Saturday, November 23, 2024
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प्रोपेगंडा फैलाने के सेना के वेटरन्स का इस्तेमाल: मेजर गौरव आर्या को बदनाम करने लिए गिरे वामपंथी मीडिया संस्थान

कॉन्ग्रेस आईटी सेल ने भी इसी तरह के फेक न्यूज़ उठा कर इन आरोपों को दोहराया। यहाँ सवाल ये उठता है कि आखिर एक ही तरह के आरोप पाकिस्तान और कॉन्ग्रेस पार्टी के लोग क्यों लगा रहे हैं? दोनों के बीच क्या कनेक्शन है? सवाल तो ये भी बनता है कि दो आर्मी वेटरन्स के बीच ट्विटर पर कुछ वाद-विवाद हुआ, उसमें इन सारे मीडिया संस्थानों को इतनी रुचि क्यों आने लगी? क्या इसमें कॉन्ग्रेस का हाथ है?

कई मीडिया संस्थानों ने आजकल सरकार तो छोड़िए, सेना और देश को बदनाम करना शुरू कर दिया है। इन्होंने सेना सम्बन्धी ख़बरों में भी अपने हिसाब से मिर्च-मसाला लगा कर ऐसे पेश करना शुरू कर दिया है, जैसे वो बॉलीवुड से जुड़ी कोई ख़बर हो। सेना के जो जवान सीमा पर कठिनतम परिस्थितियों में हमारी रक्षा करते हैं, उन्हें लेकर भ्रामक ख़बरें फैलाई जाती हैं। कुछ ऐसा ही अब मेजर (रिटायर्ड) गौरव आर्या और ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) संदीप थापर को लेकर किया गया।

रिटायर्ड मेजर गौरव आर्या ने पत्रकार अजय शुक्ला के उस बयान पर आपत्ति जताई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि चीन की सेना ने गलवान में घुस कर कब्जा कर लिया है। बता दें कि ये भारत के रुख के एकदम विपरीत है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही कह चुके हैं कि भारतीय सरजमीं में किसी ने भी एक इंच कर भी कब्जा नहीं किया है। शुक्ला ने अपने बयान का आधार ‘ख़ुफ़िया रिपोर्ट्स’ और सेना के अंदरूनी सूत्रों को बताया।

उन्होंने सेना के SITREP का भी हवाला दिया। ये ‘सिचुएशन रिपोर्ट’ होता है, जो काफ़ी संवेदनशील होता है और गोपनीय रखा जाता है। सबसे पहला सवाल तो यही बनता है कि आख़िर अजय शुक्ला ने इसे प्राप्त कैसे किया? ‘रिपब्लिक टीवी’ पर अर्नब गोस्वामी के शो में मेजर गौरव आर्या ने भी यही मसला उठाया। आख़िर एक गोपनीय दस्तावेज अजय के हाथ लगा कैसे, जिसके सहारे उन्होंने भारत-विरोधी प्रोपेगंडा फैलाया?

इसके अगले ही दिन संदीप थापर ने ट्वीट कर के पूछा कि गौरव आर्या का तो सेना में 5-6 साल का ही करियर रहा है, फिर उन्हें ये सब कैसे पता? उन्होंने कई चीजें लिखी थीं, जिसका जिक्र करना सही नहीं होगा क्योंकि उन्होंने अपनी ट्वीट्स डिलीट कर ली है। गौरव आर्या ने इस ट्वीट को देखा और उसका जवाब दिया, लेकिन तब वो संदीप थापर से परिचित नहीं थे और न ही उनके सेना के बैकग्राउंड के बारे में कुछ भी जानते थे।

मेजर गौरव आर्या ने समझा कि संदीप थापर कोई ट्रोल हैं और उन्होंने उसी भाषा में उसका जवाब भी दिया। उन्हें उनके ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) होने की कोई जानकारी नहीं थी। लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग (रिटायर्ड) और पत्रकार अमन सिंह चिन्ना भी इस कंवर्शेशन में थे, जिन्हें मेजर गौरव आर्या ने रिप्लाई दिया। हालाँकि, अगले 5 मिनट के बाद आर्या को थापर के बारे में पता चला और उन्होंने इसके बाद उन्हें कुछ रिप्लाई नहीं किया।

बता दें कि जैसे ही मेजर आर्या को पता चला कि संदीप थापर कौन हैं, उन्होंने अगले ही दिन कॉल कर के उनसे माफ़ी माँगी। साथ ही गौरव आर्या ने इसके बाद से उनके खिलाफ एक भी ट्वीट नहीं किया। दोनों ने बात कर के आपस में चीजों को सुलझा लिया। साथ ही दोनों ने ही एक दूसरे के खिलाफ किए गए सारे ट्वीट्स को डिलीट करने का भी निश्चय किया। थापर ने भी आर्या की क्षमा प्रार्थना स्वीकार की।

लेकिन, कुछ मीडिया संस्थानों ने ख़ून सूँघते गिद्ध की तरह मँडराते हुए इस मामले में प्रोपेगंडा का छौंक लगा कर लोगों के समक्ष पेश करने लगे। ऐसा दिखाया गया जैसे मेजर गौरव आर्या ने ब्रिगेडियर संदीप थापर का अपमान किया है। अन्य मीडिया चैनलों और वेबसाइट्स पर भी यह खबर धीरे-धीरे आने लगी, प्रोपेगंडा फैलाया गया। दोनों द्वारा मामला सुलझा कर ट्वीट डिलीट करने के बावजूद ऐसा किया गया।

असली खेल इसके अगले दिन शुरू हुआ, जब मेजर गौरव आर्या अचानक से ट्विटर पर ट्रेंड करने लगे। जाहिर है कि सेना के रिटायर्ड वेटरन्स ने तो ऐसा नहीं ही किया होगा। उनके पास कुछेक सौ या हजार फॉलोवर्स हैं, जिनसे ये चीजें ट्रेंड नहीं कराई जा सकती। इसके तुरंत बाद ‘न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ ने इस सम्बन्ध में लेख प्रकाशित किया। ‘जनता का रिपोर्टर’ और ‘एनडीटीवी’ उसके नक्शेक़दम पर चले।

लल्लनटॉप ने भी प्रोपेगंडा फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी

जम्मू कश्मीर में कॉन्ग्रेस के नेता सलमान निजामी ने बिना किसी सबूत के मेजर गौरव आर्या पर एक फेसबुक पोस्ट के जरिए आरोप लगाया कि उन्होंने अपनी मेड का बलात्कार किया है। ये सब कुछ 48 घंटों के भीतर हुआ। इससे पहले पाकिस्तान के डीजी आईएसपीआर द्वारा ऑपरेट किए जाने वाले ट्विटर हैंडल्स ने इससे पहले कुछ इसी तरह के आरोप लगाए थे। यानी, कइयों ने उसी पाकिस्तानी एजेंडा को आगे बढ़ाया।

कॉन्ग्रेस आईटी सेल ने भी इसी तरह के फेक न्यूज़ उठा कर इन आरोपों को दोहराया। यहाँ सवाल ये उठता है कि आखिर एक ही तरह के आरोप पाकिस्तान और कॉन्ग्रेस पार्टी के लोग क्यों लगा रहे हैं? दोनों के बीच क्या कनेक्शन है? सवाल तो ये भी बनता है कि दो आर्मी वेटरन्स के बीच ट्विटर पर कुछ वाद-विवाद हुआ, उसमें इन सारे मीडिया संस्थानों को इतनी रुचि क्यों आने लगी? क्या इसमें कॉन्ग्रेस का हाथ है?

क्योंकि हर क्षेत्र में लोगों के बीच असहमति रहती है और इसी तरह सेना के वेटरन्स में भी हो सकती है। इसे लेकर इतना हंगामा क्यों किया गया? दरअसल, मेजर गौरव आर्या के बहाने ‘रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क’ को निशाना बनाने की कोशिश है क्योंकि वो ‘रिपब्लिक टीवी’ के ‘स्ट्रेटेजिक अफेयर्स’ के सीनियर कंसल्टिंग एडिटर हैं। कॉन्ग्रेस और उसके साथी दलों द्वारा अर्नब गोस्वामी को निशाना बनाया जाना कोई नई बात नहीं है।

जिस तरह से मुंबई में ‘रिपब्लिक टीवी’ के संस्थापक अर्नब गोस्वामी को थाने बुला कर 11 घंटे पूछताछ की गई और देश भर में उनके ऊपर दसियों एफआईआर दर्ज किए गए, उससे साफ़ है कि कॉन्ग्रेस उनके पीछे हाथ धो कर पड़ी हुई है। कॉलेज के दिनों से ही मेजर गौरव आर्या अर्नब गोस्वामी के दोस्त हैं। ऐसे में उनके बहाने अर्नब गोस्वामी पर निशाना साधने के लिए आर्या और थापर की ट्वीट्स को जरिया बनाया गया।

सीधा अर्थ ये है कि इस पूरे मामले में आर्मी वेटरन्स का कॉन्ग्रेस ने इस्तेमाल किया है। उनकी ट्वीट्स को सेना को बदनाम करने और एक मीडिया संस्थान को प्रताड़ित करने के लिए जरिया बनाया है। इसमें कई वामपंथी मीडिया वेबसाइट्स ने उनका साथ दिया। ये वेबसाइट्स को मोदी सरकार पर निशाना साधने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं और इसके लिए सेना को बदनाम करने से भी नहीं हिचकेंगे।

जब हमने ब्रिगेडियर थापर से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि वो इस मामले पर कुछ भी नहीं बोलना चाहते क्योंकि यह बिना बात के उछाला गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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