देश में लिबरल सेकुलर मीडिया गैंग किस कदर झूठ बेचता है, प्रोपेगेंडा फैला सही खबरों को दबाता है और झूठ की उल्टियाँ करता है, इसका एक नमूना दिल्ली के बवाना इलाके में हुई घटना की रिपोर्टिंग है। पिछले दिनों मीडिया गैंग ने रिपोर्ट किया कि कोरोना संक्रमण फ़ैलाने के शक में बवाना के 22 वर्षीय महबूब अली की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। महबूब अली भोपाल में हुई तबलीगी कॉन्फ्रेन्स में 45 दिन रह कर लौटा था।
सच इस दावे के ठीक विपरीत है। लेकिन न तो किसी ने सच जानने की जरूरत समझी न ही झूठ पकड़े जाने पर माफ़ी माँगना या भूल सुधार करना ही ठीक समझा।
THE WEEK ने पीटीआई की खबर चलाते समय सच की पड़ताल करना जरूरी नहीं समझा।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने भी कतई कोताही नहीं बरती और बेशर्मी के साथ झूठ परोसा। जब कथित निष्पक्ष मीडिया संस्थानों को झूठ फैलाने में संकोच नहीं हुआ तो प्रोपेगेंडा साइट क्विंट के कारनामों पर कहना ही क्या।
OUTLOOK ने भी शुरुआत में यही झूठ चलाया, लेकिन बाद में उसने सुधार कर लिया।
बाद में उसने अपनी नई रिपोर्ट में सच बताते हुए लिखा कि जिस 22 साल के महबूब अली की हत्या की बात की जा रही वह दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल के आइसोलेशन सेंटर में भर्ती है, क्योंकि उसके कोरोना संक्रमित होने का संदेह है।
मीडिया गैंग की तरह ही दलितों की राजनीति का दावा करने वाले भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर उर्फ़ रावण ने भी बेशर्मी दिखाई। उसने इस फर्जी खबर पर मोदी-शाह को जिम्मेदार बताने में जरा भी देरी नहीं की। लेकिन प्रयागराज में हुई लोटन निषाद की हत्या पर वह चुप्पी साध कर बैठा रहा।
Mehboob Ali is alive, not dead. But the one who actually died – Loten Nishad, who belonged to one of the most backward castes – have you spared a word for him? https://t.co/y06gTcYVQ4 pic.twitter.com/eTbwnB9dkS
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) April 9, 2020
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस घटना के संबंध में अबतक 3 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है वहीं महबूब अली स्वस्थ है और उसे एहतियातन आइसोलेशन वार्ड में भर्ती रखा गया है।