सेंट्रल विस्टा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम करने के लिए तैयार किया गया कॉन्ग्रेस का टूलकिट पब्लिक डोमेन में लीक होने के बाद, अब प्रोपेगेंडा वेबसाइट ऑल्टन्यूज ये साबित करने आगे आया है कि ये टूलकिट बिलकुल फर्जी है। इससे पहले यह वेबसाइट आगे आकर कट्टरपंथियों के कुकर्मों पर भी अपने फैक्टचेक के जरिए पर्दा डालती रही है।
आज हम इसी वेबसाइट के स्तंभों के बारे में आपको बताएँगे।
प्रतीक सिन्हा
प्रतीक सिन्हा ऑल्ट न्यूज का सह-संस्थापक है। लेकिन इनकी पहचान स्टॉकर सिन्हा के तौर पर भी होती है। अगर इन्हें कोई पसंद न आए तो ये साइबर स्टॉकिंग और व्यक्ति की डॉक्सिंग करने से भी गुरेज नहीं करते। 2019 में लोकसभा चुनाव में इन्होंने कई ट्विटर अकाउंट के नाम रिवील कर दिए थे, सिर्फ इसलिए क्योंकि वो सवाल करके कॉन्ग्रेस के कपट को उजागर कर रहे थे और ये चीज प्रतीक को पसंद नहीं थी।
The team behind misinformation that is made viral claiming to be ‘satire’ is as follows:@Being_Humor – Vinay Sharma, Mumbai@AMIT_GUJJU – Amit Sundarani, Anand@Gujju_Er – Prakash Javiya, Surat@pokershash – Shashank Singh, Kolkata@SmokingSkills_ – Yash Verma, Faridabad pic.twitter.com/RvBPtQxpAx
— Pratik Sinha (@free_thinker) January 25, 2019
प्रतीक ने जिन लोगों के नाम अपने ट्वीट में लिखे वह व्यंग्यात्मक शैली में अपने काम करते थे। इसलिए ये न तो कॉन्ग्रेस को पसंद था, न प्रतीक को। इसलिए सिन्हा ने उनके नाम उजागर कर दिए ताकि उनका प्रोपेगेंडा किसी के तंज के कारण धराशायी न हो।
सिन्हा कोई कानून प्रवर्तन कर्मी नहीं है, तो जाहिर है कि उन्हें किसी की निजी जानकारी तक पहुँचने की या उसे सबके साथ साझा करने का भी अधिकार नहीं है। लेकिन परिणामों की चिंता किए बिना सिन्हा ने ये हरकत की और कॉन्ग्रेस समर्थक साथियों ने ऐसी और जानकारी साझा करने को कहा।
Hello Ankur Pandey cum @mirchagalib
— Pratik Sinha (@free_thinker) January 25, 2019
1) Not all Sinhas are from Bihar. This one has got nothing to do with Bihar. Plus are people from both Bihar and Gujarat not Indians? Why this secessionist attitude?
2) Kindly stop spreading hate.https://t.co/sqIlBYaPMu
Thanks! https://t.co/6TWiGRQx5h
अब इस तरह की हरकत जाहिर है कि किसी पुरुष के साथ हो तो भी जस्टिफाई नहीं हो सकती। लेकिन सोचिए कि यदि इन अकाउंट्स को महिला या कोई बच्चा हैंडल कर रहा होता तो क्या होता? इससे पहले वैसे भी ऑपइंडिया के सीईओ राहुल रौशन की पत्नी और उनकी 2 माह की मासूम बेटी की तस्वीर शेयर कर सिन्हा अपनी स्टॉकिंग की क्षमता दिखा ही चुका था।
कल्पना करिए कि सिन्हा की इस हरकत के बाद इन्हें क्या धमकियाँ या गालियाँ मिली होंगी। अभी कुछ ही दिन पहले हमने एक राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ताओं को चुनाव जीतने के बाद हिंसा फैलाते देखा, ऐसे में अगर इनमें से एक भी यूजर उस निश्चित राज्य का होता, तो क्या ये हरकत ऐसी नहीं होती है जैसे भेड़ियों के बीच उन्हें फेंक दिया गया हो।
अब आइए बात करें कि ये आदमी फैक्टचेक को कैसे प्रोपेगेंडा टूल की तरह इस्तेमाल करता है
दिसंबर 2019 में द द न्यूयॉर्कर मैग्जीन ने अपने आर्टिकल “Blood and soil in Narendra Modi’s India” में पीएम नरेंद्र मोदी की पुलवामा अटैक और बालाकोट एयर स्ट्राइक को लेकर जमकर आलोचना की थी। दिलचस्प बात ये है कि इस लेख को लिखने में डेक्सटर फिलकिंस की प्रतीक सिन्हा ने ही मदद की थी।
दरअसल, एयरस्ट्राइक पर सवाल उठाने के लिए प्रतीक सिन्हा लगातार उन अकाउंट्स को अपना निशाना बना रहे थे जो बालाकोट को लेकर दावा कर रहे थे कि वहाँ आतंकी छिपे थे। उस समय सिन्हा अपनी ऊर्जा किसी भी यूजर द्वारा पोस्ट की गई रैंडम पिक्चर को फेक बताने में इस्तेमाल कर रहे थे।
लेकिन इस दौरान, फिलकिंस और सिन्हा, दोनों का इससे सरोकार नहीं था कि पाकिस्तान सरकार ने क्यों अंतरराष्ट्रीय मीडिया के साइट पर जाने पर पाबंदी लगाई और क्यों स्ट्राइक के बाद 60 एकड़ के परिसर को घेर लिया गया। याद दिला दें कि ये सारी पाबंदी 8 मार्च 2019 देर रात तक थी। इस बीच कोई पत्रकार वहाँ नहीं जा सकता था।
दिल्ली में हुई हिंदू विरोधी हिंसा में भी AAP के निलंबित पार्षद का बचाव करके ये फैक्टचेकर फ्रंट पर आ गए थे और वीडियो के जरिए दिखा रहे थे कि ताहिर जिस वीडियो में छत पर मदद माँग रहा था, वो बिलुकल एडिट नहीं है।
कोरोना संक्रमण के दस्तक देने के बाद तबलीगी जमात ने अपने कुकर्मों से हर जगह जो रायता फैलाया, उस पर भी सिन्हा के पोर्टल ने लीपापोती की और अमेरिकी मीडिया को ये बयान दिया कि दक्षिणपंथी पुरानी वीडियो शेयर कर बता रहे हैं कि भारतीय मुसलमान कोरोना फैलाने में जिम्मेदार है, जो कि आतंकी गतिविधि से कम नहीं है।
सिन्हा की हरकत से साफ पता चल रहा था कि वह तबलीगी जमातियों की बदसलूकी, उनके रवैये पर वायरल हो रही वीडियोज को झूठा कह रहे थे। उन्हें कोई मतलब नहीं था कि जगह-जगह ये तबलीगी कैसे स्वास्थ्यकर्मियों को तंग कर उनसे बदसलूकी कर रहे थे और खुले में शौच, पेशाब, मारपीट कर रहे थे।
सबसे हालिया मामला तब देखने को मिला जब रोहित सरदाना की मौत के बाद शरजील उस्मानी के घटिया ट्वीट जिसमें आजतक के एंकर को पागल, नरसंहार के लिए उकसाने वाला आदि कहा गया था, उसे भी इन्होंने ये कहकर जस्टिफाई किया था, “मेरी अंग्रेजी के हिसाब से उस्मानी, सरदाना की मृत्यु का जश्न नहीं मना रहा था, वह उसके कामों की विशेषता बता रहा था।”
अब यही क्रम सिन्हा और उनकी वेबसाइट ने कॉन्ग्रेस के टूलकिट को झूठा बनाने में भी अपनाई है, जबकि कॉन्ग्रेस नेता राजीव मान चुके हैं कि इन दो डॉक्यूमेंट में से एक प्रमाणिक है।
मोहम्मद जुबैर
ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापकों में अगला नाम मोहम्मद जुबैर का है। ये शख्स भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी के नाम से पैरोडी पेज ‘सुसु स्वामी’ चलाता था। पिछले साल एक ट्विटर यूजर अंकुर सिंह ने जुबैर पर कॉन्ग्रेसी आईटी सेल की तरह काम करने के 25 प्रमाण दिए थे।
Alt News says ‘Mohammad Zubair has been at forefront of fighting fake narratives’.
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) September 6, 2020
Let’s Fact Check It.
A thread on Fake News spread by @zoo_bear.
Decide yourself if he’s a Fact Checker or Congress IT Cell coolie. https://t.co/V18hjxRJ6y
इनके जरिए बताया गया था कि कैसे जुबैर, पीएम मोदी और भाजपा पर झूठ फैलाता है और पकड़े जाने पर ट्वीट डिलीट कर देता। हालाँकि इस बीच इसके ट्वीट के स्क्रीनशॉट वायरल हो जाते।
Alt News says ‘Mohammad Zubair has been at forefront of fighting fake narratives’.
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) September 6, 2020
Let’s Fact Check It.
A thread on Fake News spread by @zoo_bear.
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जुबैर ने पीएम मोदी के रेडियो शो में कमेंट सेक्शन बंद होने पर भी उनका मजाक बनाया था कि ये कमेंट ऑफ नकारात्मक प्रक्रिया के डर से किया गया है। हालाँकि, जब हमने पीएमओ का यूट्यूब चैनल चेक किया तो पाया कि ऐसा हमेशा होता था।
Alt News says ‘Mohammad Zubair has been at forefront of fighting fake narratives’.
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) September 6, 2020
Let’s Fact Check It.
A thread on Fake News spread by @zoo_bear.
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जुबैर को हर चीज का राजनीतिकरण करने में भी मजा करता है। चाहे मामला रेप से जुड़ा क्यों न हो। कठुआ रेप मामले में जब पुलिस के कुछ दावों में नजर आई कमियों को लेकर ऑपइंडिया ने सवाल किए थे, तब ऑल्ट न्यूज का ये संस्थापक सामने आया और ऑपइंडिया को रेपिस्टों का हितैषी बताने लगा। अब दिलचस्प यह है कि हमने सवाल विशाल जंगोत्रा के संबंध में पेश किए बिंदुओं पर किए थे और यही विशाल कोर्ट से अपराधों से बरी भी हुआ था।
साल 2019 में श्रीलंका में ईस्टर के मौके पर चर्च में हुए हमले के बाद तो इस जुबैर ने इस्लामी आतंक का बचाव करने में हर हद पार कर दी थी। एक लेटर सोशल मीडिया पर सामने आया था और जुबैर ने अपना एक दिन इस लेटर को झूठा बताने में लगा दिया। इसका कहना था कि किसी सरकारी अधिकारी की ओर से इस लेटर की पुष्टि नहीं हुई। लेकिन घटना के कुछ दिन बाद श्रीलंका के मंत्री ने एक पत्र शेयर किया था और बताया था कि चर्च पर हुए हमले में कट्टरपंथी इस्लामी संगठन नेशनल तौहीद जमात शामिल था।
बता दें कि ऑल्टन्यूज के ये फैक्टचेकर इतने ज्यादा पक्षपाती हैं कि ये आज के समय में अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं। इन्हें भाजपा, पीएम मोदी और हिंदुओं से नफरत के लिए जाना जा रहा है और इनकी पहचान सिर्फ कॉन्ग्रेस लाइट के तौर पर बन रही है।
निर्झरी सिन्हा
प्रतीक सिन्हा की माँ निर्झरी सिन्हा (Nirjhari Sinha ) एक मोदी आलोचक हैं। जो जायज है। लेकिन इनमें जो गलत आदत है वो ये कि ये आलोचना के लिए फर्जी तस्वीर, पुरानी फोटो का इस्तेमाल करके प्रोपेगेंडा फैलाती हैं।
2020 में चीन से कोरोना वायरस भारत में आने के बाद इन्होंने पीएम से अपनी असहमति जाहिर करते हुए एक गरीब परिवार की फोटो शेयर की थी, जो बिना छत के बैठे थे। सिन्हा ने इस फोटो पर पीएम के लिए लिखा था कि पीएम इन्हें क्या कहना चाहेंगे घर में रहें, बाहर न घूमें।
What is the PM’s message for them? Stay at home..dont venture out! pic.twitter.com/2sSfQIRdM0
— Nirjhari Sinha (@NirjhariSinha) March 25, 2020
अब इस बात से इनकार नहीं है कि देश में गरीबी आज भी एक चुनौती है, लेकिन इस तथ्य को नहीं नकारा जा सकता कि लॉकडाउन इस बार की तरह पिछले साल समय की माँग थी और इसे भी नहीं मना किया जा सकता कि गरीबों को सहारा देने के लिए सरकार पीएम आवास योजन के तहत लगातार काम कर रही हैं।
सबसे बड़ी बात- ये तस्वीर भी 2020 की नहीं थी। ये 2016 की थी, लेकिन सिन्हा ने अपनी नफरत का प्रदर्शन करने के लिए अपनी सारी समझ को किनारे पर रख दिया और कोरोना से लड़ाई के समय लॉकडाउन पर ही सवाल उठा दिया।
निर्झरी वहीं महिला हैं जिन्होंने अपने पति मुकुल सिन्हा के साथ 2002 में गुजरात दंगों के ‘पीड़ितों’ के लिए लड़ाई लड़ी और गोधरा कांड को एक्सीडेंट बताने का पूरा पूरा प्रयास किया।
मुकुल सिन्हा
प्रतीक सिन्हा के पिता मुकुल सिन्हा वैज्ञानिक से एक्टिविस्ट बने वो शख्स हैं जो ऑल्टन्यूज जैसा एक ऑनलाइन पोर्टल ‘truthofgujarat.com चलाते थे। उन्होंने लॉ भी किया था और जन संघर्ष मंच के संस्थापक रहे। इसी संगठन ने न्यू सोशलिस्ट मूवमेंट की भी स्थापना की जो 2007 में चुनाव आयोग में एक पार्टी के तौर पर दर्ज हुआ। बाद में मुकुल सिन्हा ने राजनीति में भी किस्मत आजमाई। लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी।
ऑल्टन्यूज़ से जुड़े निर्झरी सिन्हा, प्रतीक सिन्हा और मुरलीधर देवमुरारी- सभी इनके जन संघर्ष मंच के सदस्य हैं। इनमें से निर्झरी और मुरलीधर ऑल्टन्यूज़ के निदेशक हैं।
मुकुल सिन्हा उन लोगों में से हैं जिन्होंने अपने जैसी सोच वालों को इकट्ठा करके गुजरात दंगों और गोधरा कांड पर अपनी अलग थ्योरी फैलाई। इन्होंने गोधरा कांड के दौरान इकट्ठा हुई मुस्लिम भीड़ तक को जस्टिफाई करने का ये कहकर प्रयास किया कि मुस्लिम भीड़ प्लेटफॉर्म पर अपने आप आई थी, जिसका कारण एक मुस्लिम लड़की का शोषण था और इसी कारण उन्होंने ट्रेन को आग लगाई।
यानी उन्होंने 59 कारसेवकों की मौत की जिम्मेदार भीड़ को एक प्रतिक्रिया मात्रा करार दे दिया और क्लीनचिट भी दे दी कि ये सब प्लान नहीं था।
इसके अलावा साल 2004 में भी एक कॉन्ग्रेसी कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने “Rebuilding Justice and Hope in Gujarat: The Agenda Ahead” नाम से सेमिनार करवाया। जहाँ सिन्हा ने ये साबित करने की कोशिश की मुस्लिमों द्वारा ट्रेन में आग लगाए जाने की बात झूठ है और वह सब सिर्फ एक दुर्घटना थी।
मुकुल सिन्हा ये सारा कारनामा अपनी साइट ट्रुथ ऑफ गुजरात के जरिए कर रहे थे और इसमें उनके साथ प्रतीक सिन्हा भी शामिल थे। 2013 में अचानक मुकुल सिन्हा ने ये कह दिया कि गुजरात के तत्कालीन सीएम पूरे 35 दिन तक राहत शिविरों में नहीं गए थे। उन्होंने 4 अप्रैल 2002 को दौरा किया था।
लेकिन द हिंदू की 7 मार्च 2002 की रिपोर्ट देखिए, सिन्हा के दावे से पहले द हिंदू ने बताया था कि मोदी राहत शिविर का दौरा कर चुके हैं। इसके अलावा टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में भी इसका जिक्र था।
तो इस तरह पहले भी बेशर्मी से प्रोपेगेंडा चलाया जाता था।
गोधरा कांड में मुस्लिम कट्टरपंथियों को बचाने के अलावा सिन्हा ने आतंकियों को बचाने की लड़ाई भी लड़ी है। वह आतंकी इशरत जहां के साथी जावेद शेख का बचाव करते पाए गए थे। वह उन आतंकियों में से था जिसका मिशन तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी की हत्या करना था, लेकिन वह अहमदाबाद में एनकाउंटर में मार गिराया गया था (बता दें कि इसी साल मार्च में सीबीआई कोर्ट ने इस केस में कहा है कि इशरत जहां को लेकर ऐसे कोई सबूत नहीं है जो साबित करें कि वो आतंकी नहीं थी)
मालूम हो कि सिन्हा चूँकि कैंसर मरीज थे इसलिए 12 मई 2014 को उनका निधन हो गया। अजीब बात ये है कि इसी दिन मीडिया में पोल्स की खबरें चलीं कि नरेंद्र मोदी इस बार भारी बहुमत से सत्ता में आने वाले हैं।
सैम जावेद, पूजा चौधरी और ऑल्ट न्यूज के छुटभैये
सैम जावेद ऑल्टन्यूज के अगली सह संस्थापक हैं। इनके बारे में कम जानकारी है लेकिन ऐसा लगता है कि इन्हें मिडल ईस्ट में समय गुजारना पसंद है। कॉन्ग्रेसियों की भाँति सैम भी भक्त शब्द का इस्तेमाल भाजपा और मोदी समर्थकों को नीचा दिखाने के लिए करती हैं। इसके अलावा उन्हें ये बताकर भी खुशी मिलती है कि दुबई गौमाता के लिए खतरनाक जगह है।
उनके ट्वीट्स में देखा जा सकता है कि जब कोई कॉन्ग्रेस को खराब प्रोडक्ट कहता है तो उनका रिएक्शन कैसे मोदी सरकार पर उलट आता है।
Technically if you can sell Modi, you can sell anything but then its easy to sell Modi’s brand of politics to Bhakts https://t.co/YdU8j0WIyI
— SamSays (@samjawed65) August 3, 2016
इसके अलावा उन्हें राहुल चाहे संसद में सो जाएँ या जगें… इससे कोई मतलब नहीं है। उनका टारगेट सिर्फ भक्त ही हैं। एक ट्वीट में उन्हें गौ माता, गौरक्षक, गौमूत्र, गोबर पर भी तंज कसते देखा जा सकता है। बिलकुल उसी भाषा में जिस भाषा में आतंकी हिंदुओं के प्रति अपनी घृणा दिखाते हैं।
Nothing wrong in a nap once in a while but INC’s explanations are hilarious. From moisturising his eyes to breathing & listening technique
— SamSays (@samjawed65) July 20, 2016
The 4Gs- GauMata, GauRakshak, GauMutra & Gobar have dominated the discussion for over a week now. What has become of us?
— SamSays (@samjawed65) August 8, 2016
पूजा चौधरी, टूलकिट को झूठा बताने वाली फैक्टचेक की सह लेखिका हैं। इनके ट्वीट देखिए पता चलता है कि भूमि पूजन और राम मंदिर का समर्थन करने वाले लोगों से इतनी नफरत है कि ये सेलीब्रिटियों तक की लिस्ट बनाकर उनका बहिष्कार करने की बात कह सकती हैं।
नीचे ट्वीट देखिए, ये राम मंदिर पूजन पर ट्वीट करने वाले अक्षय कुमार, कार्तिक आर्यन, वरुण धवन सबके ट्वीट शेयर कर बता रही थी वो इन लोगों की फिल्में अब नहीं देखेंगी।
Have nothing to say about this dude. Don’t remember the last time I watched one of his films. pic.twitter.com/0TKOrbz0gx
— Pooja 🌈 (@Pooja_Chaudhuri) August 6, 2020
पूजा, ऑल्ट न्यूज में इस्लामी कट्टरपंथियों को भी उनके अपराध से क्लीनचिट दिलवाने का काम करती हैं। तबलीगी जमात के कुकर्म आपको याद ही होंगे जब उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों को जमकर तंग किया था।
इस दौरान कभी इन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों का शोषण किया, कभी थूका, कभी मापीट की, लेकिन इन सब कारनामों को नजरअंदाज करके पूजा ने सिर्फ एक वीडियो का फैक्टचेक किया, जो कि फर्जी थी।
आगे आपको वो घटना याद होगी जहाँ जामिया छात्र के हाथ में पत्थर की जगह पर्स वाली बात ऑल्टन्यूज ने फैलाई थी, उसके निष्कर्ष तक पहुँचने में भी पूजा का हाथ था।
इसके अलावा ऑल्टन्यूज के एक लेखक जिग्नेश हैं। राहुल गाँधी के लिए दिल में बहुत नरम कोना रखने वाले। जिगनेश को राहुल प्रेम और दरियादिली की ऐसी मूरत लगते हैं कि उन्हें दुख होता है जब कॉन्ग्रेसी समर्थक किसी रिपोर्टर के साथ बदसलूकी करते हैं।
Bhakts will be Bhakts, regardless, of their political affiliation. Rahul Gandhi’s philosophy of love and kindness is just not cutting ice with his party supporters. pic.twitter.com/yXXCc2T76A
— Jignesh (@thisisjignesh) May 16, 2019
जिगनेश ये भी बताते हैं कि कैसे नोबेल प्राइज विजेता अभिजीत की यूपीए नीतियों पर दिए गए बयान को मीडिया ने गलत चलाया।
इसके अलावा वो ये भी समझाते हैं कि किसी विदेशी मंत्री ने उनके राहुल गाँधी को बेवकूफ नहीं कहा, वो फेक अकाउंट था।
तो ये हैं ऑल्टन्यूज के वो मुख्य स्तंभ जो आप तक प्रोपेगेंडा तैयार कर परोसते हैं। ऐसे पक्षपाती रवैये के बावजूद कई हस्तियाँ, कई नेता, कई पत्रकार इनका बचाव करते हैं। इसी तरह कॉन्ग्रेस का इकोसिस्टम काम करता है। यही तरीका जिससे अपराध करने वालों को पोसा जाता है और पकड़े जाने पर उनके अपराधों पर लीपापोती होती है।