Saturday, November 16, 2024
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मस्जिद पर भगवा ध्वज: राणा अयूब ने गिरफ़्तारी के डर से डिलीट किया वीडियो, फिर से किया ट्वीट

आम तौर पर एक जिम्मेदार पत्रकार ऐसे वीडियो आदि के सही होने पर भी शेयर नहीं करते क्योंकि हिंसा भड़कने के आसार होते हैं। लेकिन राणा अयूब से ऐसी उम्मीद मूर्खता है।

ख़ुद को पत्रकार बताने वाली राणा अयूब ने एक वीडियो शेयर कर के दिल्ली में चल रही हिंसा रूपी आग में प्रपंची घी डालने का प्रयास किया। आम तौर पर एक जिम्मेदार पत्रकार ऐसे वीडियो आदि के सही होने पर भी शेयर नहीं करते क्योंकि हिंसा भड़कने के आसार होते हैं। लेकिन राणा अयूब से ऐसी उम्मीद मूर्खता है। वीडियो के आने पर कई लोगों ने बताया कि ये पुरानी है, और उस पर केस की धमकी दी, तो उन्होंने उस वीडियो को तुरंत अपने ट्विटर प्रोफाइल से हटा दिया और डिलीट कर दिया। अफवाह फैलाने, झूठे वीडियो शेयर करने और लोगों को भड़काने के लिए झूठ बोलना लिबरल पत्रकारों के गिरोह का पुराना पेशा रहा है। जब पोल खुल जाती है तो वो चुपके से अपना ट्वीट डिलीट कर देते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि तब तक काफ़ी लोग उसे पढ़ने या देख चुके होते हैं।

कुछ ऐसा ही राणा अयूब ने भी किया। उन्होंने एक ऐसा वीडियो शेयर किया, जिसमें प्रतीत हो रहा है कि मस्जिद को जलाया जा रहा है। अयूब ने इस वीडियो को दिल्ली का बता कर पेश किया। इसके बाद गिरोह विशेष के अन्य लोगों ने भी राणा अयूब का साथ देते हुए कहा कि ये दिल्ली के अशोक नगर का वीडियो है। वीडियो देखने पर ऐसा लग रहा है कि कुछ लोग मस्जिद के ऊपर चढ़कर उसपर लगे स्पीकर नीचे फेंक रहे हैं और उस पर कोई झंडा फहरा रहे हैं। राणा अयूब ने वीडियो ट्वीट किया, डिलीट किया और फिर दोबारा ट्वीट किया।

कुछ लोगों का दावा है कि ये वीडियो पुराना है। लेकिन, राणा अयूब ने वीडियो को डिलीट करने के बाद उसे फिर से पोस्ट कर दिया। अगर वो सही था तो डिलीट क्यों किया और अगर अब वो पुष्टि करने का दावा कर रही हैं तो पहले बिना पुष्टि के क्यों ट्वीट किया? राणा अयूब को हाल ही में एक अवॉर्ड भी मिला है। उनको ‘साहसी पत्रकार’ का 2020 McGill मैडल मिला है। अयूब दावा करती हैं कि उन्हें ये अवॉर्ड इसीलिए मिला है क्योंकि वो सच्चाई का युद्ध लड़ रही हैं। अगर ऐसा होता तो उन्हें झूठा वीडियो शेयर नहीं करना पड़ता।

राणा अयूब ने शेयर किया पुराना वीडियो, गिरफ़्तारी के डर से किया डिलीट, फिर वापस किया ट्वीट

उधर प्रोपेगंडा पोर्टल ‘द वायर’ के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन ने भी अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित इस ख़बर को शेयर किया। वरदराजन और ‘द वायर’ ने दावा किया कि मस्जिद के स्पीकरों को नीचे फेंक कर उस पर हनुमानजी का झंडा फहरा दिया गया।

‘द वायर’ ने शेयर किया फेक न्यूज़, मुसलमानो को भड़काया

उधर एक अन्य प्रोपेगंडा पोर्टल ‘स्क्रॉल’ भी पीछे नहीं रहा और उसने भी ते ख़बर चलाई। ‘स्क्रॉल’ ने दावा किया कि लोगों ने ‘जय श्री राम’ और ‘हिन्दुओं का हिंदुस्तान’ नारा लगाते हुए मस्जिद को जला डाला और उसके ऊपर हनुमान का ध्वज फहरा दिया। ‘स्क्रॉल’ ने सेफ खेलने के लिए इस ख़बर को ‘द वायर’ के हवाले से बना दिया और राणा अयूब द्वारा ट्वीट डिलीट करने के साथ ही दोनों की भद्द पिट गई। हालाँकि, राणा अयूब ने फिर से वीडियो ट्वीट कर दिया, जिसके बाद दोनों ने राहत की साँस ली होगी।

‘स्क्रॉल’ ने शेयर की फर्जी ख़बर: ‘द वायर’ के हवाले से फैलाया झूठ

दिल्ली में लिबरल गिरोह लगातार हिंसा भड़काने वालों के समर्थन में हुआ है। सोशल मीडिया पर लगातार ऐसा माहौल बनाया जा रहा है, जैसे कपिल मिश्रा ने ही सब कराया हो। हालाँकि, मोहम्मद शाहरुख़ को लेकर सब ने चुप्पी साध रखी है। वही शाहरुख़, जिसे पुलिस ने अब गिरफ़्तार कर लिया है और जो सोमवार (फरवरी 24, 2020) को दिन भर फायरिंग करता हुआ घूम रहा था। इसी तरह मस्जिद को हिन्दुओं द्वारा जलाने का वीडियो ट्वीट किया गया, ताकि माहौल और खराब हो। उनकी पूरी कोशिश है कि दिल्ली में इतनी हिंसा हो कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि धूमिल हो।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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