Sunday, November 17, 2024
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मेजर ध्यानचंद के नाम पर जो पुरस्कार है, उसका क्या… उसका नाम नेता के नाम पर रख दोगे? रवीश कुमार का सवाल

"राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड का नाम बदल दिए जाने पर जितना दुःख रवीश को हुआ, उतना शायद राहुल गाँधी को भी नहीं हुआ होगा।"

PM नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट किया – खेल रत्न पुरस्कार अब मेजर ध्यानचंद के नाम पर होगा। 6 अगस्त के ट्वीट में उन्होंने बताया कि इसके लिए देश भर से नागरिकों का आग्रह मिला।

प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, “मेजर ध्यानचंद के नाम पर खेल रत्न पुरस्कार का नाम रखने के लिए देशभर से नागरिकों के अनुरोध मिले हैं। मैं उनके विचारों के लिए उनका धन्यवाद करता हूँ। उनकी भावना का सम्मान करते हुए, खेल रत्न पुरस्कार को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कहा जाएगा! जय हिंद!”

इसके बाद जनता खुश हो गई। सोशल मीडिया में कॉन्ग्रेस मुक्त भारत के जयकारे लगे। लेकिन दूसरा पक्ष शांत रहा, इस भुलावे में न रहें। मिर्ची लगी है उन्हें, लाल वाली। यह ट्वीट देखिए। इसमें अंकुर नाम के व्यक्ति ने लिखा है – “राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड का नाम बदल दिए जाने पर जितना दुःख रवीश को हुआ, उतना शायद राहुल गाँधी को भी नहीं हुआ होगा।”

निश्चित ही नहीं हुआ है। लेकिन इतना दृढ़ होकर कैसे कह रहा हूँ? यह रहा जवाब:

“यह दुर्भाग्यपूर्ण है। राजीव गाँधी ने 21वीं सदी में देश का नेतृत्व किया। उन्होंने खेल, युवाओं को प्रोत्साहित किया… राजीव गाँधी जी इस देश के नायक थे, नायक रहेंगे।”

इस तरह की टिप्पणी कॉन्ग्रेसी सांसदों-नेताओं की ओर से जरूर आई लेकिन राहुल गाँधी अपने चिर-परिचित अंदाज में कुर्ते की बाँह उठा कर चलते बने इसी सवाल (राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार) पर।

खैर। बात रवीश कुमार के दुख पर। पूरी प्राइम टाइम ही कर डाली। यह काम उस रवीश कुमार ने किया है, जो पहले मजदूरों-विद्यार्थियों की आवाज उठाने वाली पत्रकारिता करते थे और बाकी टीवी मीडिया से दूर रहने की सलाह देते थे। 31 मिनट 16 सेकंड का प्राइम टाइम खेल-खिलाड़ी-राजनीति कर दिया जिस रवीश ने, शायद वो यह भूल गए कि 6 अगस्त को पूरे देश में कहीं न कहीं बारिश हुई होगी, बाढ़ भी आई होगी… लेकिन दुख उनको हुआ खेल-खिलाड़ी वाले मुद्दे पर? पत्रकार की सोच शायद मर गई है उनकी!

सवाल कैसे-कैसे पूछ रहे हैं रवीश कुमार, यह भी देखा जाए: संबित पात्रा के ट्वीट में ध्यानचंद से ज्यादा बड़ी तस्वीर प्रधानमंत्री की क्यों? रवीश बाबू, फोटो तो आपकी भी मायावती के साथ थी, क्या कीजिएगा! और अखिलेश के साथ तो आपने हद ही कर दी थी… एक सीएम से ज्यादा बड़ी तस्वीर आपने खींच ली थी, शायद धोखा देते हुए उन्हें पीछे धकेल कर? जवाब तो स्वयं आप ही दे सकते हैं, ठीक वैसे ही जैसे आपके सवाल का जवाब सिर्फ संबित पात्रा दे सकते हैं।

प्राइम टाइम PM मोदी और उनकी राजनीति के नाम पर ताकि माल बिक सके… लेकिन सवाल और जवाब किसी दूसरे के कंधे पर रख कर? मानिए या न मानिए, एक पत्रकार तो आपके अंदर बसता ही है रवीश ‘कौन जात हो’ कुमार!

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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