Wednesday, November 20, 2024
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प्रणय रॉय और राधिका रॉय अवैध कमाई का 50 फीसदी SEBI के पास जमा करें: SAT का निर्देश

SEBI ने नवंबर 2020 में विवादास्पद मीडिया नेटवर्क NDTV के प्रवर्तकों प्रणय रॉय और राधिका रॉय को इनसाइडर ट्रेडिंग से अनुचित लाभ उठाने का दोषी पाया था। इसके बाद वित्तीय अपराध के लिए दंड के रूप में SEBI ने उन्हें प्रतिभूति बाजार में दो साल के लिए व्यापार करने से रोक दिया।

एनडीटीवी के प्रमोटर्स प्रणय रॉय और राधिका रॉय को गैर कानूनी तरीके से कमाई गई रकम का 50 फीसदी जमा करने के निर्देश दिए गए हैं। सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल SAT ने यह निर्देश जारी किया है। रॉय दंपती को सेबी (SEBI) के पास यह रकम जमाने कराने के लिए 7 हफ्ते का वक्त दिया गया है।

इसमें आगे कहा गया है कि यदि NDTV राशि जमा करता है, तो शेष राशि को SAT के समक्ष अपील की पेंडेंसी के दौरान वापस नहीं किया जाएगा। 4 जनवरी को पारित दो अलग-अलग आदेशों में, ट्रिब्यूनल ने उल्लेख किया कि रॉय दंपति द्वारा दायर की गई अपील पर विचार करने की जरूरत है और अपील को 10 फरवरी, 2021 को अंतिम निस्तारण के लिए ट्रिब्यूनल के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

गौरतलब है कि SEBI ने नवंबर 2020 में विवादास्पद मीडिया नेटवर्क NDTV के प्रवर्तकों प्रणय रॉय और राधिका रॉय को इनसाइडर ट्रेडिंग से अनुचित लाभ उठाने का दोषी पाया था। इसके बाद वित्तीय अपराध के लिए दंड के रूप में SEBI ने उन्हें प्रतिभूति बाजार में दो साल के लिए व्यापार करने से रोक दिया। इसके साथ ही दोनों को 12 साल पहले की इनसाइडर ट्रेडिंग के जरिए अवैध तरीके से कमाए गए ₹16.97 करोड़ रुपए लौटाने के लिए भी कहा गया।

सेबी ने पाया कि नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड (NDTV) में प्राइस को लेकर संवेदनशील जानकारियाँ रखने योग्य पदों पर रहते हुए प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने कंपनी के शेयरों का कारोबार किया। प्रणय रॉय और राधिका रॉय के अलावा, एनडीटीवी के पूर्व सीईओ विक्रमादित्य चंद्रा, वरिष्ठ सलाहकार ईश्वरी प्रसाद बाजपेयी, ग्रुप सीएफओ सौरव बनर्जी को भी इनसाइडर ट्रेडिंग का दोषी पाया गया।

SEBI द्वारा की गई जाँच के अनुसार उन्होंने इनसाइडर ट्रेडिंग (PIT) विनियमों का उल्लंघन किया। उन पर 2007-2008 के दौरान अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील जानकारी (UPSI) रखने का आरोप है, जो न्यू इंडिया टेलीविजन लिमिटेड के पुनर्गठन से संबंधित है। सेबी ने सितंबर, 2006 से जून, 2008 के दौरान कंपनी के शेयरों में कारोबार की जाँच करने के बाद यह कदम उठाया था। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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