रायसीना डायलॉग में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत की कही बातें इस्लामिक कट्टरपंथियों को गहरे टीस रही है। पहले हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और अब स्वघोषित पत्रकार सबा नक़वी ने इस मामले में अपनी भड़ास निकाली है। इसके बहाने सबा नकवी ने कश्मीरी पंडितों के खिलाफ भी जहर उगला है। साथ ही घाटी में उनकी वापसी की योजनाओं का सरकार का हिंदुत्वकरण एजेंडा बताया है।
कश्मीरी पंडितों को अपनी जमीन छोड़े तीन दशक बीत चुके हैं। 1990 में जब कश्मीर में आतंकवाद ने अपने पाँव पसारने शुरू किए, तब से ही हर दिन इन लोगों के लिए दहशत का पर्याय बन गया। 19 जनवरी को उन्होंने विस्थापन का वह दर्द झेला जिसकी दुनिया के इतिहास में कहीं और मिसाल नहीं मिलती।
सबा नक़वी के इंडिया टुडे न्यूज़ चैनल में एक डिबेट के दौरान कश्मीरी पंडितों की घरवापसी के मुद्दे को सरकार के हिंदुत्वकरण का एजेंडा बताया है। शुक्रवार को प्रसारित हुए इस शो में उन्होंने जम्मू-कश्मीर पर भारत के अधिकार को लेकर भी सवाल उठाए।
Is it right for General Bipin Rawat to comment on de-radicalisation? Senior journalist @_sabanaqvi and Lt Gen SA Hasnain (R) share their views. #IndiaFirst with @gauravcsawant
— India Today (@IndiaToday) January 17, 2020
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CDS जनरल रावत ने रायसीना डायलॉग के दौरान बच्चों को कट्टरपंथी बनने से बचाने के लिए डिरेडिकलाइजेशन कैम्प स्थापित करने की बात कही थी। नक़वी ने कहा कि जनरल रावत जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर गुमराह हैं। इसके साथ ही उन्होंने जनरल रावत के पद को लेकर भी विवादित टिप्पणी की।
नकवी ने बेतुका बयान देते हुए कहा कि भारत ने कश्मीर को ‘ले लिया’ है, जिसका सीधा सा अर्थ है कि उनके अनुसार जम्मू-कश्मीर पर भारत ने कब्जा कर रखा है। नकवी ने अपनी मानसिक वेदना को स्पष्ट करते हुए कहा, “आपने कश्मीर ले लिया है, आप धीरे से भारत को हिंदू राष्ट्र बना रहे हैं और फिर आप कहते हैं कि हम कश्मीर को एकीकृत कर रहे हैं और अब आप कहते हैं कि उन्हें उठाना चाहते हैं और एक शिविर में डालना चाहते हैं।”
इंडिया टुडे के इस शो में सबा नक़वी ने जनरल बिपिन रावत को सेना के सबसे ऊँचे पद पर होने के पीछे सरकार की कृपा बताया है। अक्सर सोशल मीडिया पर झूठ और अफवाह फैलाने वाली सबा नक़वी CAA के खिलाफ माहौल बनाने वालों में से एक प्रमुख नाम है। इनका हिन्दुविरोधी एजेंडा कई बार सोशल मीडिया पर स्पष्ट तौर पर पकड़ा जा चुका है।
चौंकाने वाली बात यह है कि सबा नकवी को कश्मीर में इस्लामिक कट्टरपंथियों और आतंकवादियों द्वारा सताए जाने के तीन दशक बाद अपने घर लौटने वाले कश्मीरी पंडितों से भी समस्या है। सबा नकवी ने कहा, “आप चाहते हैं कि हिंदू पंडित घाटी लौटें, क्या आपको लगता है कि हम मूर्ख हैं?”
कश्मीरी पंडितों की वापसी पर सबा नकवी ने जवाब दिया कि कश्मीरी पंडितों की वापसी का मतलब ‘इस्लामी कश्मीर’ का ‘हिंदुत्वकरण’ करना है। नक़वी का यह बयान बिल्कुल वही मानसिकता है, जिसके कारण कश्मीर में हिंदुओं का नरसंहार किया गया था।
अक्सर सबा नक़वी जैसे जिहादियों की मदद करने वाले पत्रकारों ने कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को इस तरह से पेश किया है जैसे यह करना मुस्लिमों के मूल अधिकारों के लिए जरूरी था। हम याद कर सकते हैं किस तरह से बरखा दत्त जैसी पत्रकार कश्मीरी पंडितों का इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा नरसंहार को यह साबित करते हुए देखी गई थी कि कश्मीरी मुस्लिम असंतुष्ट थे और उन्होंने कश्मीरी पंडितों का नरसंहार इसलिए किया क्योंकि घाटी में सभी अधिकार, सुविधा और नौकरियाँ हिन्दू पंडितों को दी जा रही थी।
दरअसल, AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी और सबा नक़वी, इन दोनों की बौखलाहट का कारण जनरल विपिन रावत द्वारा कट्टरपंथियों के हाथों छोटे बच्चों को आतंकवादी बनने से रोकने के लिए उन्हें डिरेडिकलाइज करने वाला बयान है। रायसीना डायलॉग के दौरान CDS जनरल बिपिन रावत ने कहा कि कश्मीर में 10 साल से कम उम्र के लड़के-लड़कियों को कट्टरपंथी बनाया जा रहा है। जनरल रावत ने कहा कि ऐसे बच्चों को शांतिवार्ता से कट्टरपंथी बनाए जाने की ऐसी मुहिम से अलग कर सकते हैं।
इसके बाद ओवैसी को खबरों में आने की एक और वजह मिल गई और उन्होंने सवाल किया है कि जनरल बिपिन रावत किस-किस को डिरेडिकलाइज़ करेंगे? साथ ही सीडीएस जनरल रावत को सलाह दी कि उन्हें नीतियाँ नहीं बनानी चाहिए। यहाँ तक कि ओवैसी ने सीडीएस बिपिन रावत के बयान की तुलना कनाडा में अंग्रेज हुकुमत के द्वारा किए गए जुल्म से भी कर डाली।