प्रोपेगेंडा वेबसाइट द वायर की वरिष्ठ संपादक आरफा खानम शेरवानी को तबलीगी जमात के सदस्यों की नंगई पर यकीन नहीं हो रहा। उन्हें लगता है कि गाजियाबाद से एमएमजी हॉस्पिटल में नर्सों के सामने जमात के सदस्यों के पतलून उतारने की खबरें झूठी हैं। आरोप लगाने वाली नर्सें प्रोपेगेंडा में शामिल हैं। यह दूसरी बात है कि एडीएम और एसपी के ज्वाइंट इन्वेस्टीगेशन में नर्सों के आरोप सही पाए गए हैं और इस तरह की हरकत करने वाले जमात के 5 सदस्यों पर मुकदमा भी दर्ज किया गया है।
लेकिन, आरफा ने यह मानने से इनकार कर दिया है कि तबलीगी जमात वाले महिलाओं के साथ बदसलूकी या उनका शोषण कर सकते हैं। उसने ट्वीट कर रहा है, “वे नि:स्वार्थ भाव से सेवा करने वाले लोग हैं, जो मजहब/समाज की सेवा के लिए दुनियादारी, यहॉं तक कि अपने परिवार से भी दूर रहते हैं।” आगे आरफा ने जोर देकर कहा है कि प्रोपेगेंडा अब बंद होना चाहिए।
आरफा ने चिर-परिचित विक्टिम कार्ड से भी तबलीगी जमात के करतूतों पर पर्दा डालने की कोशिश की है। उसके मुताबिक तबलीगी जमात को जिस तरह मीडिया निशाना बना रहा है वह सही नहीं है। इसके बहाने पूरे समुदाय को नीचा दिखाया जा रहा है। उसने कहा, “खुदा न करे लेकिन जमात के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की वजह से यदि मुस्लिमों पर हमला होता है तो मीडिया का प्रोपेगेंडा और अधिकारियों की चुप्पी इसके लिए जिम्मेदार होगी।”
In the guise of ‘fighting Corona’,and ‘exposing’ Tablighi Jamat,media is targeting the entire Muslim community.
— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) April 3, 2020
God forbid, if Muslims are attacked because of the vicious campaign around Jamat, the propaganda of media and the silence of the authorities will be responsible for it.
आरफा भले तबलीगी जमात के सदस्यों की बदसलूकी पर यकीन न करें लेकिन सच्चाई यही है कि नर्सों ने इसकी शिकायत की थी। नर्सों ने उनके आपत्तिजनक व्यवहार की लिखित शिकायत की है। नर्सों ने शिकायत में कहा है कि वार्ड में जमात के सदस्य नंगा होकर घूमते हैं। उन पर फब्तियॉं कसते हैं। अश्लील गाने सुनते हैं। दवा लेने से इनकार करते हैं। शिकायत में यह भी कहा गया है कि जमाती सफाई कर्मचारियों से बीड़ी-सिगरेट भी मॉंगते हैं और उनको परेशान करते हैं। उनसे एक-दूसरे से दूर रहने को कहा जाता है तो वे साथ में बैठकर बात करते हैं।
एएमजी अस्पताल के सीएमओ ने पुलिस से की गई शिकायत में भी यही बातें कही है। उन्होंने शिकायत में कहा है कि इस तरह की स्थिति के कारण हॉस्पिटल में उनका इलाज करना संभव नहीं हो पा रहा है। पुलिस से उन्होंने उचित कार्यवाही करने की गुहार लगाई थी ताकि उपचार में परेशानी न हो।
जॉंच में ये आरोप सही पाए गए हैं। एडीएम और एसपी ने जॉंच के दौरान पाया कि जमात के लोग हॉस्पिटल में न तो दवा खा रहे थे और न ही अपने बिस्तर पर रह रहे थे। वो नर्सों को देख कर अश्लील गाने भी गए रहे थे। वो स्टाफ से बीड़ी-सिगरेट और पान मसाले की माँग कर रहे थे। जाँच के दौरान नर्सों ने अधिकारियों को बताया कि जमाती उनकी तरफ देख कर अश्लील इशारे कर रहे थे और हँस रहे थे। उन्हें समझाने की कोशिश भी की गई लेकिन वो नहीं माने। इसके बाद सीएमओ से शिकायत की गई।
आरफा जिन लोगों का बचाव कर रही हैं उनकी करतूतें केवल एक अस्पताल तक ही सीमित नहीं है। यूपी के अलग-अलग जिलों से जमातियों द्वारा हॉस्पिटल में बदतमीजी किए जाने की ख़बरें आ रही हैं। बिजनौर में 8 इंडोनेशियाई जमातियों ने अंडा-करी और बिरयानी की माँग की थी। साथ ही उन्होंने सफाई कर्मचारियों के साथ भी अभद्रता की थी। बस्ती और आगरा में भी बिरयानी माँग कर हॉस्पिटल कर्मचारियों को परेशान किया। मुरादाबाद में जमातियों ने दाल-रोटी खाने से इनकार कर दिया। दिल्ली के एलएनजेपी हॉस्पिटल और हैदराबाद के गॉंधी हॉस्पिटल में इनके उपद्रव के बाद पुलिस की तैनाती करनी पड़ी। इनलोगों ने सड़कों पर, अस्पतालों में, डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों पर थूक कर संक्रमण तक फैलाने की कोशिश की है। देश में जो नए मामले सामने आए हैं उनमें आधे से अधिक तबलीगी जमात के निजामुद्दीन स्थित मरकज से जुड़े हैं।
ऐसे में आरफा की प्रतिक्रिया से साफ है कि उम्माह के आगे उनके लिए कुछ भी मायने नहीं रखता। महिलाओं का सम्मान भी नहीं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नारी अधिकारों की कथित पैरोकार वामपंथी और मीडिया गिरोह के दूसरे सदस्य महिलाओं के इस उत्पीड़न और तबलीगी जमात की करतूतों का किस तरह बचाव करते हैं।