कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने केरल के मलप्पुरम में एक हेट परेड का आयोजन किया। जिसमें कुछ लोगों को आरएसएस के यूनिफॉर्म में जंजीर से जकड़ कर परेड करते हुए दिखाया गया। यह परेड मोपला नरसंहार के ‘शताब्दी समारोह’ को मनाने के लिए प्रदर्शन किया गया था। अब, इंडिया टुडे ने उन्हें अपराधमुक्त करने के लिए उसके बचाव में सामने आया है।
इंडिया टुडे ने सभी को यह बताने के लिए एक ’फैक्ट चेक’ प्रकाशित किया है कि आरएसएस की वर्दी में सड़कों पर परेड करने वाले लोग वास्तव में आरएसएस के सदस्य नहीं थे और पीएफआई ने अपने इवेंट के लिए संगठन के सदस्यों को आरएसएस की वर्दी में तैयार किया। हैरानी की बात यह है कि किसी भी शख्स ने यह दावा नहीं किया कि आरएसएस की वर्दी वाले लोग वास्तव में आरएसएस के सदस्य थे। ऐसा लगता है कि इंडिया टुडे का ‘एंटी फेक न्यूज वॉर रूम’ (AWRA) को पीएफआई द्वारा हेट परेड को व्हाइटवॉश करने के लिए उपयुक्त पोस्टों का उपयोग करने के लिए इंटरनेट की गहराइयों को खँगालना होगा।
चौंकाने वाली बात यह है कि इंडिया टुडे को इसमें कुछ भी गलत नहीं लगा। ऐसा लगता है कि यह उनके लिए पूरी तरह स्वीकार्य है कि मुस्लिम पुरुष आरएसएस की वर्दी पहने लोगों को जंजीरों में जकड़ के ले जा रहे हैं। ‘फैक्ट चेक’ यह बताता है कि पीएफआई के कार्यों में कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि इसमें आरएसएस का कोई भी सदस्य शामिल नहीं था।
#HinduGenocide happened in India due to Khilafat’s failure & in Malabar, Kerala due to its rumored success
— Sunil Deodhar (@Sunil_Deodhar) February 20, 2021
Congress, CPI(M) declared Jihadis arrested by British as Freedom Fighters
They enjoyed lifetime pensions
See how #PFI is celebrating its Centenary & planning Khilafat 2.0 pic.twitter.com/EgWZcxKfL6
फैक्ट चेक में कहा गया है, “दो पुरुषों ने औपनिवेशिक युग की ब्रिटिश वर्दी पहन रखी है और पारंपरिक मालाबार मुस्लिम पोशाक पहने और पीएफआई झंडे ले जाने वाले समूह द्वारा परेड की जा रही है।” यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि इंडिया टुडे ने सोशल मीडिया अकाउंट्स के सबसे अस्पष्ट ‘फैक्ट चेक’ जाँचने में कामयाबी हासिल की है।
यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि इंडिया टुडे ने इस घटना पर कोई अन्य रिपोर्ट नहीं की है। इस प्रकार, संपादकों ने अपने ‘धर्मनिरपेक्ष’ एजेंडे से समझौता किए बिना कहानी को कैसे कवरअप किया जाए, इस पर गहन विचार किया जा सकता है।
निष्कर्ष के रूप में रिपोर्ट में कहा गया, “17 फरवरी को, पीएफआई ने उनकी सालगिरह के रूप में मार्च आयोजित किया था। मार्च शांतिपूर्ण था और हिंसा की कोई घटना नहीं हुई। जो वीडियो वायरल हुआ है वह मार्च के हिस्से के रूप में आयोजित एक प्रदर्शन था। हमें पीएफआई कार्यकर्ताओं द्वारा आरएसएस कार्यकर्ताओं पर हमला करने की किसी भी घटना के बारे में नहीं पता चला है।”
यहाँ तक कि इंडिया टुडे ने संघ की केरल इकाई से भी संपर्क किया। उनके वरिष्ठ अधिकारियों में से एक ने रिपोर्टर को बताया, “सोशल मीडिया पोस्ट में इस तरह की कोई घटना हमारे संज्ञान में नहीं आई है। अगर पीएफआई ने वायरल वीडियो में हमारे सदस्यों को जबरन मार्च कराने की कोशिश की होती, तो हम निश्चित रूप से प्रतिक्रिया देते। वीडियो में दिख रहे पुरुष आरएसएस के सदस्य नहीं हैं। यह PFI का कुछ प्रदर्शन रहा होगा।” पूरा ‘फैक्ट चेक’ निश्चित रूप से पीएफआई के हेट परेड को व्हाइटवॉश करने की एक कोशिश है।
गौरतलब है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने केरल में एक रैली निकाली थी। इस रैली में कुछ लोगों ने RSS की यूनिफॉर्म पहनी थी। परेड में आरएसएस की यूनिफार्म में शामिल लोगों को जंजीर से भी बाँधा गया था। इस रैली के कई वीडियो और फोटो सामने आए हैं, जिसमें देखा जा सकता है कि इस दौरान अल्लाह-हू-अकबर, ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुर रसूलुल्लाह जैसे कई अन्य इस्लामी नारे लगाए गए।