शुरुआत हुई।
मंदिर की सुरक्षा बढ़ाने की माँग
लीसेस्टरशायर ब्रह्म समाज शिवालय (Leicestershire Brahma Samaj Shivalaya) के ट्रस्टियों की अध्यक्ष मधु शास्त्री ने लीसेस्टरशायर पुलिस को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि झंडा तोड़ने वाले को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए। उन्होंने कहा कि तनाव कम होने तक मंदिर को बंद करना पड़ सकता है। शास्त्री ने पुलिस से मंदिर की सुरक्षा बढ़ाने की भी माँग की। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं स्थानीय लोगों के अनुसार, इस घटना में दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।
भारत-पाकिस्तान मैच के बाद भड़की थी हिंसा
गौरतलब है कि एशिया कप 2022 में हुए भारत-पाकिस्तान मैच के बाद पूर्वी इंग्लैंड के लीसेस्टर शहर में हिंसा भड़क गई थी। 28 अगस्त को भारत-पाक मैच के बाद यहाँ से हिंदुओं पर हिंसक हमले की खबर सामने आई थी। इसके विरोध में कार्रवाई की माँग लेकर प्रदर्शन कर रहे हिंदुओं के समूह पर कट्टरपंथियों ने हमला कर दिया था। इसके अलावा उन्होंने भगवा ध्वज का भी अपमान कर उसे नीचे गिरा दिया था। बताया जा रहा है कि सैकड़ों कट्टरपंथियों ने हिंदुओं और उनके आसपास के घरों पर हमला किया था। मामले को शांत करवाने के लिए पुलिस ने भी भारी बल प्रयोग किया।
हिंदुओं पर हमले की कई वीडियो
इससे पहले भी ब्रिटेन के लिसेस्टर शहर से हिंदुओं पर हमले की कई वीडियोज सामने आए थे। वीडियो में देखा जा सकता था कि इस्लामी कट्टरपंथी भीड़ इकट्ठा करके हिंदुओं के घरों को निशाना बना रहे थे। उनके हाथों में हथियार और मुँह पर हिंदुओं के लिए गालियाँ थीं। सड़कों से पुलिस नदारद दिखाई दे रही थी। कोई उन्हें नहीं रोक रहा था। उस दौरान सोशल मीडिया पर वामपंथी हिंदुओं को ही इन हमलों का दोषी बताया गया था।