इस्लाम को बढ़ावा देने के नाम पर एक और मुस्लिम लड़की ने अपने करियर की कुर्बानी दे दी है। इस लड़की का नाम हलीमा अदन (Halima Aden) है। हलीमा 23 वर्ष की मुस्लिम अमेरिकन मॉडल थीं। हाल में उन्होंने इस्लाम के लिए फैशन इंडस्ट्री को अलविदा कहने का फैसला किया। उनका कहना है कि इस इंडस्ट्री में कई ऐसी चीजें होती हैं जो उनके मजहब के ख़िलाफ़ है।
हलीमा के इस तरह फैशन इंडस्ट्री छोड़ने की जानकारी इंस्टाग्राम के फेमस अकाउंट डाइट प्राडा (Diet Prada ) ने दी है। सोमाली अमेरिकन मॉडल सबसे पहले चर्चा में साल 2016 में आई थीं। वह केन्या के रिफ्यूजी कैंप में पली-बढ़ी थीं। साल 2016 के Miss Minnesota USA pageant में उन्होंने हिजाब पहनकर भाग लिया। इसके बाद वह American Vogue, Vogue Arabia, Elle and Allure का फीचर कवर बनीं। इसके अलावा हलीमा पहली मॉडल थीं, जिन्होंने स्पोर्ट्स इलस्ट्रेटेड स्विमसूट एडिशन के लिए भी हिजाब पहना।
‘रैंप से बुरी ऊर्जा आती है, मुझे हिजाब के नाम पर डेनिम पहनने को किया मजबूर‘
अपने इंस्टाग्राम स्टोरी की पूरी एक श्रृंखला में 23 साल की हिजाब पहनने वाली मॉडल ने फैशन रैंप के बारे में अपनी राय रखी थी। इसमें उन्होंने बताया था कि फैशन रैंप से बुरी ऊर्जा निकलती है। इसके कारण कई बार उन्हें अपनी नमाज छोड़नी पड़ी। कई बार वह अपने मजहबी कार्य नहीं कर पाईं, क्योंकि उन्हें प्रोजेक्ट करने होते थे।
अपने 1.2 मिलियन फॉलोवर्स को अदन ने बताया कि इस कोरोना महामारी के समय में उन्हें अपने मूल्यों पर ध्यान देने का अवसर मिला और उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें अपना मार्ग छोड़ना चाहिए।
अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी में अदन ने अपनी पुरानी फोटो डाली और दावा किया कि वह फैशन इंडस्ट्री में बहुत असहज थीं। उन्होंने ये भी बताया कि कैसे उन्हें पहले सिर पर डेनिम पहनने के लिए फोर्स किया गया और फिर कैसे सिर पर हिजाब इस तरह बाँधने के लिए मजबूर किया गया कि जिससे उन्हें लगा वह अपने मजहब को धोखा दे रही हैं।
अदन कहती हैं कि अमेरिकन इगेल आउटफिटर्स के साथ डेनिम फोटोशूट के बाद वह खुद को कमरे में बंद करके बहुत देर तक रोईं। इससे पहले उन्होंने कभी जींस नहीं पहनी थी। इससे उनका उद्देश्य न केवल पराजित हुआ, बल्कि उनके विश्वास (faith) को भी चोट लगी।
उन्होंने लिखा, “लेकिन..ये मेरा स्टाइल नहीं था? कभी नहीं। मैंने उन्हें क्यों इजाजत दी कि मेरे सिर पर जींस रखें जब मैंने सिर्फ स्कर्ट या लंबी ड्रेस ही पहनती थी?” आगे उन्होंने कहा, “मैं अपने होटल के कमरे में आई और उस शूट के बाद खूब रोई। मैं जानती थी वो मैं नहीं हूँ। लेकिन बोलने में मुझे बहुत डर लगा।”
उनके अनुसार, इस फोटोशूट के बाद उन्होंने खुद को बहुत असहज पाया। उन्हें ऐसा लगा जैसे उन्होंने खुद को खो दिया। अदन मानती हैं कि सब गलती उनसे हुई कि उन्होंने ऐसे प्रोजेक्ट उठाए। लेकिन फिर भी फैशन इंडस्ट्री को कोसती हैं कि इस उद्योग में मुस्लिम स्टाइलिस्ट नहीं है जो निजी रूप से इस बात को समझें कि हिजाब पहनना उनके लिए सब कुछ है।
मॉडल कहती है, “मुझे याद है कि मेरे पास रास्ता दिखाने वाला कोई नहीं था। मैंने अपनी गलतियों से, अपने अनुभव से सीखा। मैंने अच्छा किया लेकिन वह काफी नहीं। हम ये वार्तालाप कर रहे हैं ताकि सिस्टम को सही तरीके से बदल सकें।”
हलीमा के मुताबिक अगर कोई प्रोजेक्ट उन्हें उनकी मजहबी मूल्यों के समझौता करने को कहेगा तो वह उसे कभी नहीं लेंगी, चाहे उसके बदले उन्हें 10 मिलियन डॉलर ही क्यों न दिए जाएँ। उनका कहना है कि अब वह समझ चुकी हैं कि एक हिजाबी होने के नाते उन्होंने क्या गलतियाँ की।
ध्यान दिला दें कि अदन पहली मुस्लिम महिला नहीं है, जिनके करियर पर इस्लाम हावी हुआ हो। भारत में दंगल फिल्म की कलाकर जायरा वसीम ने भी पिछले साल इंस्टाग्राम पर ऐसी घोषणा की थी। इस्लाम को वजह बताकर उन्होंने भी बॉलीवुड को अलविदा कहा था। इसके बाद सना खान ने भी इस्लाम का हवाला देकर मनोरंजन इंडस्ट्री को छोड़ दिया था।