28 मार्च को कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रियंका गाँधी से रायबरेली से चुनाव लड़ने के संबंध में सवाल पूछा था, जो कि उनकी माँ का गढ़ है। उस समय, प्रियंका गाँधी वाड्रा ने जवाब दिया था – ‘वाराणसी क्यों नहीं’? लगभग एक महीने के अंतराल के बाद, कॉन्ग्रेस ने वाराणसी से अजय राय को प्रधानमंत्री मोदी के ख़िलाफ़ मैदान में उतारने का फ़ैसला किया है और इस फ़ैसले पर ‘न्यूट्रल’ मीडिया अपनी नाराज़गी को नहीं रोक पा रहा है।
कॉन्ग्रेस द्वारा अजय राय की उम्मीदवारी घोषित होने से पता चलता है कि कॉन्ग्रेसी खेमे में उम्मीदवारों की कितनी किल्लत है। प्रियंका गाँधी, जिन्होंने कभी महिलाओं का उद्धार करने का बीड़ा उठाया था, असल में वो चुनावी मैदान से दूरी बनाती दिख रही हैं। क्षेत्र की महिलाओं के विकास करने का मुद्दा उठाने वाली प्रियंका का मोदी के ख़िलाफ़ न खड़ा होना इस बात का संकेत है कि कॉन्ग्रेस अपनी स्वांगरुपी राजनीति का प्रमाण देने में ख़ुद ही सक्षम है।
बरखा दत्त जो अक्सर बुरहान वानी जैसे आतंकवादियों के साथ सहानुभूति रखती हैं और कश्मीरी पंडित नरसंहार के बहाने नाजी जैसी कहानी कहती हैं। उन्होंने ट्वीट किया कि अगर कॉन्ग्रेस उन्हें मैदान में उतारने के पक्ष में नहीं थी तो प्रियंका को वाराणसी से लड़ने की इच्छा नहीं जतानी चाहिए थी। हम प्रियंका के दर्द को समझते हैं, आख़िरकार, एक बार आशा बन जाने के बाद जब वो टूट जाती है तो वाकई दिल को चोट पहुँचती है।
If Congress never intended to field @priyankagandhi against @narendramodi then she shouldn’t have asserted her willingness and desire to do so, not once, but twice. This way it looks like a No Show against Modi’s Mega Show #Varanasi
— barkha dutt (@BDUTT) April 25, 2019
अभिसार शर्मा, जो कॉन्ग्रेस के वफ़ादार पत्रकारों में से एक थे, उन्होंने भी अपना ग़ुस्सा कॉन्ग्रेस पार्टी पर उतारा। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, “डरपोक.. क्या भस्मासुरी पार्टी है! कोई विज़न नहीं है। कोई साहस नहीं।
राहुल के पास न तो कोई अधिकार ही है और न ही क्षेत्रीय तानाशाह उनकी बात सुनते हैं।
Cowards. What a Bhasmasuri party!Has no vision. No guts. Messed it up in Delhi. A very rude shock awaits them in Rajasthan as Gehlot just campaigning for his son and diverting all resources there. The regional satraps dont listen to Rahul or he doesnt have the authority. https://t.co/XSXGXmq0gU
— Abhisar Sharma (@abhisar_sharma) April 25, 2019
हरिंदर बावेजा ने प्रियंका गाँधी पर तीखा प्रहार करते हुए लिखा कि यह उन लोगों की मूर्खता थी जो मानते थे कि @priyankagandhi वाराणसी में @narendramodi के ख़िलाफ़ लड़ेंगी।
Was silly of those who even half believed @priyankagandhi would fight against @narendramodi in Varanasi. She wouldve got bogged down and why stake your political career in year one? Makes for theatrics not political wisdom
— Harinder Baweja (@shammybaweja) April 25, 2019
बरखा दत्त ने जवाब दिया कि कॉन्ग्रेस ने जो वादा किया था, वो यही था।
And the media fell for it!! Thats silly too https://t.co/TDsbujdsir
— Harinder Baweja (@shammybaweja) April 25, 2019
पल्लवी घोष ने @priyankagandhi और @RahulGandhi के केट में सस्पेंस पर सवाल उठाए।
More intriguing than the fact whether @priyankagandhi will contest is the question why is it that both she and @RahulGandhi say ket there be suspense
— pallavi ghosh (@_pallavighosh) April 25, 2019
इस सब के बाद, निखिल वागले ने ट्वीट किया कि @RahulGandhi को महान सेनानियों के जीवन की कहानियों का अध्ययन करना चाहिए। खेल, कला, संगीत, राजनीति, उद्योग…. तब उन्हें एहसास होगा कि कैसे सभी ने एक सही समय पर जोख़िम उठाया और बहुत से सलाहकारों की बात नहीं मानी। इसके लिए वो मोदी से भी सीख सकते हैं!
.@RahulGandhi should study the life stories of great fighters. Sports, arts, music, politics, industry….He will realise then how everyone took a risk at a right moment and did not listen to too many advisors. He can learn from Modi too!
— nikhil wagle (@waglenikhil) April 25, 2019
कॉन्ग्रेस के इस फ़ैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बचाव करने के मूड में रिफ़त जावेद ने प्रियंका गाँधी को बहादुरी के तमगे से नवाज़ने का काम किया।
She entered active politics in March. I was told there was no plan for her to enter electoral politics yet and she was here to build organization in UP keeping 2022 in mind. To announce her now with no work on the ground wouldn’t have been enough to defeat Modi in Varanasi. https://t.co/i8W2J4Xv2B
— Rifat Jawaid (@RifatJawaid) April 25, 2019
शिवम विज ने गाँधी से बेहतर केजरीवाल को बताया।
Kejriwal had more guts than Gandhis. https://t.co/lOv2shDawB
— Shivam Vij (@DilliDurAst) April 25, 2019
संकर्षण ठाकुर ने मूल रूप से कॉन्ग्रेस भी मोदी के ख़िलाफ़ एक प्रतीकात्मक लड़ाई नहीं करना चाहती है; वाराणसी में अजय राय की तुलना में उनसे अधिक थका हुआ और परखा हुआ कोई दूसरा नहीं है।
Basically the Congress doesn’t even want to put up even a symbolic fight against Mosi; can’t get a more TIRED and TESTED candidate in Varanasi than Ajai Rai https://t.co/hvF5HiZI9t
— Sankarshan Thakur (@SankarshanT) April 25, 2019
Total cop out by congress so Priyanka Gandhi bottled it. Walkover for Modi https://t.co/lRQgSfh8GB
— Swati Chaturvedi (@bainjal) April 25, 2019
Turns out that after all the hoopla, Congress party under @RahulGandhi‘s leadership doesn’t the spunk to taken on @narendramodi head-on in Varanasi. Pity.
— Pratik Sinha (@free_thinker) April 25, 2019
सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर राजदीप सरदेसाई भी अपनी राय रखने से नहीं चूके। उन्होंने ट्वीट किया कि आख़िरकार @priyankagandhi के वाराणसी से चुनाव न लड़ने की तस्वीर साफ़ हो ही गई।
So finally @priyankagandhi after all the hype will not contest Varanasi. The irony is that it was Cong ‘sources’ who spun the story, not the media. What do the mixed signals tell us about the state of the main oppn party at the moment? #IndiaElects
— Citizen/नागरिक/Dost Rajdeep (@sardesairajdeep) April 25, 2019
अब यह तस्वीर साफ़ हो चली है कि कॉन्ग्रेस के हिमायती रही वफ़ादार मीडिया ने किस तरह से प्रियंका गाँधी वाड्रा को एक हमदर्द और रक्षक के रूप में प्रचारित-प्रसारित करने का काम किया था। उन्हें उम्मीद थी कि प्रियंका गाँधी वाड्रा उनकी रक्षक होंगी। और इसीलिए उन्होंने भाई-बहन (राहुल-प्रियंका) की जोड़ी को मसीहा के रूप में प्रचारित करने की पूरी कोशिश की, लेकिन उन्हें यह एहसास हो चला है कि वो अब तक किसी हारने वाले घोड़े पर ही दाँव लगाते रहे।
नुपुर शर्मा के मूल अंग्रेजी लेख का अनुवाद प्रीति कमल ने किया है।