न्यूज़ एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) के हालिया कवरेज से प्रसार भारती सख्त नाराज है। वह न्यूज एजेंसी को दी जाने वाली वित्तीय मदद रोकने पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
ऑपइंडिया को विश्वस्त सूत्रों से प्रता चला है कि पीटीआई की ‘देश विरोधी’ रिपोर्टिंग प्रसार भारती को नागवार गुजरी है। न्यूज एजेंसी ने भारत-चीन के तनाव के बीच बीजिंग को अपने प्रोपेगेंडा का प्रचार करने के लिए मंच मुहैया करवाया था।
बता दें कि PTI को विभिन्न की फीस के रूप में प्रसार भारती से दशकों से करोड़ों रुपए प्राप्त होते रहे हैं। इस उसे भारी फायदा होता रहा है। सूत्रों के अनुसार PTI को प्रसार भारती से प्रत्येक वर्ष 9 करोड़ रुपए प्राप्त होते हैं।
इसके अलावा PIB (प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो) से भी PTI को भारी रकम मिलती आई है। PTI की ‘देश विरोधी’ रिपोर्टिंग देख प्रसार भारती का मानना है कि इस करार के साथ आगे बढ़ना ठीक नहीं होगा।
प्रसार भारती 2016-17 से ही इस करार की समीक्षा करने के पक्ष में रहा है। अब चीन के सम्बन्ध में PTI की रिपोर्टिंग के बाद समीक्षा प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सूत्रों के अनुसार प्रसार भारती जल्द ही PTI को अपने निर्णय को लेकर अवगत करा देगा।
बता दें कि हाल ही में PTI ने नई दिल्ली में चीन के राजदूत सुन वेडोंग का एक इंटरव्यू लिया था, जिसमें उन्होंने भारत के विरोध में बातें कर के चीन के प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाया था। लेकिन PTI ने इस दौरान भारत का पक्ष रखते हुए सवाल तक नहीं किए।
उसने चीन के राजदूत द्वारा किए गए झूठे दावों पर पलट कर कोई सवाल भी नहीं पूछा। PTI के इस रुख को लेकर सोशल मीडिया में लोगों ने विरोध जताया था।
Here is the list of Board Members of @PTI_News
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) June 26, 2020
But all PTI could ask Chinese Ambassador was three soft questions as if it’s dictation from Chinese govt?
Govt must stop funding spineless @PTI_News which has no journalistic standard. pic.twitter.com/BS8EmyUw3x
बता दें कि गलवान में हुए संघर्ष में भले ही भारतीय सेना के जवानों की संख्या चीनियों से काफ़ी कम थी, भले ही चीनी पहले ही उचित स्थान देखकर हमले के लिए बैठे थे, भले ही चीनियों के पास जानलेवा हथियार थे, लेकिन जब बिहारी रेजिमेंट ने जवाबी कार्रवाई की तो उनके छक्के छूट गए। जवानों पर लगातार पत्थर बरस रहे थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 3 घंटे तक चले युद्ध में हमारे 20 जवान भी वीरगति को प्राप्त हुए। हमारे कुल 100 जवान थे, जिन्होंने 350 चीनी सैनिकों को परास्त किया। उनके 43 जवान मरे।
लेकिन, PTI ने चीन को मंच देकर भारत के पक्ष को एकदम से गौण कर दिया। जबकि केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने खुलासा किया था कि भारत ने चीन के कई सैनिकों को पकड़ा था जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया। वीके सिंह ने गलवान घाटी संघर्ष को लेकर जानकारी दी थी कि इस झड़प में चीन के दोगुने सैनिक मारे गए थे। उन्होंने कहा था कि लेकिन चीन कभी भी सार्वजनिक रूप से इस बात को स्वीकार नहीं करेगा और PTI की इंटरव्यू में भी यही हुआ।
गौरतलब है कि इससे पहले भी कई मौकों पर पीटीआई फेक न्यूज फैलाते पकड़ा जा चुका है। अप्रैल में उसने दावा किया था कि कोरोना संक्रमित होने के संदेह में महबूब अली की मॉब लिंचिंग कर दी गई। लेकिन, महबूब अली जिंदा निकला।
राजनीतिक मसलों पर भी न्यूज एजेंसी फेक न्यूज को हवा देती रही है। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले पीटीआई ने दावा किया था कि आप के केवल 25 फीसदी उम्मीदवारों पर ही गंभीर आपराधिक मामले हैं। असल में यह संख्या 50 फीसदी से ज्यादा थी।