नागरिकता संशोधन कानून (CAA) की विरोध की आड़ में बीते साल 15 दिसंबर को दिल्ली के जामिया में हिंसा हुई। उपद्रवियों पर काबू पाने की कोशिश में दिल्ली पुलिस ने जामिया मिलिया इस्लामिया के कैंपस में प्रवेश किया। उस समय लिबरल गिरोह ने पुलिस के कैंपस में दाखिल होने को लेकर खूब रोना रोया। 16 फरवरी की सुबह एक वीडियो सामने आया और इसके बाद फिर से गिरोह का प्रलाप शुरू हो गया। एडिटेड वीडियो के जरिए दिल्ली पुलिस को बदनाम करने और दंगाइयों को पाक-साफ बताने की कोशिश की गई। हालॉंकि समय बीतने के साथ पूरी तस्वीर पलट गई और लिबरलों के प्रपंच का किला रेत की महल के माफिक ढह गया। आइए समझते हैं पूरे दिन किस तरह यह मामला आगे बढ़ा;
वीडियो 1
I do not remember the last time I was so disappointed and disgusted with my country. The visuals of the cops attacking helpless students at Jamia while they run for cover, in a space that was meant to be sacred. I do not recognise India anymore, we are beyond redemption. pic.twitter.com/5eWl9OHhn0
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) February 16, 2020
आज सुबह तड़के जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी ने यह वीडियो जारी किया। वीडियो में दिखाई पड़ रहा था कि दिल्ली पुलिस लाइब्रेरी में घुस कर छात्रों को पीट रही है। इस वीडियो की आड़ लेकर रवीश कुमार जैसे पत्रकारों और राणा अयूब जैसे इस्लामिस्ट्स ने मोदी सरकार और दिल्ली पुलिस पर हमला बोल दिया और जामिया हिंसा के लिए उसे जिम्मेदार ठहरा, पुलिस पर हमले करने वाली मुस्लिम भीड़ को बचाने की कोशिशें शुरू कर दीं। यह एडिटेड वीडियो था। इसमें दिख रहा था कि छात्र किताबें बंद कर के बैठे हुए थे और जैसे ही पुलिस आई, उन्होंने किताबें खोल कर पढ़ने का नाटक शुरू कर दिया। बाद में इस वीडियो से जामिया प्रशासन ने भी किनारा कर लिया।
वीडियो 2
मीडिया गैंग के प्रोपेगेंडा के बाद जामिया लाइब्रेरी में पुलिस और उपद्रवियों के बीच संघर्ष का एक और वीडियो भी सामने आ गया। इसमें नकाबपोश उपद्रवी पहले लाइब्रेरी में घुसते दिखे। फिर पुलिस उन्हें खदेड़ते हुए लाइब्रेरी पहुॅंची। ऐसा नहीं है कि पुलिस ने यूँ ही किसी पर कार्रवाई कर दी। पुलिस ने उपद्रवियों को चिह्नित कर एक्शन लिया। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि लाइब्रेरी के दरवाजे पर एक व्यक्ति खड़ा है, जो भाग कर आ रहे नकाबपोशों को अंदर घुसा रहा है।
वीडियो 3
What is the truth of #Jamia campus violence? India Today’s @arvindojha giving us latest details. (@PoojaShali)
— India Today (@IndiaToday) February 16, 2020
LIVE https://t.co/4fqxBVUizL pic.twitter.com/RyzJhA0Gki
हाथ में पत्थर लेकर और चेहरे पर नकाब बाँध कर लाइब्रेरी में कौन सी पढ़ाई की जाती है, ये जामिया के उपद्रवी ही बता पाएँगे। वीडियो में कुछ उपद्रवियों को पत्थर लेकर लाइब्रेरी में घुसते हुए देखा जा सकता है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि ये वो दंगाई हैं, जो 15 दिसंबर को पुलिस से बचने के लिए यहाँ छिपे थे। पुलिस उनलोगों की तलाश कर रही थी, जिन्होंने यूनिवर्सिटी के बाहर आगजनी की थी। दिल्ली पुलिस ने कहा कि सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हो रहे सभी वीडियोज की जाँच की जाएगी, जिसके बाद ही इस दिशा में कार्रवाई की जा सकती है।
ऑप इंडिया के सवाल
आपको याद होगा कि जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रशासन और छात्रों, दोनों ने ही पुलिस को जाँच में सहयोग नहीं किया। जब पुलिस जाँच के लिए सीसीटीवी फुटेज लेने पहुँची, तब छात्रों ने हंगामा किया और पुलिस को वो फुटेज नहीं लेने दिया। आख़िर जामिया के छात्र क्या छिपाना चाहते थे? हमारे कुछ और भी सवाल हैं, जो इस वीडियो को देखने के बाद उभरते हैं:
- जामिया का ये वीडियो हिंसा के 60 दिनों बाद क्यों रिलीज किया गया? इतने दिन तक इन्तजार क्यों? उपद्रवी छात्रों और गिरोह विशेष के बीच क्या सेटिंग चल रही थी?
- वीडियो को काट-छाँट कर क्यों जारी किया गया? पूरा वीडियो आने से उपद्रवी छात्रों की पोल खुल जाती, क्या इसीलिए वीडियो को अपने हिसाब से काट कर पेश किया गया?
- ऊपर हम पूछ चुके हैं कि जामिया का प्रशासन और छात्र पुलिस की जाँच में सहयोग क्यों नहीं कर रहे हैं? सीसीटीवी फुटेज में ऐसा क्या था कि इसे पुलिस को नहीं दिया गया था?
- ये वीडियो किसने जारी किया? पुलिस ने तो नहीं किया है। फिर जामिया के छात्रों ने किया? या फिर गिरोह विशेष ने?
- पूरी क्रोनोलॉजी कुछ यूँ लग रही है। बसें जलाओ, पत्थरबाजी करो, अराजकता फैलाओ और फिर लाइब्रेरी में छिप कर पढ़ने का नाटक करो। पुलिस चिह्नित कर कार्रवाई करे तो सहानुभूति कार्ड खेलो। कहीं यही क्रोनोलॉजी तो नहीं है।
हालाँकि, फ़िलहाल सोशल मीडिया पर गिरोह विशेष द्वारा दिल्ली पुलिस को बदनाम करने का खेल जारी है। रवीश कुमार से लेकर बरखा दत्त तक इसी काम में लगे हुए हैं। किसी ने पूरा वाला वीडियो शेयर करने की जहमत नहीं उठाई है। आधे-अधूरे वीडियो के आधार पर अफवाहों का बाजार गर्म किया जा रहा है।