बालाकोट में भारतीय वायु सेना के हमले के बाद चारों ओर भारतीय सेना और मोदी सरकार की तारीफ़ में आवाज़ें बुलंद हो रही हैं। सोशल मीडिया के गलियारों से लेकर देश की सड़कों तक बालाकोट में जो हुआ उसका समर्थन किया जा रहा है। लेकिन इस जवाबी कार्रवाई से विपक्ष में बैठे कुछ लोगों को शांति नहीं मिली है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता दीदी ने सवाल दागा है कि जवानों का जीवन चुनावी राजनीति से ज्यादा कीमती है, लेकिन देश को यह जानने का अधिकार है कि पाकिस्तान के बालाकोट में वायुसेना के हवाई हमले के बाद आख़िर वास्तव में क्या हुआ।
ममता के इस सवाल के बाद यकीन करना मुश्किल नहीं कि ऐसा बौद्धिक स्तर विपक्ष में बैठे लोगों में ही हो सकता है। जो जानते हैं कि किस चीज पर राजनीति नहीं होनी चाहिए लेकिन फिर भी वह उसी चीज पर राजनीति करने से बाज नहीं आते।
खैर अब जब सवाल कर ही दिया है तो उन्हें बताया जाना चाहिए कि बालाकोट में ‘क्या हुआ’ उसके सबूत धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं। 26 फरवरी को हुए इस हमले के एक दिन बाद वायुसेना कमांडर अभिनंदन के पाकिस्तान में होने की ख़बर आई, जिसके कारण सभी का ध्यान उनकी तरफ केंद्रित हो गया। लेकिन ममता अपनी राजनीति पर अटकी रहीं। ऐसे में उन्हें बताना जरूरी है कि ‘दीदी’ थोड़ा इंतज़ार करिए धीरे-धीरे बालाकोट में क्या-कैसे-कब हुआ सबके जवाब दिए जाएँगे, जैसे F-16 के मिसाइल के टुकड़े दिखाकर दिए गए हैं।
तब तक आप उस आईपीएस ऑफिसर के बारे में जवाब दे दीजिए जिसने सुसाइड नोट लिखकर आपको खबरों का हिस्सा बना दिया। ममता को यह बताना चाहिए कि उस आईपीएस अधिकारी ने अपनी आत्महत्या का कारण ममता को ही क्यों बताया? क्यों गौरव दत्त की पत्नी श्रेयांशी ममता को अपने पति की मौत का ज़िम्मेदार बता रही है? आख़िर आपने दस साल तक किसी आईपीएस अफसर को किस प्रकार इतना प्रताड़ित किया कि उसने नौकरी से सेवानिवृत्त होकर मौत को गले लगाना ही उचित समझा? इन सवालों का जवाब दे दीजिए फिर देश के हवाले से पूछते रहिए कि बालाकोट में क्या हुआ क्या नहीं हुआ?
सोचिए ज़रा! वायुसेना के जिस एक्शन से पूरे देश में संतुष्टि का माहौल बना, उसपर ममता जानना चाहती हैं कि आखिर उस दिन बालाकोट में वास्तविकता में हुआ क्या? और जिस घटना से ममता के अस्तित्व पर सवाल उठना शुरू हो गए उनके लिए उस प्रश्न का कोई औचित्य नहीं है। राजनीति करते-करते ममता जैसे नेता दूसरों पर सवाल उठाने से पहले भूल जाते हैं कि उनका दामन हर जगह कीचड़ से सना हुआ है। देश की जिस कामयाबी पर लोग गौरव करते नहीं थक रहे, उस पर सवाल उठाना भी बड़ी दिलेरी का ही काम है।
ममता ने मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से कहा कि हवाई हमले के बाद उन्हें बताया गया कि 300-350 आतंकी मारे गए हैं । लेकिन उनका कहना यह भी है कि उन्होंने वॉशिंगटन पोस्ट और न्यूऑर्क टाइम्स की खबरें भी पढ़ी हैं जो बता रहे हैं कि इस हमले में कोई मारा नहीं गया है, सिर्फ एक इंसान घायल हुआ है।
विदेशी अखबारों से जानकारी इकट्ठा करके सवाल दागने वाली ममता बनर्जी के सवाल ही उनपर सवाल खड़े कर रहे हैं कि वह जिस देश की प्रधानमंत्री होने के सपने देख रही हैं, उसी देश की सेना पर ऊँगली उठाने से उन्हें किसी प्रकार का कोई गुरेज़ नहीं हैं।
खैर, सीबीआई की पूछताछ से आहत होकर धरने पर बैठ जाने वाले यदि सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाए तों ज्यादा हैरानी नहीं होती। ऐसे लोगों के हर कदम में राजनीति की ही गंध आती हैं। जो साबित करते हैं कि मुद्दा चाहे कोई भी हो लेकिन उसपर राजनीति जमकर करेंगे, वो भी तब जब लोकसभा चुनाव नज़दीक हों।