कॉन्ग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड (National Herald) ने अपनी पूर्व संपादकीय सलाहकार संजुक्ता बसु (Sanjukta Basu) को कथित तौर पर राहुल गाँधी के पक्ष में लेख लिखने के लिए 3000 रुपए का भुगतान करने का वादा किया था। लेकिन उन्हें केवल 1000 रुपए प्रति लेख का ही भुगतान किया गया।
संजुक्ता बसु ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर खुद इसकी जानकारी दी है। उन्होंने दावा किया कि उनकी पब्लिक इमेज से भले से लोगों को ऐसा लगता है कि वह लाखों रुपए कमा रही हैं। लेकिन यह सच नहीं है। उन्होंने खुलासा किया कि वह नेशनल हेराल्ड में एक संपादकीय सलाहकार थी। लेकिन राहुल गाँधी के समर्थन में लेख लिखने के लिए उन्हें कभी लाखों रुपए नहीं दिए गए। बल्कि उन्हें 3000 रुपए देने का वादा करके केवल 1000 रुपए थमा दिए गए। पूरे पैसे भी कभी नहीं दिए गए।
उन्होंने सोमवार (6 मार्च 2023) को ट्वीट किया, “यह बेहद चौंकाने वाला है कि मैंने कभी भी पैसे न दिए जाने के बारे में खुलकर नहीं बोला है। मेरी पब्लिक इमेज से भले ही ट्रोल्स को ऐसा लगता हो कि मैं लाखों कमा रही हूँ। नेशनल हेराल्ड ने मुझे राहुल गाँधी के समर्थन में लेख लिखने के लिए लाखों रुपए दिए हो। लेकिन उन्होंने तो मुझे पूरे पैसे भी नहीं दिए। 3000 रुपए का वादा करके केवल 1000 रुपए का ही भुगतान किया।”
But what makes me feel alive, what gives me my MOJO is the public image. I love it. I love myself in the public sphere, was born for it. I was born to be seen and heard. But things I do, write, say, don’t necessarily make money. I would die happy as long as they get recognition.
— Sanjukta Basu (@sanjukta) March 6, 2023
इसके बाद उन्होंने लिखा, “लेकिन जो चीज मुझे जीवंत महसूस कराती है, जो मुझे मेरा MOJO देती है। वह मेरी पब्लिक इमेज है। मुझे इससे बहुत प्यार है। मैं इसके लिए ही पैदा हुई थी। मैं देखने और सुनने के लिए पैदा हुई थी। लेकिन जो चीजें मैं करती हूँ, लिखती हूँ, कहती हूँ, जरूरी नहीं कि उसके लिए पैसा ही मिले।” इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर यूजर्स के सवालों का जवाब देने के लिए भी कई ट्वीट किए।
गौरतलब है कि नेशनल हेराल्ड द एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड द्वारा प्रकाशित किया जाता है। इसका स्वामित्व राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी के स्वामित्व वाली कंपनी यंग इंडियंन के पास है। ‘नेशनल हेराल्ड’ की स्थापना 1937 में हुई थी। AJL तब उर्दू में ‘कौमी आवाज़’ और हिंदी में ‘नवजीवन’ नामक अख़बार निकालता था। नेहरू के लेख इसमें अक्सर आया करते थे। अंग्रेज सरकार ने इसे 1942 में बैन कर दिया था। नेहरू स्वतंत्रता के बाद इसके बोर्ड के अध्यक्ष पद से तो हट गए, लेकिन अख़बार कॉन्ग्रेस से ही चलता रहा।
1963 में इसके सिल्वर जुबली कार्यक्रम में नेहरू ने सन्देश जारी किया। 2016 में इसे फिर से डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में लॉन्च किया गया।