Sunday, December 22, 2024
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पाकिस्तान-बांग्लादेश से घुसपैठ जारी… तत्काल प्रभाव से हटाए गए BSF चीफ नितिन अग्रवाल, SDG खुरानिया की भी छुट्टी

सरकार के इस कठोर कदम के पीछे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से जुड़े आँकड़े गवाही दे रहे हैं। आँकड़ों के अनुसार, इस साल 21 जुलाई तक जम्मू-कश्मीर में 11 आतंकी हमले और 24 एनकाउंटर हो चुके हैं। इनमें 14 सुरक्षाकर्मियों और 14 नागरिकों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा, बांग्लादेश सीमा पर भी घुसपैठ पर लगाम कसने में नाकामी को दूसरी प्रमुख वजह बताई जा रही है।

केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में बढ़ते घुसपैठ और आतंकी हमलों के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कड़ा ऐक्शन लिया है। केंद्र सरकार ने शुक्रवार (2 अगस्त 2024) को सीमा सुरक्षा बल (BSF) के प्रमुख नितिन अग्रवाल और डिप्टी स्पेशल डायरेक्टर जनरल योगेश बहादुर खुरानिया को पद से हटा दिया। दोनों को अपने-अपने होम कैडर में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है।

नितिन अग्रवाल का होम कैडर केरल है और खुरानिया का ओडिशा है। इन दोनों अधिकारियों को नई जिम्मेदारी क्या दी गई है, इसके बारे में अभी जानकारी सामने नहीं आई है। दोनों को हटाने के संबंध में केंद्र ने 30 जुलाई 2024 को कैबिनेट की नियुक्ति समिति को आदेश जारी करने के लिए कहा था। इसके बाद डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ट्रेनिंग (DoPT) की डायरेक्टर साक्षी मित्तल ने आदेश जारी कर दिया।

माना जा रहा है कि केंद्र सरकार ने इस कार्रवाई के पीछे की मुख्य वजह जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से पाकिस्तान होने वाले घुसपैठ में पिछले एक साल में वृद्धि और आतंकी हमलों में वृद्धि है। इस मामले में केंद्र सरकार का अब तक का यह सबसे बड़ा प्रशासनिक फैसला है, जिसमें प्रमुख सुरक्षा बल के सर्वोच्च दो वरिष्ठ अधिकारियों पर गाज गिरी है। खुरानिया पाकिस्तान सीमा पर तैनात बल का नेतृत्व कर रहे थे।

नितिन अग्रवाल 1989 बैच के केरल कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारी हैं। वे BSF के पहले डीजी हैं, जिन्हें अपना कार्यकाल पूरा करने नहीं दिया गया। इससे पहले BSF के जितने भी डायरेक्टर जनरल थे, सभी ने अपना कार्यकाल पूरा किया था। नितिन अग्रवाल ने पिछले साल जून में DG का पदभार ग्रहण किया था। उनका कार्यकाल 2026 में पूरा होने वाला था।

डिप्टी स्पेशल डायरेक्टर जनरल योगेश बहादुर खुरानिया 1990 बैच के IPS अधिकारी हैं। वे स्पेशल डीजी (वेस्ट) के रूप में पाकिस्तान बॉर्डर पर सिक्योरिटी इंचार्ज थे। BSF में आने से पहले वे ओडिशा पुलिस के बड़े पदों पर जिम्मेदारी निभा चुके हैं। वे एडिशनल DGP के अलावा राउरकेला, मयूरभंज और गंजम में SP भी रह चुके हैं। ​​​​भुवनेश्वर, बेरहमपुर और संबलपुर रेंज के DIG और IG भी रह चुके हैं।

सरकार के इस कठोर कदम के पीछे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से जुड़े आँकड़े गवाही दे रहे हैं। आँकड़ों के अनुसार, इस साल 21 जुलाई तक जम्मू-कश्मीर में 11 आतंकी हमले और 24 एनकाउंटर हो चुके हैं। इनमें 14 सुरक्षाकर्मियों और 14 नागरिकों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा, बांग्लादेश सीमा पर भी घुसपैठ पर लगाम कसने में नाकामी को दूसरी प्रमुख वजह बताई जा रही है।

लगभग 2.65 लाख कर्मियों वाला सुरक्षा बल यानी बीएसएफ पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमा पर सुरक्षा का काम देखती है। बीएसएफ जम्मू, पंजाब, गुजरात, राजस्थान से लगी 2290 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा की निगरानी करती है। इनमें सीमा से सटे कई इलाके बेहद संवेदनशील हैं। जम्मू का क्षेत्र तो जंगलों और पहाड़ी इलाकों से घिरा हुआ है। वहीं, गुजरात का इलाका समुद्र से घिरा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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