रामपुर प्रशासन द्वारा वामपंथी प्रोपेगेंडा पोर्टल ‘द वायर’ के एडिटर सिद्धार्थ वरदराजन को एक दंगाई की मौत पर फ़ेक न्यूज़ फैलाने पर चेतावनी भेजे जाने के कुछ ही घंटों बाद, देश की ‘लिबरल’ आवाम पूरी तरह सक्रिय हो चुकी है। लिबरल तंत्र ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आगाह किया है कि वो वरदराजन पर किसी भी तरह की कार्रवाई से बचें।
ऑपइंडिया को पता चला कि उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को ‘चेतावनी दी गई’ है कि, अगर वरदराजन पर कार्रवाई की गई तो इस मामले में अमेरिकी सरकार दखल दे सकती है, क्योंकि वह एक अमेरिकी नागरिक है। सभी जानते हैं कि वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के अधिकांश सलाहकार वामपंथी हैं।
फ़ेक न्यूज़ मामले में वरदराजन पर एफ़आईआर दर्ज होने के बाद से ही ‘बुद्धिजीवी’ जमात का रुदन शुरू हो गया है।
On press freedom, India is fast becoming an international joke. The government is harassing @svaradarajan and others, including @sardesairajdeep, for accurately reporting a protestors’ allegations—as allegations. #WorldsLargestDemocracy https://t.co/0YIalktufp
— Sadanand Dhume (@dhume) January 31, 2021
वॉल स्ट्रीट जर्नल (Wall Street Journal) के स्तंभकार सदानंद धूमे ने कहा कि फ़ेक न्यूज़ फैलाने वालों पर कार्रवाई करके ‘भारत बहुत तेजी से अंतर्राष्ट्रीय चुटकुले’ में तब्दील होता जा रहा है।
Cc: @KamalaHarris An India that is not free can be no friend to the United States—as we learned with Pakistan and Turkey, enduring friendships are made of values. Not merely shared interests. https://t.co/vegQZZwzjo
— Aatish Taseer (@AatishTaseer) January 31, 2021
पत्रकार आतिश तासीर जिसके पिता की ‘ईशनिंदा का विरोध’ करने के लिए हत्या कर दी गई थी, उसने अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को टैग किया और भारत से दोस्ती नहीं रखने के लिए उकसाया।
पिछले बार भी विदेशी मीडिया समूहों के लिए काम करने वाले ‘पत्रकारों’ ने बवाल खड़ा कर दिया था। तब यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की बात का गलत तरीके से हवाला देने के लिए वरदराजन पर कार्रवाई की गई थी।
Anyone who cares about press freedom in India should speak up about Yogi Adityanath’s thuggish attempt to intimidate @svaradarajan for doing his job as a journalist. v @tunkuv https://t.co/LN7gBr3w7K
— Sadanand Dhume (@dhume) April 12, 2020
सिद्धार्थ वरदराजन के भाई टुंकु वरदराजन (Tunku Varadarajan) ने वॉल स्ट्रीट जर्नल के ज़रिए एक प्रताड़ित तस्वीर तैयार करने का प्रयास किया था।
बाकी भी इसकी नक़ल करते हुए आगे बढ़े।
When News Suppression Hits Home. @tunkuv writes “My brother in India faces criminal charges for reporting a story.” Solidarity with @svaradarajan
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) April 13, 2020
and the Wire. https://t.co/DBHyFnBNGR
बाकियों ने भी कुछ अलग नहीं किया।
Coming to this late but this is an important and must read piece by @tunkuv on his brother @svaradarajan. And the larger issue of media freedom that should concern us all https://t.co/tgtZKkmyZ9
— barkha dutt (@BDUTT) April 15, 2020
वरदराजन ने तबलीगी जमात की करनी पर पर्दा डालने के लिए योगी आदित्यनाथ की बात का गलत हवाला दिया था। कई चेतावनियों के बावजूद वरदराजन ने न तो झूठा लेख हटाया और न ही उसके लिए माफ़ी माँगी।
योगी सरकार को निशाना बनाने की द वायर की कोशिश
इसके पहले भी ऐसा कई बार हुआ है जब ‘द वायर’ ने योगी सरकार को निशाना बनाने की कोशिश की है। पिछले साल जुलाई में जब कुख्यात गैंगस्टर विकास दूबे पुलिस एनकाउंटर में मारा गया तो ‘द वायर’ अलग ही राग अलाप रहा था। द वायर में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया था कि योगी आदित्यनाथ ‘जातिवादी’ हैं।
रिपोर्ट में आगे दावा किया गया था कि जितने अपराधियों का एनकाउंटर किया गया है उसमें लगभग सारे ही छोटे अपराधी थे और किसी भी मोस्ट वांटेड अपराधी का एनकाउंटर नहीं किया गया है।
वायर का यही प्रोपेगेंडा आगे भी जारी रहता है।
द वायर द्वारा लगाया कुछ और आक्षेप:
1. योगी सरकार का गैंगस्टर विकास दूबे पर कार्रवाई का कोई उद्देश्य नहीं था।
2. योगी सरकार सिर्फ मुस्लिम और दलितों पर कार्रवाई करती है।
3. योगी सरकार ने सिर्फ छोटे अपराधियों पर कार्रवाई की न कि उन पर जो ‘जुड़े हुए थे’।
विकास दूबे पर लिखी गई द वायर की इस रिपोर्ट का आधार सिर्फ यही था कि योगी सरकार सिर्फ मुस्लिम और दलितों पर कार्रवाई करती है। अगर योगी सरकार का विकास दूबे को पकड़ने का इरादा नहीं होता तो शुरूआती कार्रवाई ही नहीं हुई होती।
योगी सरकार के सत्ता में आने से पहले अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए विकास दूबे बेख़ौफ़ होकर घूमा और उस पर कोई कार्रवाई भी नहीं हुई थी। जब पुलिस विकास दूबे को गिरफ्तार करने गई थी तब उसके आदमियों ने 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। इसके बाद वह फरार हो गया था। फिर उसकी खोजबीन शुरू हुई थी और उसे मध्य प्रदेश में गिरफ्तार किया गया था। वापसी के दौरान जब उसने भागने की कोशिश की तब पुलिस ने उसे एनकाउंटर में मार गिराया था।
इसके बाद भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब ‘द वायर’ के कर्मचारियों ने प्रोपेगेंडा फैलाने का प्रयास किया था, जिसका सीधा असर क़ानून-व्यवस्था पर पड़ सकता था। ‘द वायर’ की आरफा खानम शेरवानी ने सीएए का विरोध करने वाले को रणनीति के अनुसार एक साथ बने रहने का सुझाव दिया था, जबकि इस क़ानून का देश के मुस्लिमों से कोई सरोकार ही नहीं था।
शाहीन बाग़ का मास्टरमाइंड शर्जील इमाम, भी द वायर के लिए लिखता है। फ़िलहाल राजद्रोह के आरोप में जेल के भीतर है।
क्या कहते हैं योगी आदित्यनाथ
हालाँकि इस तरह की ‘हल्की चेतावनियों’ का योगी सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, पुलिस को कार्रवाई के आदेश मिले और शनिवार को एफ़आईआर दर्ज की गई।
सीएमओ (मुख्यमंत्री ऑफिस) के अधिकारी ने ऑपइंडिया से बात करते हुए कहा, “अगर न्यायिक ज़रूरतों के आधार पर हमें गिरफ्तारी की आवश्यकता होगी तो हम उसे (सिद्धार्थ वरदराजन) गिरफ्तार करेंगे। अमेरिका के नागरिक वापस वहाँ जा सकते हैं अगर उन्हें भारत के क़ानून का पालन नहीं करना है।”