दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने न्यूजक्लिक के फाउंडर-एडिटर प्रबीर पुरकायस्थ के खिलाफ यूएपीए मामले में चार्जशीट दाखिल की है। प्रबीर पुरकायस्थ को न्यूजक्लिक के ठिकानों पर छापेमारी के बाद 3 अक्टूबर 2023 को न्यूजक्लिक के एचआर हेड अमित चक्रवर्ती के साथ गिरफ्तार किया गया था। न्यूजक्लिक, प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती पर अमेरिका के रास्ते चीन से पैसा लेकर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने का आरोप है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने न्यूजक्लिक को भी आरोपित बनाया है।
न्यूजक्लिक-चीनी फंडिंग मामले में एफआईआर की खास बातें
प्रबीर पुरकायस्थ के खिलाफ दर्ज एफआईआर में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने कई अहम दावे किए थे, जिसमें आतंकियों, नक्सलियों और दिल्ली में हिंदू-विरोधी दंगों के आरोपितों को फंडिंग देना, अपने कर्मचारियों का उपयोग पैसे पहुँचाने में करना, कथित किसान आंदोलन की फंडिंग, चीनी मोबाइल कंपनियों वीवो और श्याओमी जैसी कंपनियों के लिए कानूनी शील्ड तैयार करना, कोरोना से निपटने के लिए भारत सरकार के प्रयासों के बारे में दुष्प्रचार करना, भारतीय वैक्सीन के खिलाफ लोगों में गलत जानकारी फैलाना, अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं बताना जैसी अहम बातें शामिल हैं।
चार्जशीट के मुताबिक, चीन के प्रोपेगेंडा को बढ़ाने के लिए चीनी फंडिंग इस न्यूजक्लिक को मिला। ये फंडिंग पकड़ी न जाए, इसके लिए न्यूजक्लिक को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में बदल दिया गया। यही नहीं, चीनी कम्युनिष्ट पार्टी से जुड़े नेविल रॉय सिंघम के माध्यम से करीब 91 करोड़ रुपए जो आए, उन्हें नक्सलियों तक पहुँचाया गया, ताकि भारत में हिंसक कार्रवाईयों को बढ़ावा दिया जा सके। इस मामले में गिरफ्तार किए गए न्यूजक्लिक के एचआर हेड अमित चक्रवर्ती बाद में सरकारी गवाह बन गए।
एफआईआर में दिल्ली पुलिस ने ‘सीक्रेट इनपुट’ की भी बात कही है। रिमांड के लिए कोर्ट में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने बताया है कि ‘विदेशी फंडिंग की आड़ में 115 करोड़’ से अधिक की धनराशि न्यूजक्लिक को मिली, जिसके लिए प्रबीर पुरकायस्थ और विदेशी साजिशकर्ता एक-दूसरे के साथ सीधे संपर्क में थे। यही नहीं, प्रबीर पुरकायस्थ ने पीपल्स डिस्पैच पोर्टल का इस्तेमाल करते हुए पेड न्यूज छापने के बदले में करोड़ो रुपए दिए, ताकि भारत के खिलाफ माहौल बनाया जा सके। इन सारी बातों का उल्लेख एफआईआर, रिमांड रिक्वेस्ट में किया गया है।
800 पन्नों की चार्जशीट में चौकाने वाला खुलासा
रिमांड रिक्वेस्ट, एफआईआर से भी ज्यादा अहम दिल्ली पुलिस द्वारा फाइल की गई चार्जशीट है, जो 8000 पन्नों की है। इस चार्जशीट के कुछ अहम पन्ने ऑपइंडिया ने देखे हैं, जिसमें प्रबीर पुरकायस्थ, नेविल रॉय सिंघम और अन्य आरोपितों की सारी साजिशों पर से पर्दा उठता है। यही नहीं, इस साजिश की शुरुआत जब से हुई है, उस तथ्य को भी चार्जशीट के माध्यम से कोर्ट में रखा गया है।
चार्जशीट के मुताबिक, 29 जून 2016 से इस पूरे खेल की आधिकारिक शुरुआत होती है, जिसमें प्रबीर पुरकायस्थ ने नेविल रॉय सिंघम को एक मेल भेजा था। इस मेल को ईडी ने स्पेशल सेल के साथ शेयर किया है। इस ईमेल का विषय “भारत में सोशल मीडिया ग्रुप” था। इस ईमेल में मुख्य रूप से 7 बिंदुओं पर पर्चा की गई है।
इस ईमेल में प्रबीर ने नेविल को लिखा कि उसका एक मीडिया प्रोजेक्ट ‘ग्रुप’ सिर्फ टूल्स पर फोकस करे, जो डाटा इकट्ठा करे। उसने सुझाव दिया कि सोशल मीडिया कैंपेन के लिए एक डेडिकेटेड टीम होनी चाहिए। सोशल मीडिया कैंपेन का बजट 60,000 डॉलर से 80,000 डॉलर के बीच हो सकता है।
चार्जशीट में कहा गया है, ये ईमेल बेहद प्रासंगिक हो जाता है, क्योंकि इसके तुरंत बाद 17 सितंबर 2016 को न्यूजक्लिक का एक लेख ईमेल पर भेजा जाता है, जिसमें खास माओवादी शैली में जनांदोलन तैयार करने की बात कही गई थी। इस लेख में न्यूज़क्लिक ने लिखा कि वामपंथियों को ऐसे ‘संघर्षों’ में सबसे आगे रहने की ज़रूरत है।
इस सिर्फ 2 दिन बाद 19 सितंबर 2019 को एक और ईमेल भेजा गया, जिससे ये साफ हो जाता है कि भारत में लोकतंत्र को समाप्त करने के लिए क्या साजिशें रची जा रही थी। ये ईमेल नेविल ने प्रबीर पुरकायस्थ को भेजा था। इस ईमेल में नेविल ने भारत सहित विश्व स्तर पर वामपंथियों के सामने बढ़ती चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए 7 विषयों पर चर्चा की।
1- कम्युनिस्ट दृष्टिकोण: नेविल का कहना है कि उन्हें समाज के लिए एक वैकल्पिक दृष्टिकोण के साथ आने की जरूरत है क्योंकि कम्युनिस्ट दृष्टिकोण अब “प्रोजेक्ट करना आसान” नहीं है। नेविल पूछता है कि जन आंदोलनों के घटते समर्थन का सामना कैसे किया जाए और कम्युनिस्टों-वामपंथियों के खिलाफ प्रचार का मुकाबला कैसे कर सकते हैं।
2- नए श्रमिक वर्ग की पहचान: उसने दुख जताया है कि यूनियनें खत्म हो रही हैं, जिन्हें ‘कम्युनिस्टों का भंडार’ माना जाता था। वो ये पूछता है कि कैसे “श्रमिक वर्ग के भीतर की टूट” से निपटें, क्योंकि मशीनीकरण के कारण अब हजारों श्रमिक एक साथ कारखानों में काम नहीं करते। ‘हम एक नए प्रकार के ग्रामीण संकट के संदर्भ में ग्रामीण सर्वहारा वर्ग को कैसे संगठित कर सकते हैं’ जिनमें पर्यावरणीय विनाश को लेकर जागरुकता भी हो।
3- नव-उदारवादी युग के बाद उभरते रणनीतिक मुद्दे: इसमें नेविल डीएमसी (डिजिटल मोनोपोली कैपिटल) के बारे में बात करता है। इसमें वो लिखता है कि Google, Apple, Amazon, Facebook और Microsoft जैसी कंपनियाँ एआई का उपयोग करके इंसानी निर्भरता को कम कर रही हैं, जिससे कम्युनिज्म को नुकसान पहुँच रहा है। वो चिंता जताता है कि कैसे दुनिया में पूँजी (पैसों) का प्रभाव बढ़ता है, जिसकी वजह से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर श्रमिक वर्ग की एकजुटता में कमी आई है। वो एर्दोगन, पीएम मोदी, ट्रम्प और ट्रेमर की तुलना करते हुए पूछता है कि कैसे फाँसीवाद के प्रति बढ़ते समर्थन को करने करने की रणनीति बनाई जाए।
4- इसी तर्ज पर नेविल आगे बात को बढ़ाता है कि कैसे नए राजनीतिक मुद्दों को पहचान की जाए, क्योंकि पूरी दुनिया में पार्टी (कम्युनिष्टों का समर्थन) की पकड़ कमजोर होती जा रही है। ऐसे में हम किस तरह से लोगों को मूवमेंट (वामपंथ) से जोड़ा जाए।
5- नेविल लिखता है, “व्यावहारिक सवाल: कैसे हम अलगाववादियों या अन्य जातीय-पहचान संघर्षों के साथ खुद को जोड़ सकते हैं?” क्योंकि उनकी लड़ाई अलग है। पहचान की लड़ाई है। हम उन्हें कैसे अपने साथ जोड़कर आगे बढ़ सकते है। कैसे हम आंदोलन की मुख्यधारा में लिंग(पुरुष-महिला) और पहचान का मुद्दा आगे बढ़ा सकते हैं। बर्सिलोना, पोर्ट एलिजाबेथ और केरल में स्थानीय सरकारों को चलाते हुए असली रणनीति (कम्युनिष्टों की) क्या है? कैसे हम अपनी राजनीतिक विचारधारा को बढ़ाने के लिए शिक्षा का सहारा ले सकते हैं, खासकर स्कूलों और काडरों का।
6- दिलचस्प बात यह है कि इसी मुद्दे के विस्तार में नेविल वामपंथियों को हिज़्बुल्लाह और मुस्लिम ब्रदरहुड से सबक लेने की बात करता है। वो लिखता है “दुनिया भर में लोकप्रिय धर्मों के बढ़ते “सामूहिककरण” से वामपंथियों को क्या सीख मिलनी चाहिए? हिज़बुल्लाह और मुस्लिम ब्रदरहुड ने डॉक्टरों, चिकित्सा देखभाल और सेवाओं को आयोजन और सेवाएं प्रदान करने के केंद्रीय तत्वों के रूप में उपयोग किया है।” वह आगे पूछता है, “हम प्रिंट और टीवी के खात्मे के दौर में शक्तिशाली पक्षपातपूर्ण (एकतरफा) लोकप्रिय मीडिया केंद्रों का निर्माण कैसे करें और अपने संघर्षों में सोशल मीडिया का उपयोग कैसे करें?”
7-इस मुद्दे पर आखिर में वो ‘इंटरनेशनलाइजेशन’ के बारे में बात करता है और सवाल करता है कि वो लोग कैसे दुनिया भर के लोकप्रिय आंदोलनों को स्पष्ट रूप से वामपंथी वैचारिक ताकतों के साथ जोड़ सकते हैं। वो एक अंतरराष्ट्रीय रणनीति की भी बात करता है।
इन 7 बिंदुओं पर प्रबीर पुरकायस्थ और नेविल रॉय सिंघम की बातचीत बताती है कि न्यूजक्लिक, उसके फाउंडर और इस पूरे नेक्सन का नेविल रॉय के साथ क्या रिश्ता है और कैसे वो भारत की संप्रभुता और लोकतंत्र को नुकसान पहुँचाने की दिशा में काम कर रहे थे।
नेविल रॉय सिंघम और प्रबीर पुरकायस्थ की बातचीत से जो 7 अहम पहलू निकलकर सामने आते हैं, उनके बारे में भी जान लेते हैं-
1- चार्जशीट के हिसाब से देखें तो ईमेल में सबसे अहम बात जो सामने आ रही है, वो है भारत के लोकतंत्र को बदलना और सिंगल पार्टी सिस्टम जैसे चीन में अभी की सरकार है, उस तर्ज पर देश को हाँकना।
2- अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक वर्ग की एकजुटता में गिरावट के बारे में बात करते हुए, नेविल ने पीएम मोदी को फासीवादी करार देकर उन्हें नीचा दिखाने की भी बात की। यह किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा भारतीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नष्ट करने की ओर इशारा करेगा जो चीन द्वारा वित्त पोषित साबित होता है और जो चीनी कथा को आगे बढ़ाने के लिए भारत के भीतर तत्वों को वित्त पोषित कर रहा है। यदि नेविल रॉय सिंघम पीएम मोदी को राज्य के प्रमुख के रूप में विस्थापित करने की बात कर रहे हैं, तो यह स्पष्ट है कि चीनी राज्य का एजेंडा वह परबीर पुरकायस्थ जैसे तत्वों के साथ बीज बोने का प्रयास कर रहा है।
3-वह फिर से जनता को अपने आंदोलनों में शामिल होने के लिए आकर्षित करने की बात करते हैं। यह देखते हुए कि उन्होंने पहले माओवादी शैली के आंदोलनों के बारे में कैसे बात की है, यह स्पष्ट हो जाता है कि वह हिंसक आंदोलनों का समर्थन करते हैं।
4-नेविल विशेष रूप से भारत में अलगाववादी आंदोलनों के साथ सहयोग के बारे में बात करते हैं। वह पहचान आंदोलनों के साथ सहयोग की भी बात करते हैं। यह स्पष्ट रूप से न्यूज़क्लिक और उसके पूरे गठजोड़ की ओर इशारा करता है जो आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और साथ ही, चीन के इशारे पर भारत में मुस्लिमों को ख़तरे में बताया जा रहा है।
5-इसके बाद नेविल ने प्रबीर पुरकायस्थ और अन्य लोगों को हिज़्बुल्लाह और मुस्लिम ब्रदरहुड से सबक लेने के लिए कहकर और भी खतरनाक कहानी गढ़ी।
6-वह आगे “शक्तिशाली पक्षपातपूर्ण लोकप्रिय मीडिया” के निर्माण और भारत को तोड़ने की अपनी रणनीति को लागू करने के लिए सोशल मीडिया के उपयोग के बारे में बात कर रहे हैं।
7-अंत में वो दोनों वामपंथ को वैश्विक लोकप्रिय आंदोलनों के साथ जोड़ने की बात करते हैं। इसे ऐसे देख सकते हैं कि ब्लैक लाइव्स मैटर या इंतिफादा से भारत में भारतीय मुसलमानों से कैसे जुड़े थे।
ईमेल से प्राप्त उपरोक्ट जानकारियों को न्यूज़क्लिक केस में साजिश का शुरुआती प्वॉइंट मान सकते हैं। इसके हिसाब से लेफ्ट इकोसिस्टम का एकमात्र उद्देश्य भारत में लोकतंत्र को खत्म करके किसी भी तरह से चीनी स्टाइल वाली राजनीतिक व्यवस्था (एक पार्टी कम्युनिस्ट सिस्टम) को स्थापित करना है।
(यह लेख मूल रूप से अंग्रेजी भाषा में नुपूर जे शर्मा द्वारा लिखा गया है। मूल लेख पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।)