न्यूज़ पोर्टल द क्विंट ने 29 नवंबर, 2021 को चुपचाप एक स्टोरी को साइट से डिलीट कर दिया जो उन्होंने उसी दिन एक संगीतकार अभिषेक शंकर के बारे में प्रकाशित की थी, जिसने अपने इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर एक ऐसे क्लाइंट के बारे में बताया था, जिसने उन्हें हिन्दू की शादी में में ‘अल्लाह’ गाना नहीं बजाने से रोका था। अभिषेक शंकर ने अपने इस कथित अनुभव को स्टैंड-अप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी के शो को रद्द करने के साथ जोड़ा था, जिसने गोधरा नरसंहार के साथ-साथ पीड़ितों का भी मजाक उड़ाया था। हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं है कि द क्विंट ने स्टोरी क्यों हटाई। लेकिन, एक वेबसाइट apdirect.in ने क्विंट से स्टोरी को उठाकर अपने यहाँ इसे प्रकाशित किया है।
टीका वाले एक शख्स ने हमें अल्लाह गाने से रोका: अभिषेक शंकर
अभिषेक का एक बैंड है जो शादियों सहित दूसरे कार्यक्रमों में शो करता है। उन्होंने एक घटना साझा की जहाँ उन्हें कथित तौर पर किसी हिंदू शादी में ‘अल्लाह’ की शान में एक गाना बजाने से रोक दिया गया था। अपनी अब-डिलीट की गई स्टोरी में, अभिषेक ने कहा, “नफरत सिर्फ कॉमेडियन के लिए नहीं है। संगीतकारों को भी इसे झेलना होता है। मैं न्यूज़ नहीं फॉलो कर रहा था क्योंकि मैं लगातार अपने काम में व्यस्त था जब तक कि सिर्फ 16 घंटे पहले यह घटना मेरे और बैंड के साथ हमारे पिछले शो में नहीं घटी।”
फारूकी के शो रद्द होने से अपने अनुभव को जोड़ने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “मेरे बैंड के पास भारतीय व्यवसायिक संगीत में विभिन्न शैलियों के गीतों की एक सूची है। सूफी संगीत उनमें से एक है। हम सभी को नुसरत (फतेह अली खान) साहब के क्लासिक गाने और साथ ही कोक स्टूडियो इंडिया और पाकिस्तान के गाने बहुत पसंद हैं। हमारे पास एक मेडली है जिसमें अल्लाह-हू (नूरन सिस्टर्स), अखियाँ उड़ीक दिया, नित खेर माँगा (नुसरत फतेह अली खान) आदि जैसे गाने हैं और हम अपनी इसी लिस्ट से नियमित शो कर रहे थे। ”
उन्होंने आगे कहा कि जब तक उनकी महिला गायिका ने सूफी गीत ‘अल्लाह-हू’ गाना शुरू नहीं किया, तब तक सब कुछ ठीक चल रहा था। उनके अनुसार, भीड़ गीत को पसंद कर रही थी, लेकिन इसके बीच में, अपने माथे पर तिलक लगाए एक अचानक से आए एक चाचा ने मुझे मंच के किनारे पर बुलाया। ऐसा आमतौर पर लोग अपने पसंदीदा गानों का अनुरोध करते हैं। लेकिन उनकी आवाज पीए सिस्टम के माध्यम से मेरे कानों में कंकड़ की तरह धँस गई क्योंकि उन्होंने कहा, “यह अल्लाह हू अल्लाह क्या है? क्या हम आपको मुस्लिम दिखते हैं? यह एक हिंदू शादी है। हम यहाँ अल्लाह हू… बर्दाश्त नहीं करेंगे। मैं इसे बंद करा दूँगा। बंद कीजिए इसे।”
संगीतकार अभिषेक, जिसे एक निजी कार्यक्रम में गाने के लिए बुलाया गया था, ने कहा कि उसने उन्हें ‘समझाने’ की कोशिश की, लेकिन उस आदमी ने उनकी बात नहीं मानी और कथित तौर पर उसे धमकी दी कि अगर उसने गाना बंद नहीं किया, तो उन्हें बाहर कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “यह पूरी घटना मेरे दिमाग में दस्तक देने लगी जैसे-जैसे कार्यक्रम आगे बढ़ता रहा, मैं अब और परफॉर्म करना नहीं चाहता था। मैं उससे बहस कर सकता था, लेकिन इससे बात और बिगड़ सकती थी।”
अभिषेक ने दावा किया कि इस घटना के बाद उन्हें अपने हाथ में ‘रक्षा’ या जनेऊ जैसा कोई पवित्र धागा बाँधने में भी घृणा महसूस हुई। उन्होंने कहा, “इस घटना के बाद मुझे अपने शरीर पर पवित्र धागा (जनेऊ या रक्षा) बाँधने से घृणा महसूस हुई। मेरा सभी से बस एक ही निवेदन है। अपनी धार्मिक नफरत को अपने राजनीतिक और सामाजिक दायरे में ही रखें। इसे कला क्षेत्र में न लाएँ और इसे खराब न करें। कलाकार किसी धर्म के नहीं होते।”
अंत में, शंकर ने दावा किया कि एक बार जब वह मध्य प्रदेश के जबलपुर जाने वाली ट्रेन में थे, तो किसी व्यक्ति ने उनसे उनकी दाढ़ी के बारे में पूछा, “आपके पास दाढ़ी है क्योंकि आप इसे पसंद करते हैं या आप मुस्लिम हैं?” उसने दावा किया कि एक अजनबी ने उससे ट्रेन में पूछा था। फिर उन्होंने आगे दावा किया कि खाकी जैकेट के नीचे ‘यूपी पुलिस’ का लोगो था।
यहाँ सवाल यह है कि अब पूरी स्टोरी ही गायब हो गई है और अभिषेक शंकर ने भी शादी के बारे में कोई अपडेट पोस्ट नहीं किया है, जिसमें उन्होंने बताया हो कि हिंदुओं की शादी थी, जिससे उन्हें अपने जनेऊ पर शर्म आ रही थी। हालाँकि, यह बहुत संभावना है कि शंकर, हिन्दुओं के पवित्र प्रतीक और क्लाइंट को बदनाम करने के बाद, यह महसूस किया कि इसका उलटा असर हो सकता है और उनका ‘वोक’ स्टैंड वास्तव में उन पर ही भारी पड़ सकता है। क्योंकि इस तरह से सोशल मीडिया पर लोगों को बदनाम करने के लिए कितने लोग ऐसे हैं जो उन्हें पैसे दे सकते हैं, इसका कोई डेटा उपलब्ध नहीं है।
वैसे इस बात की संभावना ज़्यादा है कि या तो ऐसी घटना कभी हुई ही नहीं या बढ़ा-चढ़ाकर कही गई थी। इसलिए जब द क्विंट द्वारा स्टोरी पब्लिश किया गया, और सोशल मीडिया पर लोगों ने संगीतकार से सवाल करना शुरू कर दिया और कुछ ने सार्वजनिक मंच पर इस तरह से अपने क्लाइंट को बदनाम करने के लिए उनकी पेशेवर ईमानदारी पर भी सवाल उठाया, तो संगीतकार ने पीछे हटने का फैसला किया और शायद खुद को ही विक्टिम दिखाने कि कोशिश हुई कि उन्हें धमकी दी गई थी। ऐसा सुविधासम्पन्न वोक द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला पुराना तरीका है जिसमें बिना सबूतों के सनसनीखेज दावे किए जाते हैं और फिर जब कोई उनसे सवाल करता है तो रोना-धोना शुरू हो जाता है। विक्टिम कार्ड खेलना शुरू कर देते हैं।
इस तरह की बातें लगभग सभी जानते हैं। आपको बरुन कश्यप का मामला याद है? अगस्त 2016 में, मुंबई स्थित एक एग्जीक्यूटिव ने दावा किया था कि उसे गौरक्षकों द्वारा ‘पीटा’ गया था (ऐसे समय में जब राष्ट्रीय मीडिया ‘गौरक्षकों’ की कथित तौर पर मवेशियों की तस्करी पर लोगों को पीटने की कहानियों से भरा हुआ था) क्योंकि उसके ‘चमड़े के बैग’ की वजह से। बरुन ने आरोप लगाया था कि वह मुंबई में एक ऑटोरिक्शा में घर जा रहा था, तभी ड्राइवर ने उसे बीच रास्ते में उतार दिया और दूसरे लोगों को उसकी पिटाई करने के लिए बुला लाया क्योंकि उसका बैग ‘गाय की खाल’ से बना था।
बरुन ने सभी को विश्वास दिलाया कि ऑटोरिक्शा ड्राइवर बैग को देखकर ही उसके चमड़े का पता लगा सकता था और उसे गाय की खाल से बने होना अपराध लगता है। तब बरुन ने दावा किया था कि उसने उनसे अनुरोध किया था कि बैग ऊँट की खाल से बना है। हालाँकि, उसने बाद में उसने कथित तौर पर स्वीकार किया कि यह सब क्यों किया। जाहिर तौर पर सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए इसके मनगढंत होने की बात स्वीकार की थी और खुद को ‘गौरक्षकों’ का विक्टिम बताना चाह रहा था।
अब कौन कह सकता है कि अभिषेक शंकर ने विक्टिम कार्ड खेलने के लिए इसे नहीं के लिए इसे नहीं गढ़ा, क्योंकि, मुनव्वर फारूकी को खूब अटेंशन मिल रहा था?