मध्यप्रदेश के खांडवा जिले से कुछ दिन पहले खबर आई थी कि 7 जुलाई को वहाँ कुछ ग्रामीणों ने 22 गायों को ले जा रहे 8 वाहनों के साथ 25 गौ तस्करों को पकड़ा और फिर उन्हें रस्सी से बाँध दिया। गाँव वालों ने इसके बाद उन्हें सड़क पर बिठाया और उनसे ‘गौ माता की जय’ के नारे लगवाए। इतना ही नहीं, गुस्साए ग्रामीणों ने इस दौरान 2 किलोमीटर दूर स्थित पुलिस थाने तक इन गौ तस्करों की परेड भी करवाई। बाद में पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए इन गौ तस्करों के वाहन, और पशु समेत कुछ कीमती गहने और रुपए जब्त करके पुष्टि की कि हिरासत में लिए गए लोगों के पास न तो पशुओं को ले जाने की अनुमति थी और न ही ऐसे कोई भी दस्तावेज..। इस मामले में पुलिस ने ग्रामीणों पर भी मामला दर्ज किया था क्योंकि वे लोग आरोपितों को सीधे थाने नहीं लाए थे।
अब इस खबर में जहाँ हर एंगल स्पष्ट था वहाँ कुछ लोगों ने इस को हिंदुओं द्वारा की मॉब लिंचिंग का चेहरा देने की कोशिश की। अलग-अलग मीडिया हाउस से लेकर, पत्रकारों और राजनेताओं ने इस पूरे मामले में इस तथ्य को छुपाने का प्रयास किया कि ग्रामीणों द्वारा पकड़े गए ये 25 लोग ‘गौतस्कर’ थे। इन लोगों ने अपनी बातों के जरिए ऐसा माहौल बनाने का प्रयास कि ये 25 लोग निर्दोष हैं, जो सिर्फ़ वाहन के जरिए गायों को ले जा रहे थे और गाँव वालों ने उन्हें बेवजह पकड़कर प्रताड़ित किया।
वकील प्रशांत भूषण ने तो इस मामले में नरेंद्र मोदी और अमित शाह को जोड़कर अलग तरीके से पेश करना चाहा और ग्रामीणों को बजरंग दल का बताया।
100 Bajrang Dal goons tie up 25 men, parade them & make them chant ‘Gau Mata ki Jai’. In this growing Lynch mob Republic, we must all chant Modi/Shah ki Jai! https://t.co/4TPToaLZ2r
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) July 8, 2019
शेखर गुप्ता ने भी इस मामले को आगे पहुँचाना तो जरूरी समझा, लेकिन ये बताना जरूरी नहीं समझा कि जिन लोगों को ग्रामीणों ने पकड़ा वे गौ तस्कर थे।
A group of men were tied-up in Khandwa, MP on Sunday & made to chant “Gau Mata Ki Jai” for ‘smuggling’ cows.
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) July 8, 2019
This comes 2 days after govt brought in an amendment to the MP Bovine Slaughter Prohibition Act, 2004, reports @kairvygrewalhttps://t.co/5iz00NucS4
अन्य मीडिया संस्थानों ने भी इस मामले को इस तरह पेश किया जैसे गायों को वाहनों के जरिए ले जाने वाले निर्दोष पशु व्यापारी थे, जिन्हें कुछ गौ रक्षकों ने पकड़ लिया और मिलकर प्रताड़ित किया।
Another day in the life of the republic…On Video, 24 Thrashed, Forced To Say “Gau Mata Ki Jai” In Madhya Pradesh – NDTV https://t.co/9ejBGQ3WEm
— Saba Naqvi (@_sabanaqvi) July 8, 2019
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में तो इस खबर को हिंदू-मुस्लिम एंगल देने का भी प्रयास किया गया। रिपोर्ट में बताया गया कि ग्रामीणों द्वारा पकड़े गए 25 लोगों में 7 लोग मुस्लिम थे, जबकि सच्चाई ये है कि पकड़े गए लोगों में अधिकतर हिंदुओं का होना और उनके साथ समान बर्ताव होना, इस बात का सबूत है कि पूरे मामले में हिंदू-मुस्लिम जैसा एंगल बिलकुल नहीं था।
खैर, ये सारे सबूत इसलिए ज्यादा हैरान करने वाले नहीं है क्योंकि जबसे मोदी सरकार सत्ता में आई है तबसे ‘हिंदुओं द्वारा मॉब लिंचिंग’ का एक नैरेटिव गढ़ा जाना और आपराधिक मामले में पकड़े गए आरोपितों पर लोगों द्वारा की गई कार्रवाई को ‘निश्चित’ एंगल देना आम हो चुका है
उपर्युक्त मामले में ग्रामीणों द्वारा कानून को हाथ में लेना किसी रूप में जस्टिफाई नहीं किया जा सकता, लेकिन ये जरूरी है कि हम खबर को उचित तथ्यों के साथ दर्शकों और पाठकों के समक्ष पेश करें। क्योंकि मामले में एक भी बिंदु से की गई छेड़-छाड़ खबर की प्रमाणिकता पर सवाल तो उठाती ही है, साथ में समाज पर भी गलत प्रभाव छोड़ती है।
इसका हालिया उदहारण हम तबरेज की मौत के मामले से लगा सकते हैं। जहाँ तबरेज को लोगों की भीड़ ने चोरी के आरोप में मारना शुरू किया, लेकिन 4 दिन बाद जब पुलिस हिरासत में उसकी मौत हुई, तो इस एंगल को बिलकुछ छिपा लिया गया कि उसे लोगों ने चोरी के आरोप में मारा था, और जो नैरेटिव तैयार किया वह ये कि हिंदुओं की भीड़ ने मुस्लिम को मारा।