अर्णब गोस्वामी के वकील की सुनवाई के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एसएस शिंदे और एमएस कार्णिक की डिवीजन बेंच ने फिर से रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी की याचिका को स्थगित कर दिया है। बता दें, इस याचिका में 2018 के आत्महत्या मामले को रद्द करने की माँग की गई है। अदालत ने कहा कि, कोर्ट को निष्कर्ष पर आने से पहले दूसरे पक्ष को सुनने की जरूरत है।
अर्णब गोस्वामी ने जेल से अंतरिम रिहाई की भी माँग की थी। वहीं अब अदालत 7 नवंबर (शनिवार) को दोपहर 12 बजे याचिका पर आगे की सुनवाई जारी रखेगी। इसका मतलब यह होगा कि रिपब्लिक टीवी के प्रमुख को एक और रात न्यायिक हिरासत में बिताना पड़ेगा।
रिपब्लिक टीवी के प्रमुख अर्णब गोस्वामी द्वारा दायर की गई बंदी की याचिका की सुनवाई हुई थी। अर्णब गोस्वामी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ को बताया कि अलीबाग अदालत द्वारा रिमांड आदेश अर्णब की अवैध गिरफ्तारी को लेकर कई पॉइंट को दर्शाता है। साथ ही लगाए गए आरोपों की योग्यता पर भी सवाल खड़े करता है।
साल्वे ने न्यायालय को विशेषाधिकार संबंधी कार्यवाही के उल्लंघन से अवगत कराया जिसके तहत आत्महत्या के मामले को फिर से खोला गया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी को गिरफ्तारी से संरक्षण दिया है और महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को एक अवमानना नोटिस भी जारी किया है।
साल्वे का कहना है कि उन्होंने याचिका के साथ धारा 438 के तहत एक आवेदन दायर किया है। “मेरी याचिका में आरोप लगाया गया है कि जो मामला बंद किया गया था उसे दुर्भावनापूर्ण इरादों के साथ फिर से खोला गया है।”
वहीं गोस्वामी की ओर से पेश अधिवक्ता पोंडा ने अदालत के आदेश को पढ़ा, जिसमें CJM ने उल्लेख किया है कि मामले को फिर से खोलने के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई है।
[LIVE UPDATES]ARNAB GOSWAMI’S CASE :
— Live Law (@LiveLawIndia) November 6, 2020
Bombay High Court to hear @ 3 pm the habeas corpus petition filed by #ArnabGoswami against his arrest in the 2018 abetment to suicide case.
The bench to consider his prayer for interim release today.
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रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ को 2019 में बंद किए मामले में फँसाने (जिसमें कोई सबूत नहीं मिला था) और महाराष्ट्र सरकार की चाल पर प्रकाश डालते हुए साल्वे ने अदालत को बताया कि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने विधानसभा में आरोप लगाया था कि अर्णब गोस्वामी इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक की आत्महत्या के जिम्मेदार थे। बता दें नाइक ने कथित तौर पर 2018 में आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने कहा कि पुलिस अर्णब के लिए पुलिस रिमांड को पाने की कोशिश कर रही थी, जिसे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अस्वीकार कर दिया था।
रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार के निजी प्रतिशोध पर प्रकाश डालते हुए साल्वे ने अदालत को बताया कि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने असेंबली में आरोप लगाया था कि अर्णब गोस्वामी इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार थे, जिन्होंने 2018 में कथित रूप से आत्महत्या की थी।
साल्वे ने कहा कि सीजेएम ने अपने आदेश में कहा, “ऐसा लगता है कि आरोपित (अर्णब गोस्वामी) की गिरफ्तारी अवैध है।” साथ ही साल्वे ने विधानसभा में किस प्रकार चर्चा की गई इस ओर भी कोर्ट के ध्यान को आकर्षित किया।
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Bombay High Court to hear @ 3 pm the habeas corpus petition filed by #ArnabGoswami against his arrest in the 2018 abetment to suicide case.
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मुंबई पुलिस ने हंसा रिसर्च ग्रुप के कर्मचारियों पर रिपब्लिक के खिलाफ बयान देने का बनाया दबाव
साल्वे ने अर्नब गोस्वामी के खिलाफ पहले से दर्ज एफआईआर का जिक्र करते हुए दावा किया कि महाराष्ट्र सरकार ने रिपब्लिक को निशाना बनाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए। साल्वे ने हंसा रिसर्च ग्रुप का भी हवाला दिया, जिसने अदालत में यह दलील दी कि मुंबई पुलिस द्वारा उन्हें रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के खिलाफ गलत बयान देने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
शिवसेना नेता संजय राउत पर कटाक्ष करते हुए साल्वे ने अदालत से कहा कि कोई भी व्यक्ति जो कानून से परिचित नहीं है, वह भी इन आरोपितों (जो अर्णब गोस्वामी और अन्य दो आरोपियों को आत्महत्या के मामले में 2018 में आत्महत्या के मामले में दोषी ठहराता है) को प्रथम दृष्टया में आरोपित ठहरा रहा है। मतलब अगर किसी का नाम सुसाइड नोट में है तो उसे जेल में डाल देना चाहिए।
Salve now refers to the recent SC judgment in ‘Gurucharan Singh v State of Punjab'(report given in the link).#ArnabGoswami #BombayHighCourt #RepublicTVhttps://t.co/hJv951qTci
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साल्वे ने कहा, “बिना किसी सकारात्मक कार्रवाई के उत्पीड़न के आरोप पर कार्रवाई, अभियुक्त की ओर से होने वाली घटना के समय के लिए कोई सकारात्मक कार्रवाई न होना, जिसके कारण व्यक्ति को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया गया हो, धारा 306 आईपीसी के संदर्भ में सजा टिकाऊ नहीं है।” साल्वे ने दोहराया कि अगर अन्वय नायक ने वित्तीय नुकसान के कारण आत्महत्या की, तो उनकी माँ ने अपना जीवन क्यों समाप्त कर लिया? हम आत्महत्या के पीछे की परिस्थितियों को नहीं जानते हैं। किसी ने यह स्थापित नहीं किया कि अवैध कमीशन है। साल्वे ने तर्क देते हुए कहा कि इन परिस्थितियों में अर्नब को हिरासत में रखने की कोई आवश्यकता नहीं है।
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Bombay High Court to hear @ 3 pm the habeas corpus petition filed by #ArnabGoswami against his arrest in the 2018 abetment to suicide case.
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साल्वे ने पीठ को बताया कि मजिस्ट्रेट को प्रथम दृष्टया पता चलता है कि गिरफ्तारी गैरकानूनी है और सारा कृत्य आपसी दुश्मनी का है। अर्णब के वकील ने विभिन्न पिछले मामलों का हवाला देते हुए बताया कि उच्च न्यायालय असाधारण परिस्थितियों में अनुच्छेद 226 के तहत भी जमानत दे सकता है।
गौरतलब है कि गोस्वामी को रायगढ़ पुलिस ने 4 नवंबर की सुबह उनके मुंबई आवास से गिरफ्तार किया था, जिसके बाद अलीबाग के CJM ने उन्हें 18 नवंबर तक के लिए 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। कथिततौर पर गिरफ्तारी के समय मुंबई पुलिस ने अर्णब के नाबालिग बेटे से मारपीट और उनके परिजनों से बत्तमीजी भी की थी।
जिस पर HC में दायर याचिका में उठाया गया मुख्य तर्क यह है कि मजिस्ट्रेट द्वारा 2019 में पुलिस को सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर मामले में एक क्लोजर आदेश पारित होने के बाद न्यायिक आदेश प्राप्त किए बिना मामले को फिर से खोलने के लिए पुलिस के पास कोई पावर नहीं है।