मीडिया के एक बड़े वर्ग में ये चूल मची रहती है कि वो ऐसी कहानियाँ तलाशे, जिसमें खास मजहब ने हिन्दुओं की मदद की हो। जब ऐसी काहनी नहीं मिलती है तो फिर ख़ुद से ही बना दी जाती है। इसी तरह तेलंगाना के एक परिवार के बारे में ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ (TOI) में फेक न्यूज़ छपी कि वहाँ एक हिन्दू की मौत होने के बाद दूसरे मजहब के लोगों ने मिल कर उसे कन्धा दिया और उसके अंतिम संस्कार की भी व्यवस्था की। खैरताबाद के 50 वर्षीय वेणु महाराज की 16 अप्रैल को एक हॉस्पिटल में मृत्यु हो गई थी। इस लेख को कोरेस्पोंडेंट प्रीति विश्वास ने लिखा था, जो अख़बार के हर संस्करण में छपा। हैदराबाद में इसे पहले पन्ने पर जगह दी गई।
हैडिंग में लिखा गया कि समुदाय विशेष के 5 लोगों ने मिल कर एक हिन्दू की लाश को कंधा दिया और उसका अंतिम संस्कार किया। मृतक पेशे से ऑटो ड्राइवर था, जिसकी मौत टीबी के कारण हुई थी। अख़बार में यहाँ तक दावा किया गया कि दूसरे मजहब वालों ने पीड़ित परिवाए और अंतिम संस्कार में भाग लेने आए सम्बन्धियों के लिए भोजन की भी व्यवस्था की। अब सच्चाई सामने आई है। पता चला है कि पीड़ित परिवार झूठी ख़बर के कारण सदमे में है और ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई पर विचार कर रहा है।
मृतक के परिवार ने TOI की ख़बर को नकारा
एक स्थानीय पत्रकार ने भी इस बात की पुष्टि की है। मृतक के भाई विनोद ने भी बताया कि ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ में उनका जो बयान छपा है, उन्होंने ऐसा कुछ कहा ही नहीं है। टीओआई ने विनोद के हवाले से लिखा था कि उनके भाई की मौत के बाद घर-परिवार को देखने वाला कोई नहीं था। ‘स्वराज्य मैगजीन’ की स्वाति गोयल शर्मा से बात करते हुए विनोद ने बताया कि उनके भाई की मौत 16 अप्रैल को शाम 5 बजे हुई। इसके कुछ घंटों बाद मृत शरीर को घर लाया गया। इस बारे में विनोद ने आगे बताया:
“उस दिन महमूद अहमद नामक व्यक्ति भी हमसे मिलने आया, जो मेरे मृत भाई का दोस्त था। कुल 5 लोग हमारे घर आए। एक के अलावा बाकियों को मैं पहचानता भी नहीं था। उनका व्यवहार अच्छा था। उन्होंने हमें खाने के कुछ पैकेट्स भी दिए, हमें सांत्वना दी और फिर चले गए। अगले दिन हमने उन सबको श्मसान घाट पर देखा। जब हमारे पक्ष के कुछ लोग अर्थी उठा रहे थे तो उन्होंने ही पूछा कि क्या वो मदद कर सकते हैं? हमें नहीं पता था कि ऐसा करते हुए उनकी तस्वीरें ली जा रही हैं। ऐसी स्थिति में किसी को नहीं पता होता कि आसपास क्या सब हो रहा है?”
इसके बाद उनमें से एक ने विनोद को फोन दिया और कहा कि लाइन पर एक पत्रकार है, जो उनसे बात करना चाहता है। उसने ये भी दावा किया कि उनसे बात करने पर सरकार से कुछ मदद मिलेगी। इसके बाद विनोद ने जल्दी-जल्दी में पत्रकार से बातचीत की। दो दिनों बाद जब टीओआई में रिपोर्ट छपी तो परिवार को गुस्सा आया। उन्होंने कहा कि वो अपने समुदाय के बीच हँसी के पात्र बन गए हैं। उन्होंने कहा कि उनका परिवार बड़ा है और लॉकडाउन की वजह से सिर्फ़ 20 लोग जुटे थे, ऐसा कुछ नहीं था कि परिवार में लोगों की कमी थी।
TOI के फेक न्यूज़ से परिवार सदमे में: दूसरे समुदाय ने नहीं किए अंतिम संस्कार
विनोद ने बताया कि झूठी रिपोर्ट पढ़ने के बाद लोग उनसे पूछ रहे हैं कि क्या उनके पास अर्थी उठाने के लिए 4 लोग भी नहीं थे कि उन्होंने दूसरे मजहब से मदद माँगी? मृतक के भाई विनोद ने अपने बचत में से 35,000 रुपए ख़र्च किए लेकिन उन्हें इस बात का दुःख है कि समुदाय विशेष की वाहवाही के लिए ये सब प्रपंच रचा गया। मृतक के बेटे सचिन ने भी बताया कि बस्ती के लोगों ने उनके परिवार की हर तरह से मदद की। 5 लोगों ने उनके पिता के दोस्त होने की बात कह के अर्थी को कंधा दिया और इसका फोटो पत्रकारों को दे दिया। सचिन ने कहा कि टीओआई में पड़ोसियों द्वारा साथ न देने की बात एकदम ग़लत है।
Soon after the report was published in TOI and a Telugu paper, a close relative of the deceased called up one of those Muslim men praised in the reports
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) April 21, 2020
The audio recording has been shared with me by deceased’s son
This is a small part of it. Listen to it, it’s shocking pic.twitter.com/LvS4ApHUsc
2 साल पहले ही सचिन की माँ की भी मृत्यु हो गई थी। अब फेक न्यूज़ की वजह से पूरा परिवार सदमे में है। सचिन ने कहा कि अंतिम संस्कार में उनकी बस्ती के लोगों ने परिवार की मदद की है, दूसरे मजहब वालों ने नहीं। जबकि पत्रकार प्रीती विश्वास ने यहाँ तक दावा कर दिया कि उन्हीं लोगों ने परिवार को पुलिस की अनुमति दिलाई, उनके खाने-पीने की व्यवस्था की और अंतिम संस्कार भी किया। साथ ही उन्होंने दावा किया कि उन्हीं लोगो ने मकान मालिक से भी बात कर के उन्हें समझाया। इस पूरे मामले में घाघ TOI की पोल खुलती नज़र आ रही है।
इसी तरह एक बार ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने ख़बर परोसी थी कि बिहार के नवादा में दो महादलितों की लिंचिंग कर दी गई। बता दें कि नवादा में महादलित महिला की हत्या में जो लोग दोषी थे, वो उसी समुदाय से ताल्लुक रखते थे जिस समुदाय की मृतक थी। अर्थात, सभी आरोपित महादलित थे। इसी तरह ओलम्पिक पदक विजेता शटलर पीवी सिंधु ने अपने शब्द तोड़-मरोड़ कर पेश करने के लिए टाइम्स ऑफ़ इंडिया के पत्रकार को लताड़ लगाई थी।