सोशल मीडिया पर हिन्दू संतों का मजाक बनाने का एक चलन सा चल पड़ा है। जब किसी प्रतिष्ठित हिंदुत्ववादी या संत के मुँह से कोई बात निकलती है तो वामपंथी मीडिया उसे मजाक की विषय-वस्तु बना देता है। लाइक और रिट्वीटस’ के लिए इतना नीचे गिर जाता है कि उसके पीछे का कारण जानने की चेष्टा तक नहीं करता। कुछ ऐसा ही सद्गुरु वाले मामले में हुआ। सद्गुरु ने अपने एक सम्बोधन में बताया था कि किसी महिला को अगर बच्चा (मेल चाइल्ड) होता है तो महिला के शरीर में बनने वाले दूध की गुणवत्ता अलग होती है और बच्ची (फीमेल चाइल्ड) के केस में अलग।
‘ऑल्टन्यूज़’ की संस्थापक ने जब ये वीडियो देखा तो उन्होंने इस संबंध में कोई रिसर्च करने की जरूरत नहीं समझी। पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर ट्विटर पर इसका मजाक उड़ा दिया। क्यों? क्योंकि एक संत ने ऎसी बात कही थी। ऐसा करने वाले प्रतीक सिन्हा या ज़ुबैर नहीं, ‘ऑल्टन्यूज़’ की तीसरी संस्थापक सैम जावेद थी। उसने सद्गुरु जग्गी वासुदेव का मजाक उड़ाते हुए लिखा कि इस तरह की बातों को सुन कर उसकी बौद्धिकता को चोट पहुँचती है। साथ ही उसने हँसने वाला इमोजी भी ट्वीट किया।
दरअसल, सैम जावेद का विज्ञान से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है और न ही वो वैज्ञानिक रिसर्च व अध्ययनों की ख़बरों की ओर देखने की जहमत उठाती है। ऐसा इसीलिए, क्योंकि सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने जो भी कहा, वही बात कई वैज्ञानिक रिसर्चों में भी सामने आ चुकी है। सैम जावेद की तरह ही ‘ऑल इंडिया महिला कॉन्ग्रेस’ ने भी सद्गुरु जग्गी वासुदेव का मजाक बनाया। इसके बाद कई अन्य लोगों ने भी उनके बयान की हँसी उड़ाई। इसमें अधिकतर वामपंथी और उनके समर्थक शामिल थे।
दरअसल, साइंटिफिक रिसर्चों से पता चला है कि माँ का ब्रेस्ट मिल्क बच्चे की ज़रूरत के हिसाब से अपनी प्रवृत्ति में बदलाव करने में सक्षम होता है। न सिर्फ़ वो अपनी मात्रा बदल सकता है, बल्कि रंग और फ्लेवर भी बदल सकता है। ये बच्चे पर निर्भर करता है। बीमारी, दूध पिलाने का समय और अन्य कारणों से ये बदलाव हो सकते हैं। केन्या में हुए एक अध्ययन में ये भी स्पष्ट हुआ कि बच्चे और बच्ची के जन्म के हिसाब से माँ के दूध की प्रकृति अलग-अलग हो सकती है।
My intelligence hurts after watching the Sadhguru clip quoted by @IndianAtheists ? pic.twitter.com/v51xuL0NZH
— SamSays (@samjawed65) February 17, 2020
केन्या में ‘मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी एंड अदर इंस्टीट्यूशंस’ ने 72 महिलाओं पर ये रिसर्च किया। पाया गया कि जिन महिलाओं ने लड़के को जन्म दिया था, उनके दूध में फैट की मात्रा 2.8% थी, जबकि बच्चियों को जन्म देने वाले माँओं के दूध में फैट की मात्रा कम, यानी मात्र 1.4% थी। एक अन्य अध्ययन के मुताबिक, माँ के दूध में शुगर, प्रोटीन और मिनरल्स- इन सभी की मात्रा अलग-अलग हो सकती है, जो बच्चे के लिंग पर निर्भर करता है।हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर कैडटी हेण्डी द्वारा बंदरों पर किए गए रिसर्च में भी ये बात पता चली थी।