पिछले कुछ समय में पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफ़आई) का नाम विदेशी फंडिंग से लेकर विरोध प्रदर्शन की आड़ में षड्यंत्र रचने में सामने आया है। इसी कड़ी में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) देश के अलग-अलग क्षेत्रों में छापेमारी अभियान चला रही है। ईडी के समूहों ने 8 राज्यों में स्थित कुल 26 ठिकानों पर छापा मारा, इसी बीच उत्तर प्रदेश के लखनऊ और बाराबंकी में भी छापा मारा गया।
ईडी की टीम उत्तर प्रदेश पीएफ़आई अध्यक्ष, नसीम अहमद के इंदिरानगर लखनऊ स्थित आवास पर पहुँची। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ उसके आवास से संदिग्ध दस्तावेज़ भी बरामद किए गए हैं हालाँकि, नसीम अहमद छापेमारी के दौरान अपने घर पर मौजूद नहीं था। नसीम अहमद पर पिछले वर्ष हुए सीएए और एनआरसी के विरोध प्रदर्शन की आड़ में बड़ी साज़िश रचने का आरोप है। फ़िलहाल ईडी की टीम नसीम अहमद को तलाश रही है।
लखनऊ के अलावा ईडी की टीम ने बाराबंकी में भी छापा मारा, बाराबंकी में पीएफ़आई के सदस्य मुदस्सिर के आवास पर छापा मारा गया। मुदस्सिर पर आरोप है कि उसने सीएए और एनआरसी के विरोध प्रदर्शन के दौरान रुपए लेकर माहौल गड़बड़ करने का प्रयास किया था। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मुदस्सिर पर कुल 80 हज़ार रुपए लेकर इन षड्यंत्रों को अंजाम देने आरोप है। उत्तर प्रदेश के अलावा केरल के 6, तमिलनाडु के 5, कर्नाटक के 3, दिल्ली के 2, बिहार के 2, महाराष्ट्र और राजस्थान के 1-1 ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी का अभियान चलाया।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कल ही पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफ़आई) के नेशनल एग्जीक्यूटिव काउंसिल मेम्बर करमना अशरफ मौलवी के तिरुअनंतपुरम स्थित पूंथुरा आवास पर छापा मारा था। ईडी ने साल 2018 के दौरान पीएफ़आई के कई सदस्यों पर धन शोधन निरोधक अधिनियम (मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत मामला दर्ज किया था। इसके अलावा कोज़ीकोड़े, मल्लापुरम और एर्नाकुलम स्थित पीएफ़आई नेताओं के आवासों पर भी छापा मारा गया।
बता दें कि पीएफ़आई और एसडीपीआई अपनी अराजक गतिविधियों, आपराधिक कृत्यों, जबरन धर्मांतरण और देश विरोधी गतिविधियों के चलते शुरुआत से ही संदेह और जाँच के दायरे में रहा है। पिछले साल दिसंबर महीने के दौरान हुए सीएए और एनआरसी के विरोध प्रदर्शन में पीएफ़आई पर फंडिंग उपलब्ध कराने और दंगा भड़काने का आरोप लगा था। इस साल के जनवरी महीने में केंद्रीय जाँच एजेंसी ने इस संबंध में कई दस्तावेज़ भी पेश किए थे जिसमें पीएफ़आई के खातों और प्रदर्शनकारियों के खातों के बीच लेन-देन की पूरी जानकारी थी।