Sunday, November 17, 2024
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‘कम बुद्धि वाला व्यक्ति भी समझ जाएगा’: पत्रकार ने कोयला आयात को लेकर फैलाया झूठ, बिजली के दाम बढ़ने का दिखाया डर तो मंत्रालय ने फटकारा

इसके बाद, 'बिजनेस स्टैंडर्ड' की पत्रकार ने एक ट्वीट में दावा किया, "कई राज्यों ने कोयला आयात करने का विरोध किया था लेकिन ऊर्जा मंत्रालय ने उन्हें अपने टेंडर्स वापस करने के लिए कहा। और, इसके बाद राष्ट्रीय खनिक और दुनिया के दूसरे सबसे बड़े कोयला उत्पादक कोल इंडिया को इतिहास में पहली बार कोयला आयात करने के लिए कहा गया।"

ऊर्जा मंत्रालय ने देश में कोयले के आयात के बारे में लोगों को गुमराह करने को लेकर गुरुवार (18 अगस्त, 2022) को ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ की सहायक संपादक श्रेया जय को कड़ी फटकार लगाई है।

यह पूरा मसला इस महीने की शुरुआत (3 अगस्त) में तब शुरू हुआ जब श्रेया जय ने ट्वीट करते हुए यह दावा किया कि मोदी सरकार ने अपनी ऊर्जा नीति में यू-टर्न ले लिया है। उन्होंने अपने ट्वीट में आरोप लगाते हुए कहा था “केंद्र सरकार ने तीन महीने में बिजली उत्पादन कंपनियों के लिए आयातित कोयले की ब्लेंडिंग को अनिवार्य करने से लेकर वैकल्पिक बना दिया है।”

उन्होंने अपने ट्वीट में यह भी कहा”मई में, ऊर्जा मंत्रालय ने बिजली उत्पादन कंपनियों को 10% आयातित कोयले को का मिश्रण करने या घरेलू आपूर्ति में कमी करने के लिए भी कहा था।”

श्रेया जय ने दावा किया कि ऊर्जा मंत्रालय ने बिजली उत्पादन कंपनियों को आयातित कोयले की बढ़ी हुई कीमत को उपभोक्ताओं तक पहुँचाने की अनुमति दी है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड (NTPCL) ने 6.25 मिलियन टन का आयात टेंडर रखा है।

यही नहीं, श्रेया जय ने ट्वीट में दावा किया, “10% आयातित कोयले की ब्लेंडिंग के बाद बिजली की कीमतों में 50-70 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि हो सकती है।” यही नहीं, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जिस तरह से अडानी समूह ने टेंडर हासिल किए हैं वह सब एक तरीके का ‘गलत खेल’ है।

इसके बाद, ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ की पत्रकार ने एक ट्वीट में दावा करते हुए लिखा, “कई राज्यों ने कोयला आयात करने का विरोध किया था लेकिन ऊर्जा मंत्रालय ने उन्हें अपने टेंडर्स वापस करने के लिए कहा। और, इसके बाद राष्ट्रीय खनिक और दुनिया के दूसरे सबसे बड़े कोयला उत्पादक कोल इंडिया को इतिहास में पहली बार कोयला आयात करने के लिए कहा गया।”

इसके बाद उन्होंने एक ट्वीट में आरोप लगाते हुए कहा ”40 मिलियन टन की अनुमानित मांग के विपरीत, कोल इंडिया लिमिटेड को राज्यों और प्राइवेट बिजली उत्पादन कम्पनियों से मुश्किल से 2.4 मिट्रिक टन का ब्याज मिला। इसके बाद 4,500 करोड़ रुपये का पहला टेंडर अडानी एंटरप्राइजेज को और दूसरा इंडोनेशिया की एक ब्लैकलिस्टेड फर्म को दिया गया।”

एक अन्य ट्वीट में, श्रेया जय ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस ‘यू-टर्न’ ने प्राइवेट और सरकारी बिजली उत्पादन कम्पनियों को बड़ा झटका दिया है।

श्रेया ने केंद्र सरकार पर एक और आरोप लगाते हुए कहा, “कल (2 अगस्त), ऊर्जा मंत्रालय ने आयातित कोयले पर अपने पहले के सभी फैसलों को रद्द कर दिया, और जरूरत पड़ने पर कोयले का आयात करने के लिए राज्यों और बिजली उत्पादन कम्पनियों पर छोड़ दिया है। सरकार ने एनटीपीसी को ब्लेंडिंग 10% से घटाकर 5% करने के लिए भी कहा है।”

बिजनेस स्टैंडर्ड की सहायक संपादक श्रेया जय ने इसके बाद फरवरी 2020 की एक प्रेस विज्ञप्ति शेयर की। जिसमें तत्कालीन कोयला और खनन मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा था कि भारत वित्तीय वर्ष 2023-24 से थर्मल कोयले के आयात को रोक देगा। इस प्रेस विज्ञप्ति को शेयर करने का सीधा मतलब यह दिखाना था कि केंद्र सरकार अपनी ही बात से मुकर रही है।

ऊर्जा मंत्रालय ने लगाई श्रेया जय को फटकार

इन तमाम आरोपों ल बाद गुरुवार (18 अगस्त) को ऊर्जा मंत्रालय ने ट्वीट करते हुए इन सभी आरोपों का खंडन किया और श्रेया जय को फटकार लगाते हुए लिखा ”जिस क्षेत्र में आप काम कर रहीं हैं उसमें आपकी अज्ञानता पूरी तरह से दिखाई दे रही है।”

ऊर्जा मंत्रालय ने अपने ट्वीट में स्पष्ट किया कि भारत में लंबे समय से कोयले का आयात किया जा रहा है। साथ ही यह भी बताया कि कैसे समय के साथ 2013-2014 में 38.5 मिलियन टन से 2022-2023 में 12.2 मिलियन टन तक आयात कम हो गया है।

मंत्रालय द्वारा लिखा गया “हमारी बिजली की माँग अगस्त-सितंबर 2021 से 15 से 20% तक बढ़ी है। इस दौरान घरेलू कोयले की आपूर्ति भी बढ़ी है लेकिन यह माँग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।”

ऊर्जा मंत्रालय द्वारा यह भी बताया गया कि बिजली संयंत्रों में कोयले के भंडार का तेजी से उपयोग किया जा रहा था, जिससे इस साल अप्रैल-मई तक हर दिन 1.2 लाख टन की कमी हुई है।

ट्वीट करते हुए ऊर्जा मंत्रालय ने लिखा, “अगर हमने आयात शुरू नहीं किया होता तो हमारा कोयला स्टॉक 23 जुलाई को 70 लाख टन के निचले स्तर पर पहुँच जाता।” कोयला आयात करने को लेकर तर्क देते हुए एक अन्य ट्वीट में मंत्रालय ने कहा, “जब घरेलू कोयले की आपूर्ति पर्याप्त होती है तो हम कम कोयले का आयात नहीं करते हैं। जब घरेलू आपूर्ति अपर्याप्त होती है, तो ब्लेंडिंग के लिए कोयले का आयात करना पड़ता है।”

इसके बाद ऊर्जा मंत्रालय ने श्रेया जय को एक और बार फटकार लगाई इस बार मंत्रालय की ओर से लिखा गया कि न्यूनतम बुद्धि वाला कोई व्यक्ति भी ये सब समझता है, लेकिन दुर्भाग्य से आप संवाददाता (पत्रकार) होकर भी यह नहीं कर सकीं।

बिजली मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया कि कोल इंडिया लिमिटेड को आयात में शामिल करने का निर्णय राज्य, केंद्र और आईपीपी स्तर पर बिजली उत्पादन कंपनियों के पास है। “अगर राज्य चाहते हैं कि कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) उनकी ओर से आयात करे तो वे सीआईएल को अपना इंडेंट देते हैं।”

अडानी ग्रुप को डेंटर पर तरजीह दिए जाने के दावे को खारिज करते हुए, बिजली मंत्रालय ने कहा, “कोयले से जुड़ी सभी खरीद खुली अंतरराष्ट्रीय बोलियों के माध्यम से होती है और टेंडर उस कंपनी को दिया जाता है जो सबसे कम दर पर कोयले की आपूर्ति कर सकती है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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