Saturday, November 16, 2024
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बॉर्डर पर 10 साल में 32% मुस्लिम बढ़े, BSF के हवाले हो सकता है 100 किमी इलाकाः नेपाल-बांग्लादेश से सटे इलाकों में डेमोग्राफी चेंज से बढ़ा खतरा

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी ने बताया है कि इतना ज्यादा डेमोग्राफिक बदलाव सिर्फ आबादी बढ़ने का मसला नहीं है। ये भारत में घुसपैठ का नया पैटर्न हो सकता है।

बांग्लादेश और नेपाल जैसे पड़ोसी मुल्कों की सीमा से सटे इलाकों में होने वाला डेमोग्राफिक बदलाव सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। ये बदलाव सामान्य नहीं हैं। पिछले 10 साल में उत्तर प्रदेश और असम के बॉर्डर वाले इलाकों में जनसांख्यिक में अप्रत्याशित परिवर्तन हुआ।

आपको जानकर हैरानी होगी कि ऐसे इलाकों में अचानक से साल 2011 के बाद 32% मुस्लिम बढ़ गए जबकि पूरे राज्य में मिलाकर ये दर 10-15 फीसद की है। कथिततौर पर सीमावर्ती इलाकों में मुस्लिम आबादी 20% तेजी से बढ़ी है और साथ ही इनके मजहबी स्थलों की गिनती में भी वृद्धि देखी गई है।

BSF का दायरा बढ़ाना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी

सीमा पर हो रहे इन बदलावों को देख सुरक्षा एजेंसियों और राज्य पुलिस ने अपनी चिंता जाहिर की है। उन्होंने गृह मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट में इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील मुद्दा कहा है। माँग की गई है कि बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 50 किमी से बढ़ाकर 100 किमी किया जाए ताकि उन्हें जाँच में आसानी हो।

इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्रालय से भी बयान आया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि इतना ज्यादा डेमोग्राफिक बदलाव सिर्फ आबादी बढ़ने का मसला नहीं है। ये भारत में घुसपैठ का नया पैटर्न हो सकता है। यही वजह है कि यूपी और असम की सीमा सुरक्षित रखने के लिए बीएसएफ का दायरा बढ़ाने की माँग हो रही है।

राजस्थान, उत्तराखंड में भी अचानक हुआ कट्टरपंथ का विस्तार

बता दें कि यूपी और असम से पहले राजस्थान में भी अचानक से मुस्लिम आबादी में हुई वृद्धि सुरक्षा एजेंसियों की चिंता का कारण बनी थी। बीएसएफ अध्य्यन में सामने आया था कि राजस्थान के इलाकों में हुआ जनसांख्यिक बदलाव में अजीब सा फर्क था। जहाँ बाकी समुदाय के लोगों में केवल 8-10 फीसद आबादी बढ़ी मिली थी। वहीं मुस्लिमों की जनसंख्या 20-25 फीसद तेजी से बढ़े थे। इसके अलावा अचानक से ज्यादा बच्चों को मदरसों में जाता देखा गया था और ये भी पता चला कि पोखरण, मोहनगढ़ और जैसलमेर जैसे सीमा वाले इलाकों में अचानक देवबंद के मौलवी आने लगे जो समुदाय को कट्टरपंथ की तालीम देते थे।

नेपाल से लगे उत्तराखंड के इलाकों का भी यही हाल है। वहाँ के लिए भी सुरक्षा एजेंसियाँ चिंता जता चुकी हैं। पिछले साल गृह मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट अनुसार वहाँ मजहब विशेष की आबादी में 2011 की मतगणना से ढाई गुना ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई थी। सुरक्षा एजेंसियों का दावा था कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी नेपाल के रास्ते भारत में सक्रिय हैं। वह यहाँ मदरसों को खोल रही हैं। वहीं अवैध निर्माण किए जा रहे हैं।

मुस्लिम गलियारा बनाने की हो रही तैयारी

उल्लेखनीय है कि इससे पहले उत्तर भारत में एक मुस्लिम पट्टी बनाने की साजिश का खुलासा एक लेख में हुआ था। दावे के मुताबिक पट्टी में पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों के इलाकों को निशाना बनाए जाने की बात थी जो कि पाकिस्तान और बांग्लादेश से जुड़े थे। लेख के अनुसार मुस्लिम गलियारा बनाने के लिए मुस्लिम घुसपैठियों की जनसंख्या बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। ये गलियारा बंगाल से बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा होते हुए पाकिस्तान में मिलेगा। 

इसके अलावा इसमें ये भी कहा गया था कि कैसे नेपाल सीमा पर जो मदरसे बढ़े और यूपी में धर्मांतरण गिरोह सक्रिय हुआ, ये सब उसी गलियारे को बनाने की साजिश का हिस्सा है। दावे के अनुसार मुस्लिम बहुल इलाकों मुजफ्फरनगर (50.14%), मुरादाबाद (46.77%), बरेली (50.13%), सीतापुर (129.66%), हरदोई (40.14%), बहराइच (49.17%) और गोंडा (42.20%) से ‘मुस्लिम पट्टी’ बनाने की साजिश है। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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