प्रोपेगेंडा चैनल NDTV ने हाल में अपने चैनल पर खबर के नाम पर तेलंगाना सरकार का विज्ञापन दिखाया। 21 अप्रैल 2022 को इस चैनल पर एक वीडियो चली जिसका टाइटल- ‘Telangana A Phoenix Rises’ था। इस वीडियो में मूलत: ये समझाया गया कि आखिर कैसे केसीआर की सरकार ने कम समय में तेलंगाना को राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट बनाने का काम किया है।
शो में वीडियो को लेकर दावा किया गया, “यह इस बात का लेखा-जोखा है कि कैसे सीएम के चंद्रशेखर राव के दृष्टिकोण और गतिशील नेतृत्व ने साबित किया है कि प्रभावी गवर्नेंस और सशक्त योजनाएँ प्रगति का एकमात्र मार्ग हैं।” एनडीटीवी ने तेलंगाना सरकार का यह विज्ञापन न्यूज स्टोरी की तरह चलाया और ये भी नहीं साफ किया कि ये एक पेड विज्ञापन है। उनके यूट्यूब चैनल पर भी ये वीडियो पब्लिश हो रखी है जिसका टाइटल ‘तेलंगाना सरकार की पहल’ लिखा गया है।
ये जानना दिलचस्प है कि तेलंगाना सरकार के प्रचार वाली वीडियो को बिन तथ्यों के खबर की तरह चलाने वाला एनडीटीवी अक्सर अपनी खबरों को निष्पक्ष खबरों की तरह दिखाता नजर आता है और साथ ही अन्य चैनलों पर नैतिकता से खिलवाड़ के इल्जाम लगाता है। हालाँकि, उनकी इस हरकत के बाद साबित होता है कि यदि फायदा हो तो वह खुद नैतिकता से समझौता करने में गुरेज नहीं करते।
वरिष्ठ पत्रकार व वर्तमान में सूचना और प्रसारण मंत्रालय की सलाहकार कंचन गुप्ता ने वामपंथी मीडिया चैनल एनडीटीवी के ऐसे बर्ताव को देख आपत्ति जाहिर की है। उन्होंने कहा कि एक सरकार के प्रचार का वीडियो न केवल बुनियादी नैतिकता के विरुद्ध है बल्कि प्रसारण संहिता का भी उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि इस तरह के विज्ञापन दिखाना गलत नहीं है मगर ये बात स्पष्ट होनी चाहिए कि जो चीज दर्शक को दिखाई जा रही है वो पेड या स्पॉन्सर्ड है।
More paid content by Telangana Government broadcast as ‘news’ by @ndtv
— Kanchan Gupta 🇮🇳 (@KanchanGupta) April 23, 2022
Brazen violation of ethics of journalism and broadcast code. pic.twitter.com/2NEs4d9dmP
बता दें कि केबल टीवी नेटवर्क रूल, 1994 के नियम 7 (10) में ये स्पष्ट है कि हर विज्ञापन प्रोग्राम से अलग दिखाया जाना चाहिए। इसके अलावा न्यूज ब्रॉडकॉस्टर & डिजिल एसोसिएशन ने भी अपने दिशा-निर्देशों में इस बात को स्पष्ट किया हुआ है कि जो वीडियो चाहे जिस भी विषय पर हो, लेकिन ये बताना जरूरी है कि उसके बदले संस्था को पैसे मिले है या नहीं। ऐसे ही प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा प्रकाशित पत्रकारिता आचरण मानदंडों के अनुसार भी यह बात स्पष्ट करना जरूरी है कि सामग्री विज्ञापन है या खबर।
द हिंदू ने किया था चीन का प्रचार
गौरतलब है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि वामपंथी मीडिया ने किसी सरकार का पेड प्रमोशन किया हो। इससे पहले द हिंदू इसी मामले में काफी बदनाम हुआ था जब उन्होंने चीन के विज्ञापन के लिए अपना पूरा पन्ना समर्पित कर दिया था। ये कारनामा द हिंदू ने 1 जुलाई 2020 को किया था जब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अपनी स्थापना के 100 वर्ष मना रही थी।
द हिंदू पर ये पेड कंटेंट समाचार पत्र के तीसरे पेज पर था। दिलचस्प बात तब भी यह थी कि चीन द्वारा जो पेड कंटेंट प्रकाशित किया गय, वह नियमित रिपोर्ट की तरह ही दिखाई देता था, लेकिन बारीकी से देखने पर पता चलता है कि यह चीन द्वारा पेड कंटेंट था।